Tuesday, April 4, 2023

डोकलाम पर भूटान के बदले सुर के बीच किंग जिग्मे खेसर ने पीएम मोदी से की खास मुलाकात


भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भूटान के राजा

डोकलाम विवाद में चीन के हस्तक्षेप को लेकर दिए गए भूटान के प्रधानमंत्री के बयान के बाद भारत की यात्रा पर आए भूटान नरेश ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनएसए अजीत डोभाल से मुलाकात की. मुलाकात के बाद भारत के विदेश सचिव ने दोनों पड़ोसी देशों के संबंधों को मजबूत करने की दिशा में उठाए गए कदमों को लेकर तो जानकारी दी ही साथ ही ये भी कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर भारत सरकार पैनी नजर रखती है. 


हाल के दिनों में कई ऐसे सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई हैं जिसमें सिक्किम से सटे डोकलाम इलाके में चीन के सैन्य निर्माण कार्यों को साफ देखा जा सकता है. खबर तो ये तक आई थी कि चीन की पीएलए सेना ने डोकलाम के तोरसा नाले पर एक मिलिट्री-ब्रिज बना लिया है. हालांकि, भारत के सूत्रों ने बाद में साफ कर दिया था कि ये पुल विवादित डोकलाम इलाके से थोड़ी दूरी पर बना है ताकि पीएलए सैनिक डोकलाम के करीब बनाए गए मिलिट्री-विलेज तक पहुंचने के लिए इस्तेमाल कर सकें. 

डोकलाम के करीब चीन की जबरदस्त घेराबंदी के बीच पिछले हफ्ते भूटान के प्रधानमंत्री लोते शेरिंग ने ये कहकर सनसनी फैला दी थी कि डोकलाम विवाद को सुलझाने में चीन का भी रोल है क्योंकि ये इलाका (डोकलाम) भारत, चीन और भूटान के ट्राई-जंक्शन पर है. खबरें ऐसी भी आई कि भूटान चीन के साथ विवादित बॉर्डर को लेकर समझौता कर सकता है. इस समझौते के तहत भूटान डोकलाम को चीन को देकर उत्तरी सीमा पर एक बड़ा विवादित इलाका चीन से ले सकता है यानि लैंड-स्वैप (जमीन की अदला-बदली) कर सकता है. भूटान के इस तरह के रुख को देखते हुए किंग जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक का मौजूदा भारत दौरा (3-5 अप्रैल) बेहद अहम माना जा रहा है. 

सोमवार को जब किंग जिग्मे खेसर भारत पहुंचे तो उनकी आगवानी करने के लिए खुद विदेश मंत्री एस जयशंकर दिल्ली हवाई अड्डे पर पहुंचे. बाद में विदेश मंत्री ने राजा के लिए एक डिनर का आयोजन भी किया था. मंगलवार की सुबह राजा ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की और फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की. इस दौरान दोनों देशों के वरिष्ठ मंत्री और अधिकारी भी मौजूद थे. 

पीएम मोदी की किंग से मुलाकात के बाद विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने मीडिया को संबोधित किया जिसमें डोकलाम विवाद और भूटान के पीएम के हालिया बयान का मामला छाया रहा. विदेश सचिव ने हालांकि भारत और भूटान के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्तों के साथ-साथ सिक्योरिटी-कोपरेशन का हवाला देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच एक ऐसा अनोखा संबंध है जो प्रगाढ़ मित्रता, सकारात्मक दृष्टिकोण, विश्वास और एक दूसरे के लिए सम्मान पर आधारित है. 


मंगलवार को मीडिया को संबोेधित करते विदेश सचिव विनय क्वात्रा

डोकलाम में चीन की बढ़ती उपस्थिति को लेकर विनय क्वात्रा ने कहा एक बार फिर दोहराया कि "राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को भारत सरकार बेहद करीब से नजर रखती है."

दरअसल, 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच 72 दिनों तक डोकलाम में एक बड़ा सीमा विवाद हुआ था. चीनी सेना ने विवादित डोकलाम इलाके में तोरसा नाला पर एक पुल बनाकर जामफेरी-रिज तक सड़क बनाने की कोशिश की थी. लेकिन भारतीय सेना ने ऑपरेशन-ज्यूनिपर लॉन्च कर चीन को ऐसा करने से रोक दिया था जिसके चलते दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे के सामने आकर डट गई थी (फेस-ऑफ). अगर चीन ये सड़क जामफेरी रिज तक बनाने में कामयाब हो जाता तो भारत के सामरिक तौर से बेहद संवेदनशील सिलीगुड़ी कोरिडोर को खतरा हो सकता था. क्योंकि उत्तर-पूर्व राज्यों को मैनलैंड भारत से जोड़ने के लिए ये एकमात्र 'स्ट्रेच' है.

तत्कालीन थलसेना प्रमुख (बाद में सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने उस दौरान चीन पर सीमावर्ती इलाकों में सलामी-स्लाइसिंग का गंभीर आरोप लगाया था. विवाद के दौरान लेखक ने सिक्किम से सटे विवादित इलाकों से लेकर भूटान तक जाकर कवरेज की थी. विवाद को हालांकि राजनीतिक और राजनियक हस्तक्षेप के बाद सुलझा लिया गया था लेकिन तनातनी आज भी जारी है. 

आपको बता दें कि डोकलाम विवाद के बाद भारतीय सेना ने सिक्किम से सटी एलएसी और डोकलाम में अपनी पकड़ बेहद मजबूत की है. इसके तहत गंगटोक और नाथुला बॉर्डर से डोकलाम तक तेज मूवमेंट के लिए नई सड़कों का निर्माण किया गया है. साथ ही स्थानीय मिलिट्री कमांडर्स को चीन से निपटने के लिए खुली छूट दे दी गई है और हर ऑर्डर के लिए दिल्ली स्थित साऊथ ब्लॉक (सेना मुख्यालय) की तरफ नहीं ताकना पड़ता है.
 
         फाइल फोटो: डोकलाम में भारत की नई सड़कें

डोकलाम विवाद के बाद से ही भारतीय सेना ने सीमा विवाद के दौरान पूरी स्ट्राइक-कोर को बॉर्डर पर भेजने के बजाए इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप (आईबीजी) का गठन शुरु किया ताकि दुश्मन को तेजी से मुंह तोड़ जवाब दिया जा सके. इसके अलावा आर्मी हेडक्वार्टर में भी तेजी से निर्णय लेने के लिए कई सुधार किए गए हैं जिसमें उपसेना प्रमुख (स्ट्रेटेजी) का पद तैयार किया गया है जो युद्ध की रणनीति बनाने में सेना प्रमुख की मदद करता है. अब उपसेना प्रमुख के अंतर्गत डीजीएमओ यानि डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स, डीजीएमआई (डायरेक्टर जनरल ऑफ इंटेलीजेंस), डीजी ऑप-लॉजेस्टिक और डीजी इंफो वॉरफेयर काम करते हैं. पहले ये सभी मिलिट्री ऑफिसर वर्टिकल में काम करते थे और सेना प्रमुख को अलग-अलग रिपोर्ट करते थे. 

मंगलवार को विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने ये भी बताया कि भारत और भूटान के बीच संबंधों को प्रगाढ़ करने के लिए असम के कोकराझार से भूटान तक रेल नेटवर्क स्थापित करने का फैसला लिया गया है. इसके अलावा पश्चिम बंगाल के जलगांव में दोनों देशों के बीच इंटीग्रेटेड चेक-पोस्ट स्थापित की जाएगी. साथ ही दोनों देशों के बीच पीपुल-टू-पीपुल कनेक्ट भी बढ़ाया जाएगा.

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