Saturday, December 20, 2014

चंगेज़ खान और भारत-चीन सीमा विवाद

 चीन अपने पड़ोसी देश मंगोलिया से किस कदर डरता था इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चीन ने ग्रेट वॉल ऑफ चायनामंगोलिया द्वारा लगातार किए जाए रहे आक्रमणों को रोकने के उद्देश्य से ही बनवाई थी...

मध्यकालीन मंगोलियाई बर्बर सम्राट चंगेज़ खान का नाम सुनकर अच्छे-अच्छे सुरमाओं के पसीने छूट जाते हैं. 12वी और 13वी सदी के शुरुआत में चंगेज खान नें ना केवल मंगोलिया के बिखरे हुए लड़ाकू-कबीलों को एकजुट और संगठित किया बल्कि दुनिया के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था. चीन से लेकर बुखारा, समरकंद, रशिया, अफगानिस्तान, ईरान, ईराक, बुल्गारिया और हंगरी तक चंगेज खान का साम्राज्य फैला हुआ था. जहां-जहां भी चंगेज़ खान की फौज जाती उसकी बर्बरता के कारण लोग दहशत के मारे कांपने लगते. एक अनुमान के मुताबिक, चंगेज खान (1162-1227 ईसवी) ने करीब 4 करोड़ लोगों को मौत के घाट उतारा था जिनमें, बड़े-बड़े राजाओं, सिपहसलारों और सैनिकों सहित आम नागरिक भी शामिल थे. माना जाता है कि जब चंगेज़ खान ने चीन पर आक्रमण किया और उसकी राजधानी बीजिंग (प्राचीन नाम झोंगडु) पर कब्जा किया तो उसके बाद चीन की जनसंख्या में बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी. 

चंगेज़ खान की मूर्ति

          ऐसे में 800 साल बाद जब मंगोलिया की फौज भारत को अपने देश के सबसे बड़े राजा, चंगेज़ खान की मूर्ति भेंट स्वरुप पेश करती है तो इन दोनों देशों के बीच सैंडविच, चीन की त्यौंरियां जरुर चढ़ सकती हैं.

          हाल ही में मंगोलिया की बॉर्डर फोर्स के अधिकारी भारत के दौरे पर आए थे. इस दौरान भारत की सबसे बड़ी सीमा सुरक्षा बल, बीएसएफ के साथ मंगोलिया ने सीमा-सुरक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ाने के करार पर सहमति जताई. जैसा कि ऐसे समारोह में अक्सर होता है बीएसएफ के डीजी ने शिष्टाचार के नाते मंगोलिया के प्रतिनिधि-मंडल को भेंट स्वरुप शील्ड प्रदान की. लेकिन समारोह में मौजूद सभी लोग उस वक्त हतप्रभ रह गए जब मंगोलिया के प्रतिनिधि-मंडल का नेतृत्व कर रहे बॉर्डर-एथोरिटी के चीफ, ब्रिगेडयर-जनरल लाहचिंजव ने बीएसएफ के महानिदेशक को अपने देश के सबसे महान राजा चंगेज़ खान की मूर्ति भेंट की.

          हालांकि भारत का मंगोलिया के साथ कोई साझा सीमा-क्षेत्र नहीं है लेकिन दोनों देशों के बॉर्डर में कई समानताएं हैं. दोनो देशों की एक बड़ी सीमा चीन से लगी हुई है. मंगोलिया की साढ़े चार हजार (4500) किलोमीटर से भी ज्यादा लंबी सीमा चीन से सटी है. इसी तरह से भारत का भी करीब 4000 किलोमीटर लंबा बॉर्डर चीन से लगा हुआ है. दोनों देशों का चीन के साथ लंबा सीमा विवाद रहा है. दोनों ही देशों का सीमा क्षेत्र बर्फीले पहाड़ों से लेकर रेगिस्तान तक फैला हुआ है.

        जिस तरह से भारत और चीन का लंबा सीमा विवाद रहा है और लगातार चीन के भारत में घुसपैठ की खबरें आतीं रहतीं हैं, इसी तरह से कभी चीन और मंगोलिया के बीच भी विवाद था. चीन का अपने सभी पड़ोसी देशों से सीमा को लेकर विवाद रहा है. लेकिन चीन अगर किसी देश से डरता था तो वो था मंगोलिया. चीन अपने पड़ोसी देश मंगोलिया से किस कदर डरता था इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चीन ने ग्रेट वॉल ऑफ चायनायानि लंबी-दीवार  मंगोलिया द्वारा लगातार किए जाए रहे आक्रमणों को रोकने के उद्देश्य से ही बनवाई थी. छह हजार (6000) किलोमीटर लंबी दीवार बनवाकर चीन ने अपनी सीमाओं को मंगोलियाई आक्रंताओं से बचाने की कोशिश की थी, जो आज दुनिया के सात अजूबों में शुमार करती है.

        लेकिन कुछ साल पहले चीन ने मंगोलिया के साथ सीमा-करार कर लिया और उसके बाद से दोनों देशों के बीच सदियों से चली आ रही तल्खी काफी कम हो गई. अब दोनों देशों के संबध काफी सुधर गए हैं.

       ऐसे में मंगोलिया के भारत के साथ रक्षा और सामरिक सहयोग का महत्व काफी बढ़ जाता है. 
बहुत संभावनाएं हैं कि जरूरत पड़ने पर (युद्ध इत्यादि की ) मंगोलिया भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा दिखाई दे सकता है.

            साथ ही भारत मंगोलिया से एक सीख भी ले सकता है. वो ये कि अगर मंगोलिया और चीन के बीच सीमा विवाद सुलझ सकता है तो क्या भारत और चीन के बीच बॉर्डर विवाद नहीं सुधर सकता ?
सीमा पर चीन और मंगोलिया के जवान (साभार गूगल इमेज)
      भारत बॉर्डर-मैनेजमेंट में मंगोलिया से काफी कुछ सीख सकता है. मंगोलिया प्रतिनिधि मंडल जब भारत के दौरे पर आया तो उसने बीएसएफ के डीजी डी के पाठक को चंगेज़ खान की मूर्ति के साथ-साथ एक फोटो-एलबम बुक भी भेंट की. इस एलबम में दिखाया गया था कि किस तरह से सदियों से मंगोलिया के लड़ाके अपने देश की सीमाओं को सुरक्षा प्रदान करते आ रहे हैं. साथ ही मंगोलिया का बॉर्डर इतिहास बताता है कि किस तरह से अपने स्वाभिमान के साथ समझौते किए बगैर सीमा विवाद को (चीन के साथ) भी सुलझाया जा सकता है.

        दोनों देशों की बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स के बीच में हुए करार के मुताबिक, बीएसएफ, मंगोलिया के बॉर्डर गार्ड्स को स्पेशल ऑपरेशन और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में ट्रैनिंग देगी. इसी तरह से बीएसएफ, एसएसबी और आईटीबीपी (चीन सीमा पर तैनात भारत का बॉर्डर फोर्स) के अधिकारी समय-समय पर मंगोलिया की यात्रा पर जाएंगे और सीमा-सुरक्षा का अध्यन करेंगे.  
चंगेज खान का साम्राज्य (पीले भाग में)
       कहते हैं कि चंगेज़ खान जब पूरी दुनिया को जीतने के इरादे से अपने सेना के साथ निकला तो वो अफगानिस्तान तक पहुंच गया था और गजनी (पेशावर भी) पर कब्जा कर लिया था. माना जाता है कि वो भारत पर भी आक्रमण करने का इरादा रखता था. वो सिंधु नदी पार कर उत्तर-भारत से होता हुआ आसाम के रास्ते मंगोलिया लौटना चाहता था. लेकिन किन्ही कारणों से उसे पेशावर से ही वापस लौट जाना पड़ा. 

           भारत में मुगल-शासन की नींव रखने वाला बाबर अपने को चंगेज़ खान का वशंज मानता था. बाबर मानता था कि उसकी मां चंगेज़ खान के वंश की थी. कुछ इतिहासकारों के मुताबिक, 'मुगल' शब्द भी 'मंगोल' से ही निकला है यानि मंगोल-प्रजाति के वंशज. ऐसे में ऐसा नहीं माना जा सकता है चंगेज खान की मूर्ति भेंट करने से ही भारत के मंगोलिया से रिश्ते की नई शुरुआत हुई है. मंगोलिया से भारत का रिश्ता उतना ही पुराना है जितना मुगल-शासन का भारतवर्ष से यानि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामरिक.



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