Saturday, April 15, 2023

चीन की नक्शे वाली साजिश नाकाम

 नाकाम हुई China की नक्शे वाली साजिश क्योंकि Arunachal हमेशा भारत का था, है और हमेशा रहेगा. चीन के अरुणाचल प्रदेश के 11 जगहों के चीनी नाम देने और नया नक्शा जारी करने के तुरंत बाद गृह मंत्री अमित शाह ने अरुणाचल सीमा से सटी चीन सीमा पहुंचकर ड्रैगन को सीधे ललकारा है. अमित शाह ने दो टूक कह दिया है कि अब कोई भारत की सुई की नोक की बराबरी जमीन पर भी कब्जा नहीं कर सकता. गृह मंत्री अमित शाह के इस दावे के पीछे क्या है कारण, यह बताने की कोशिश की है 'फाइनल असॉल्ट' के इस एपिसोड में. साथ ही ये भी बताया है कि आज का भारत '62 वाला भारत नहीं है, इसलिए चीन को भारत से पंगा लेना भारी पड़ सकता है. 

Thursday, April 13, 2023

Rafale to fly back to France for first overseas exercise.



India’s omni-role French fighter aircraft, Rafale, will be flying back to home country France for a multilateral air exercise in which the US, UK and host of other countries are also participating. This will be the first time that Rafale fighter jets are
flying back to France after being inducted in the Indian Air Force (IAF) in Oct '19 amid ongoing tensions with China along LAC.


An IAF contingent will depart tomorrow (Friday) for France, to participate in Exercise Orion at Mont-de-Marsan, an Air Force base of the French Air and Space Force (FASF), informed IAF Spokesperson, Wing Commander Ashish Moghe in an official statement.


The French exercise will be conducted from 17 April to 05 May 2023, with the IAF Contingent comprising four Rafale, two C-17 Globemaster transport aircraft, two ll-78 (refueller) aircraft and 165 air warriors. This would be the first overseas exercise for the IAF's Rafale aircraft.

 

Besides the IAF and the FASF, Air Forces from Germany, Greece, Italy, Netherlands, United Kingdom, Spain and the United States of America would also be flying in this multilateral exercise. Participation in this exercise would further enrich the employment philosophy of the India Air Force, by imbibing the best practices from other Air Forces, said IAF in the official statement.



India had purchased 36 Rafale fighter jets from France in the year 2016 through an inter-governmental deal. The first Rafale fighter jet had landed in India in the year 2019 though. All the 36 Rafale aircraft have been handed over by Dassault Aviation to India. India has deployed one squadron of Rafale fighter jets at Ambala air base (around 125Kms from Delhi) close to both Chinese & Pakistan borders. Another squadron of Rafale have been deployed at Hashimara air base in the state of West Bengal along the disputed border (Line of Actual Control) with China, close to both Sikkim and Arunachal Pradesh. One squadron consists of 18 aircraft. 


Wednesday, April 12, 2023

US Commander fly in Russian fighter jet in India






Amid ongoing Ukraine war and heightened geo-political tensions, a rare pic emerged from India where a senior US commander was seen flying a Russian fighter jet along with an Indian pilot.

US Pacific Air Force Commander, Gen Kenneth S. Wilsbach flew in Russian fighter jet, Sukhoi (Su30MKI) at Kalaikunda air base of Indian Air Force (IAF) during Indo-US joint exercise, 'Cope India' (10-24th April) on Tuesday. Gen Wilsbach flew in a 'training mission' during the Cope India exercise, said IAF Spokesperson, Wg Cdr Ashish Moghe in an official statement here in Delhi.

The US Commander also interacted with Air Marshal SP Dharkar, AOC-in-C of IAF's Eastern Air Command & the exercise participants during his visit to Kalaikunda, India's air base in the state of West Bengal.

Gen Wilsbach is on official visit to India these days and had met IAF Chief, Air Chief Marshal VR Chaudhari and Defence Secretary Giridhar Aramane in Delhi before visiting Kalaikunda. Its learnt Gen Wilsbach had shared details of shooting down Chinese baloon by US fighter jets with IAF top brass. The Chinese 'spying balloon' was on a surveillance mission in the US, claims denied by China though.




'Exercise Cope India 23', a bilateral air exercise between IAF and United States Air Force (USAF) is being held at Air Force Stations Arjan Singh (Panagarh), Kalaikunda and Agra (Uttar Pradesh). The exercise aims to enhance mutual understanding between the two Air Forces and share their best practices.

The first phase of Cope India exercise commenced on 10th April in Agra. This phase of the exercise focuses on air mobility and involves transport aircraft and Special Forces assets from both the Air Forces. Both sides have fielded the C-130J and C-17 aircraft, with the USAF operating an MC-130J, as well. The exercise also includes the presence of Japanese Air Self Defence Force aircrew, who are participating in the capacity of observers.

The next phase of the Exercise Cope India 23 commences at Air Force Station Kalaikunda on 13 April. This segment of the exercise will witness participation of B1B bombers of the US Air Force. F-15 fighter aircraft of the USAF will also join the exercise subsequently. IAF elements will include Su-30 MKI, Rafale, Tejas and Jaguar fighter aircraft. The exercise will be supported by aerial refuellers, Airborne Warning and Control System and Airborne Early Warning and Control aircraft of the IAF.

With the Ukraine war still to end and Finland joining NATO, there has been tension between US and Russia which some experts believe is Cold War-Part 2. But the US commander flying in a Russian fighter jet was a sight to be seen. India operates more than 250 Sukhoi fighter jets and Su-30MKI are built in India with license from Russia.




बठिंडा मिलिट्री स्टेशन में जवानों की हत्या हुई गायब इंसास राइफल से ?


बठिंडा मिलिट्री स्टेशन में चार जवानों की हत्या का राज क्या दो दिन पहले गायब हुई इंसास राइफल से जुड़ा है. इसी सवाल के जवाब तलशाने में जुटी है भारतीय सेना.

भारतीय सेना के मुताबिक, बुधवार को बठिंडा मिलिट्री स्टेशन में हुई फायरिंग की घटना से दो दिन पहले ही एक इंसास राइफल और 28 राउंड रहस्यमय परिस्थितियों में गायब हो गए थे. ऐसे में घटना की जांच इस दिशा में की जा रही है. साथ ही जांच दूसरे पहलुओं पर भी की जा रही है. लेकिन सेना ने साफ किया है कि बुधवार की सुबह हुई घटना में चार जवानों की हत्या के अलावा किसी और जवान को कोई चोट नहीं आई है और ना ही सेना की छावनी में कोई नुकसान हुआ है. ऐसे में आतंकी हमले की संभावना काफी कम हो जाती है.

भारतीय सेना की जयपुर स्थित साउथ-वेस्ट (सप्तशक्ति) कमान के मुताबिक, सुबह 4.35 बजे आर्टिलरी यानि तोपखाने में एक फायरिंग की घटना सामने आई थी. इस घटना में चार जवानों की मौत हो गई थी. घटना के तुरंत बाद मिलिटरी स्टेशन को कॉर्डन ऑफ कर सील कर दिया गया था. साथ ही क्यू आर टी यानि क्विक रिक्शन टीम को एक्टिव कर दिया गया. लेकिन ये घटना कैसे हुए इस बारे में घटना की जांच जारी है.

शुरूआत में ऐसा लगा था कि ये कोई आतंकी घटना तो नहीं है या फिर खालिस्तान से जुड़ी कोई घटना तो नहीं है. क्योंकि 2-3 दिन पहले ही सोशल मीडिया पर बठिंडा को लेकर खालिस्तान समर्थक अलगाववादियों ने विदेश में बैठकर कुछ वीडियो और पोस्ट साझा किए थे. लेकिन भारतीय सेना की जयपुर स्थित साउथ-वेस्ट कमांड ने एक संक्षिप्त बयान जारी कर ऐसी किसी भी अटकलों और रिपोर्टिंग पर विराम लगा दिया. बठिंडा भले ही पंजाब राज्य के अंतर्गत आता है लेकिन ये सेना की दक्षिण-पश्चिम कमान का हिस्सा है. बठिंडा में सेना की 10वीं कोर का मुख्यालय है जिसे चेतक कोर से भी जाना जाता है. जिस तोपखाने में फायरिंग की घटना हुई ये इसी कोर के अधीन है.

ऐसे में इस बात की आशंका जताई जा रही है कि ये घटना फ्रेटरेसाइड यानि सैनिकों में आपसी फायरिंग का नतीजा है. लेकिन ऐसे में वो जवान कहां है जिसने गोलियां चलाई. क्या वो अपने साथियों की हत्या करने के बाद बठिंडा मिलिटरी स्टेशन से भाग खड़ा हुआ या स्टेशन के अंदर ही कहीं छिपा हुआ है. फिलहाल भारतीय सेना उस हत्यारे की तलाश जोरो-शोरो से कर रही है.

Tuesday, April 4, 2023

डोकलाम पर भूटान के बदले सुर के बीच किंग जिग्मे खेसर ने पीएम मोदी से की खास मुलाकात


भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भूटान के राजा

डोकलाम विवाद में चीन के हस्तक्षेप को लेकर दिए गए भूटान के प्रधानमंत्री के बयान के बाद भारत की यात्रा पर आए भूटान नरेश ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनएसए अजीत डोभाल से मुलाकात की. मुलाकात के बाद भारत के विदेश सचिव ने दोनों पड़ोसी देशों के संबंधों को मजबूत करने की दिशा में उठाए गए कदमों को लेकर तो जानकारी दी ही साथ ही ये भी कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर भारत सरकार पैनी नजर रखती है. 


हाल के दिनों में कई ऐसे सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई हैं जिसमें सिक्किम से सटे डोकलाम इलाके में चीन के सैन्य निर्माण कार्यों को साफ देखा जा सकता है. खबर तो ये तक आई थी कि चीन की पीएलए सेना ने डोकलाम के तोरसा नाले पर एक मिलिट्री-ब्रिज बना लिया है. हालांकि, भारत के सूत्रों ने बाद में साफ कर दिया था कि ये पुल विवादित डोकलाम इलाके से थोड़ी दूरी पर बना है ताकि पीएलए सैनिक डोकलाम के करीब बनाए गए मिलिट्री-विलेज तक पहुंचने के लिए इस्तेमाल कर सकें. 

डोकलाम के करीब चीन की जबरदस्त घेराबंदी के बीच पिछले हफ्ते भूटान के प्रधानमंत्री लोते शेरिंग ने ये कहकर सनसनी फैला दी थी कि डोकलाम विवाद को सुलझाने में चीन का भी रोल है क्योंकि ये इलाका (डोकलाम) भारत, चीन और भूटान के ट्राई-जंक्शन पर है. खबरें ऐसी भी आई कि भूटान चीन के साथ विवादित बॉर्डर को लेकर समझौता कर सकता है. इस समझौते के तहत भूटान डोकलाम को चीन को देकर उत्तरी सीमा पर एक बड़ा विवादित इलाका चीन से ले सकता है यानि लैंड-स्वैप (जमीन की अदला-बदली) कर सकता है. भूटान के इस तरह के रुख को देखते हुए किंग जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक का मौजूदा भारत दौरा (3-5 अप्रैल) बेहद अहम माना जा रहा है. 

सोमवार को जब किंग जिग्मे खेसर भारत पहुंचे तो उनकी आगवानी करने के लिए खुद विदेश मंत्री एस जयशंकर दिल्ली हवाई अड्डे पर पहुंचे. बाद में विदेश मंत्री ने राजा के लिए एक डिनर का आयोजन भी किया था. मंगलवार की सुबह राजा ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की और फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की. इस दौरान दोनों देशों के वरिष्ठ मंत्री और अधिकारी भी मौजूद थे. 

पीएम मोदी की किंग से मुलाकात के बाद विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने मीडिया को संबोधित किया जिसमें डोकलाम विवाद और भूटान के पीएम के हालिया बयान का मामला छाया रहा. विदेश सचिव ने हालांकि भारत और भूटान के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्तों के साथ-साथ सिक्योरिटी-कोपरेशन का हवाला देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच एक ऐसा अनोखा संबंध है जो प्रगाढ़ मित्रता, सकारात्मक दृष्टिकोण, विश्वास और एक दूसरे के लिए सम्मान पर आधारित है. 


मंगलवार को मीडिया को संबोेधित करते विदेश सचिव विनय क्वात्रा

डोकलाम में चीन की बढ़ती उपस्थिति को लेकर विनय क्वात्रा ने कहा एक बार फिर दोहराया कि "राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को भारत सरकार बेहद करीब से नजर रखती है."

दरअसल, 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच 72 दिनों तक डोकलाम में एक बड़ा सीमा विवाद हुआ था. चीनी सेना ने विवादित डोकलाम इलाके में तोरसा नाला पर एक पुल बनाकर जामफेरी-रिज तक सड़क बनाने की कोशिश की थी. लेकिन भारतीय सेना ने ऑपरेशन-ज्यूनिपर लॉन्च कर चीन को ऐसा करने से रोक दिया था जिसके चलते दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे के सामने आकर डट गई थी (फेस-ऑफ). अगर चीन ये सड़क जामफेरी रिज तक बनाने में कामयाब हो जाता तो भारत के सामरिक तौर से बेहद संवेदनशील सिलीगुड़ी कोरिडोर को खतरा हो सकता था. क्योंकि उत्तर-पूर्व राज्यों को मैनलैंड भारत से जोड़ने के लिए ये एकमात्र 'स्ट्रेच' है.

तत्कालीन थलसेना प्रमुख (बाद में सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने उस दौरान चीन पर सीमावर्ती इलाकों में सलामी-स्लाइसिंग का गंभीर आरोप लगाया था. विवाद के दौरान लेखक ने सिक्किम से सटे विवादित इलाकों से लेकर भूटान तक जाकर कवरेज की थी. विवाद को हालांकि राजनीतिक और राजनियक हस्तक्षेप के बाद सुलझा लिया गया था लेकिन तनातनी आज भी जारी है. 

आपको बता दें कि डोकलाम विवाद के बाद भारतीय सेना ने सिक्किम से सटी एलएसी और डोकलाम में अपनी पकड़ बेहद मजबूत की है. इसके तहत गंगटोक और नाथुला बॉर्डर से डोकलाम तक तेज मूवमेंट के लिए नई सड़कों का निर्माण किया गया है. साथ ही स्थानीय मिलिट्री कमांडर्स को चीन से निपटने के लिए खुली छूट दे दी गई है और हर ऑर्डर के लिए दिल्ली स्थित साऊथ ब्लॉक (सेना मुख्यालय) की तरफ नहीं ताकना पड़ता है.
 
         फाइल फोटो: डोकलाम में भारत की नई सड़कें

डोकलाम विवाद के बाद से ही भारतीय सेना ने सीमा विवाद के दौरान पूरी स्ट्राइक-कोर को बॉर्डर पर भेजने के बजाए इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप (आईबीजी) का गठन शुरु किया ताकि दुश्मन को तेजी से मुंह तोड़ जवाब दिया जा सके. इसके अलावा आर्मी हेडक्वार्टर में भी तेजी से निर्णय लेने के लिए कई सुधार किए गए हैं जिसमें उपसेना प्रमुख (स्ट्रेटेजी) का पद तैयार किया गया है जो युद्ध की रणनीति बनाने में सेना प्रमुख की मदद करता है. अब उपसेना प्रमुख के अंतर्गत डीजीएमओ यानि डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स, डीजीएमआई (डायरेक्टर जनरल ऑफ इंटेलीजेंस), डीजी ऑप-लॉजेस्टिक और डीजी इंफो वॉरफेयर काम करते हैं. पहले ये सभी मिलिट्री ऑफिसर वर्टिकल में काम करते थे और सेना प्रमुख को अलग-अलग रिपोर्ट करते थे. 

मंगलवार को विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने ये भी बताया कि भारत और भूटान के बीच संबंधों को प्रगाढ़ करने के लिए असम के कोकराझार से भूटान तक रेल नेटवर्क स्थापित करने का फैसला लिया गया है. इसके अलावा पश्चिम बंगाल के जलगांव में दोनों देशों के बीच इंटीग्रेटेड चेक-पोस्ट स्थापित की जाएगी. साथ ही दोनों देशों के बीच पीपुल-टू-पीपुल कनेक्ट भी बढ़ाया जाएगा.

Thursday, August 22, 2019

अब बुफे सिस्टम से मिलेगा जवानों को खाना !


आईटीबीपी ने जवानों को दिए जाने वाले खाने का 'लंगर-सिस्टम' खत्म करने का निर्देश दिया है। अब आईटीबीपी के जवानों को 'बुफे-सिस्टम' से खाना मिलेगा। बुफे सि‌स्टम में जवान भरपेट खाना खा सकेंगे। आईटीबीपी मुख्यालय ने इस बारे में आदेश जारी कर दिया है।

आईटीबीपी मुख्यालय से जारी आदेश में कहा गया है कि बुफे सिस्टम को ट्रायल के तौर पर कुछ प्रशिक्षण संस्थानों लागू मे् किया गया था। वहां कि रिपोर्ट्स आने के बाद ये फैसला लिया गया कि अब आईटीबीपी के सभी ट्रैनिंग सेंटर्स में जवानों को बुफे सिस्टम के जरिए ही खाना दिया जाएगा।

दरअसल, लंगर सिस्टम ब्रिटिश-काल की देन थी, जिसमें हर जवान के खाने की मात्रा फिक्सड यानि बंधी हुई थी। पनीर और मीट का टुकड़ा तक भी मैस-हवलदार की निगरानी में 'करछी' से दिया जाता था। लेकिन अब बूफे सिस्टम में कोई भी जवान कितना भी खाना ले सकता है। इस बुफे सिस्टम को सबसे पहले अरूणाचल प्रदेश में चीन सीमा पर तैनात एक यूनिट में लागू करके किया अजमाया गया। पाया गया कि लंगर सिस्टम के बजाए बूफे सिस्टम में जवानों का पेट सही भरता है, और खाने की बर्बादी भी कम हो रही है।

ब्रिटिश-राज में लंगर सिस्टम इसलिए लाया गया था कि अंग्रेंज अफसरों को लगता था कि स्थानीय भारतीय सैनिकों को ना तो खाने की तमीज है और ना ही उनमें कम्युनिटी यानि बंधुत्व की भावना है।

गौरतलब है कि अमेरिका जैसे विकसित देशों में जवानों के लिए बूफे सिस्टम होता है। और जवान जितना मर्जी खाना ले सकती हैं अपनी च्वाइस के मुताबिक।

लेकिन अब माना जा रहा है कि आईटीबीपी की तर्ज पर बाकी पैरामिलिट्री फोर्स भी जवानों के लिए ऐसा बूफे सिस्टम अपना सकती हैं। गौरतलब है कि कुछ समय पहले बीएसएफ के एक जवान तेज बहादुर ने खाना ठीक ना मिलने के कारण अपनी दाल की वीडियो सोशल मीडिया पर डाल दी थी, जिसके बाद से जवानों को मिलने वाले खाने को लेकर काफी सुधार लाया जा रहा है।

Wednesday, August 21, 2019

पाकिस्तान से तल्ख संबंधों के बीच गोला-बारूद फैक्ट्रियों की हड़ताल


ऐसे समय में जब पड़ोसी देश, पाकिस्तान से कश्मीर और धारा 370 को लेकर संबंध तल्ख हैं और एलओसी पर पाकिस्तानी सेना से रोज फायरिंग हो रही है, देशभर की सभी 41 ओर्डिनेंस फैक्ट्रियां एक महीने की हड़ताल पर चली गई हैं. देश की सेनाओं के लिए गोला-बारूद मुहैया कराने वाली इन फैक्ट्रियों में करीब 82 हजार कर्मचारी काम करते हैं. एक ऐसी ही ओर्डिनेंस फैक्ट्री, गाजियाबाद के मुरादनगर में है जहां के दो हजार कर्मचारी भी हड़ताल पर हैं. इस ओएफबी फैक्ट्री में भी काम बंद था. सरकार के कोरपोरेटाइजेशन यानि निगमीकरण के खिलाफ भी इस फैक्ट्री के कर्मचारी एक महीने की हड़ताल पर हैं. 

ओएफबी मुरादनगर में भारतीय वायुसेना के लिए 'करगिल हीरो' बम बनाए जाते हैं. दरअसल, ये 450 किलो के बम होते हैं जो लड़ाकू विमान आसमान से दुश्मन के कैंप इत्यादि पर बरसाते हैं.
करगिल युद्ध के दौरान इसी फैक्ट्री में तैयार बमों को करगिल की ऊंची पहाड़ियों पर भारतीय चौकियों पर कब्जा जमाएं पाकिस्तानी सैनिकों पर बरसाए गए थे. इसीलिए यहां बनाएं जाने वाले बमों को करगिल-हीरो का नाम दिया गया है. साथ ही थलसेना के टैंकों के लिए ट्रैक-चेन बनाईं जाती हैं। यहां के 2000 कर्मचारी भी ओएफबी के उन 82 हजार कर्मचारियों में शामिल हैं जो हड़ताल पर हैं।

एबीपी न्यूज से बातचीत में यहां के हड़ताली कर्मचारियों का कहना है कि सरकार कोरपोरेटिजाईशेन यानि निगमीकरण के जरिए निजीकरण की तैयारी कर रही है। जबकि देश की सुरक्षा प्राईवेट हाथों में सुरक्षित नहीं है। क्योंकि करगिल युद्ध के दौरान निजी कंपनियों ने या तो गोला-बारूद देना बंद कर दिया था या फिर कीमत दुगने-तिगुने कर दिए थे। प्राईवेट कंपनियां टेंडर लेने के लिए घूसखोरी और करप्शन का सहारा लेती हैं जबकि सरकारी कंपनियों में ऐसा नहीं होता है। हालांकि, यूनियन का ये भी कहना है कि हड़ताल के दौरान देश पर युद्ध की नौबत आई तो वे अपनी हड़ताल वापस ले लेंगे।

वहीं रक्षा मंत्रालय और ओएफबी चैयरमैन ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि ओएफबी की जो तीन कर्मचारी यूनियन हड़ताल पर हैं उन्हें 14 अगस्त को ही बता दिया था कि सरकार ओएफबी का निजीकरण नहीं कर रही है. बल्कि इऩ्हें डिफेंस-पीएसयू यानि रक्षा-क्षेत्र की पब्लिक सेक्टर यूनिट बनाने की तैयारी है. ताकि इन फैक्ट्रियों को ज्यादा से ज्यादा स्वायत्ता दी जा सके और उनके काम में तेजी लाई जा सके. ओएफबी का कहना है कि निगमीकरण के जरिए इन आयुध निर्माण फैक्ट्रियों को सशस्त्र सेनाओं की भविष्य की जरूरतों को अधिक तेजी के साथ पूरा किया जा सकेगा. साथ ही उनके उत्पादों को निर्यात की संभावनाओं को बल मिलेगा.

दरअसल, ओएफबी एक बोर्ड है जो सीधे रक्षा मंत्रालय के अंर्तगत काम करता है. इसका मुख्यालय कोलकता में है. इनमें से कुछ फैक्ट्रियां दो सौ साल पुरानी है जो ब्रिटिश काल से काम कर रही हैं. इन 41 फैक्ट्रियों में पिस्टल, राईफल, गोला-बारूद, तोप, टैंक तैयार किए जाते हैं. सेनाओं के साथ साथ अर्द्धसैनिक बलों और पुलिस को भी ये आयुध फैक्ट्रियां अपना सामान मुहैया कराती हैं.