Friday, July 10, 2015

सैन्य विरासत को संजोने की कवायद: आईएनएस विराट होगा म्यूजियम में तब्दील


तटीय-प्रदेश आंध्रा के सीएम, चंद्रबाबू नायडू का एयरक्राफ्ट कैरियर से लगाव होना तो लाजमी है ही लेकिन वे ये भी बखूबी जानते हैं कि अगर विराट को म्यूजियम में बदल दिया जाए तो उससे पर्यटकों को भी बखूबी लुभाया जा सकता है.


 
आईएनएस विराट
किसी भी देश की नौसेना की ताकत होता है विमान-वाहक युद्धपोत यानि एयरक्राफ्ट कैरियर. जिस किसी भी देश की नौसेना के जंगी बेड़े में ये शक्तिशाली युद्धपोत होता है, उस देश की समुद्री ताकत दुगनी या यूं कहें कि तिगनी-चौगनी हो जाती है. एयरक्राफ्ट कैरियर चाहे अपनी समुद्री-सीमा में हो या सात-समंदर पार, वो अपने देश का प्रतिनिधित्व तो करता ही है अपने-आप में संप्रभुता का प्रतीक भी होता है. दूसरे शब्दों में वो समुद्र में चलता-फिरता किला या फिर देश है. 

    जैसा कि नाम से विदित है, एयरक्राफ्ट कैरियर की ताकत उसपर तैनात लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर होते हैं. मिग, सुखोई, मिराज, ईगल इत्यादि सुपरसोनिक फाइटर प्लेन, जो आवाज की गति से भी तेज उड़ते हैं और पलक झपकते ही दुश्मन को नेश्तानबूत करने का माद्दा रखते हैं, वे इस जंगी युद्धपोत को और अधिक घातक बना देते हैं. ये जहाज कितना विशालकाय होता है इसका पता इस बात से सहज लगाया जा सकता है कि इसका फ्लाई-डेक (यानि जहां से फाइटर प्लेन टैक-ऑफ या लैंडिग (उड़ान) भरते हैं वो दो-तीन फुटबॉल ग्राउंड की बराबर होता है.

    लेकिन एक एयरक्राफ्ट कैरियर जितना महंगा होता है (20 हजार करोड़ से लेकर 50-60 हजार करोड़ कीमत), उसका रखरखाव भी उतना ही मंहगा होता है. माना जाता है कि एक विमान-वाहक युद्धपोत के रखरखाव में हर साल करीब 100 करोड़ रुपये का खर्चा आता है. जबतक एयरक्राफ्ट कैरियर ओपरेशनल यानि सक्षम होता है तबतक तो हर देश की नौसेना उसका खर्चा उठाती है, लेकिन उसके रिटायर (अक्षम) होने पर काफी मुश्किल आती है. उसके रख-रखाव में होने वाला खर्च किसी को भी चुभने लगता है. लेकिन जिस देश की सेवा में उस जहाज ने 25-30 या फिर 40-50 साल लगाएं हों उससे इमोशनल-अटैचमेंट भी काफी हो जाता है.

      ऐसे में जब हाल ही में भारतीय नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रांत को तोड़कर (और पिघलाकर) स्क्रैप (यानि कबाड़) में तब्दील कर दिया गया, तब देश में काफी हाय-तौबा मचा. आईएनएस विक्रांत करीब 17 साल पहले नौसेना से रिटायर हो चुका था. 
आईएनएस विक्रांत कबाड़ में तब्दील (फोटो सभार: गूगल)
भारत ने आईएनएस
विक्रांत को ब्रिटेन से 60 के दशक में तब खरीदा था जब वो ब्रिटिश रॉयल-नेवी से रिटायर हो चुका था. भारतीय नौसेना में 30-35 साल काम करने के बाद, विक्रांत को 1998 में रिटायर कर दिया गया. अगले 17 साल यानि 2015 तक वो ऐसे ही मुंबई डॉकयार्ड में खड़ा रहा. जेट्टी पर जगह घेरने के साथ-साथ हर साल नौसेना को 100 करोड़ रुपये उसके रख-रखाव में खर्च करना पड़ रहा था. ऐसे में नौसेना ने उसे स्क्रैप-डीलर्स को बेच दिया. ये बात जैसे ही सार्वजनिक हुई, हाय-तौबा मच गया. हर किसी ने नौसेना के इस कदम का विरोध किया. लेकिन किसी ने उस भीमकाय जहाज का क्या किया जाए, कोई सुझाव नहीं दिया. मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा, लेकिन कोई रास्ता ना मिलता देख सर्वोच्च न्यायालय ने भी विक्रांत को स्क्रैप में तब्दील करने की हरी झंडी दिखा दी.

      एक बार फिर ऐसी ही नौबत आने वाली थी, लेकिन इस बार देशवासी और हमारे नेताओं ने सैन्य सामुद्रिक-विरासत को संजोने के लिए हाथ आगे बढ़ाया है. भारत का एक और एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विराट अगले साल की शुरुआत में रिटायर होने वाला है. जैसे ही ये खबर आंध्रा-प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को लगी, उन्होनें सीधे रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को चिठ्टी लिखकर विराट को रिटायर होने के बाद खरीदने की इच्छा जताई. चंद्रबाबू नायडू विराट को म्यूजियम में तब्दील करने का प्लान बना रहे हैं. जैसे ही नायडू का ये प्लान जग-जाहिर हुआ, सभी ने उनके प्लान की भूरि-भूरि प्रशंसा की.
विराट का प्रतीक-चिंह


     विराट को भी भारत ने 1987 में ब्रिटिश रॉयल नेवी से खरीदा था. उस वक्त विराट ब्रिटेश नौसेना में 25 साल गुजार चुका था. उसने अर्जंटीना के खिलाफ फॉकलैंड-युद्ध में महत्वपूर्ण हिस्सा लिया था. अब भारत में करीब 30 साल सेवा देने के बाद 'विराट' की भी रिटायर की बारी है.

     तटीय-प्रदेश आंध्रा के सीएम, चंद्रबाबू नायडू का एयरक्राफ्ट कैरियर से लगाव होना तो लाजमी है ही लेकिन वे ये भी बखूबी जानते हैं कि अगर विराट को म्यूजियम में बदल दिया जाए तो उससे पर्यटकों को भी बखूबी लुभाया जा सकता है. आंध्रा-प्रदेश की तटीय-राजधानी विशाखापट्टनम में पहले से ही कुरसुरा नाम का पनडुब्बी-म्यूजियम है, जहां रोजाना बड़ी तदाद में टूरिस्ट घूमने आते हैं.

     आंध्रा प्रदेश की पहल को देखते हुए, रक्षा मंत्रालय ने देश के बाकी आठ तटीय-प्रदेशों (गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल) से भी विराट से जुड़े सुझाव मांगें हैं. जाहिर है अपनी समुद्री-सैन्य विरासत को संजोने से जुड़ा मामला जो है. यानि विराट का वो हश्र नहीं होगा जो विक्रांत का हुआ है.

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