अनिल अंबानी ने एक सार्वजनिक मंच पर इस बात पर जोर दिया था कि रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों को सरकारी उपक्रमों से बराबरी की प्रतिस्पर्धा में रखना चाहिए
देश में मेक इन इंडिया के तहत पहली बार नौसेना के लिए परमाणु
एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने के लिए निजी क्षेत्र के कंपनियों को भी मौका दिया गया है.
इस संदर्भ में भारतीय नौसेना ने देश के चार (04) प्राईवेट शिपयार्ड से उनकी राय
पूछी है कि क्या वो इसे बनाने में सक्षम हैं. अगर हां, तो वे सरकारी शिपयार्ड से
टेंडर लेने के लिए मुकाबले को तैयार हो जाएं. नौसेना ने इन चार प्राईवेट
कंपनियों के साथ-साथ देश के पांच बड़े शिपयार्ड से भी सबसे बड़े स्वेदशी विमान-वाहक
युद्धपोत बनाने के लिए राय मांगी है.
ये शायद पहली बार है जब रक्षा क्षेत्र में
प्राईवेट कंपनियों को इतना बड़ा अवसर दिया जा रहा है. अभी तक रक्षा क्षेत्र में सरकारी कंपनियों का ही बोल-बाला था।
गुरुवार को ही जाने-माने उद्योगपति और रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक, अनिल अंबानी ने एक सार्वजनिक मंच पर इस बात पर जोर दिया था कि रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों को सरकारी उपक्रमों से बराबरी की प्रतिस्पर्धा में रखना चाहिए.
गुरुवार को ही जाने-माने उद्योगपति और रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक, अनिल अंबानी ने एक सार्वजनिक मंच पर इस बात पर जोर दिया था कि रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों को सरकारी उपक्रमों से बराबरी की प्रतिस्पर्धा में रखना चाहिए.
नौसेना के अधिकारियों के मुताबिक, इस एयरक्राफ्ट कैरियर को बनाने के
लिए वाइस एडमिरल सुरेन्द्र आहूजा के नेतृत्व में एक स्टडी-ग्रुप बनाया गया है. इस
ग्रुप ने इस विमान-वाहक युद्धपोत, जिसे नौसेना ने ‘आईएसी-2’ (यानि इंडिजीनेस एयरक्राफ्ट कैरियर-2) या ‘आईएनएस विशाल’ का नाम दिया है,
उसके लिए कुल नौ (09) शिपयार्ड जिसमे चार
प्राईवेट हैं उन्हे पत्र लिखकर उनसे उनकी राय (एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट) पूछी है.
ये चार प्राईवेट शिपयार्ड हैं-रिलायंस का गुजरात स्थित पीपाव, एलएंडटी,
एवीजी और भारती. जो सरकारी उपक्रम हैं, वे हैं मुंबई स्थित मज़गांव डाकयार्ड (देश
का सबसे बड़ा शिपयार्ड), विशाखापट्टनम स्थित हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (एचएसएल),
गोवा स्थित गोवा शिपयार्ड (जीएसएल), कोलकत्ता स्थित गार्डन रिच शिपयार्ड एंड
इंजीनियरिंग (जीआरएसई) और कोच्चि स्थित कोच्चि शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल). इन सरकारी
शिपयार्ड में, जीएसएल, जो जहाजरानी मंत्रालय के अधीन काम करता है, बाकी सभी रक्षा
मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाले सरकारी उपक्रम हैं. कोच्चि शिपयार्ड ही देश का
65 हजार टन का ये युद्धपोत देश का सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट कैरियर होगा.
अभी तक भारत के पास जो सबसे बड़ा युद्धपोत है, वो 40 हजार टन का आईएनएस
विक्रमादित्य है, जिसे रशिया से खरीदा गया है. वहीं पहला स्वेदशी युद्धपोत, आईएनएस
विक्रांत (या आईएसी-1) जो कोच्चि शिपयार्ड में बन
रहा है, वो करीब 45 हजार टन का है.
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अनिल अंबानी |
गुरुवार को नौसेना और सीआईआई के एक सेमिनार में अनिल अंबानी ने सार्वजनिक
रुप से कहा था कि रक्षा क्षेत्र में प्राईवेट कंपनियों को भी हिस्सेदारी मिलनी
चाहिए—अभी तक इस क्षेत्र में सरकारी उपक्रमों का बोलबाला था.
अनिल अंबानी ने ये भी कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ विजन के तहत
सशस्त्र-बलों को जरुरी सैन्य साजों-सामान देने के लिए तैयार हैं, लेकिन उसके लिए अनिल
अंबानी ने रक्षा क्षेत्र में पारर्दशिता और सही कार्यप्रणाली (फेयर प्रोसिजर)
अपनाने पर जोर दिया था. अनिल अंबानी की रिलायंस कंपनी ने हाल ही में गुजरात स्थित
पीपाव शिपयार्ड को दस हजार करोड़ रुपये में खरीदा है और खरीदने के बाद ही उसमें
पांच हजार करोड़ रुपये के निवेश किया है. पीपाव ने रशिया के एक बड़े शिपयार्ड के
साथ भी समझौता किया है ताकि यहां युद्पोत तैयार किए जा सकें.
ऐसे में आज ही ये खबर आना की नौसेना के सबसे बड़े एयरक्राफ्ट बनाने के
लिए प्राईवेट कंपनियों को न्यौता दिया गया है, एक सराहनीय कदम हैं.
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आईएनएस विराट |
किसी भी देश की नौसेना की ताकत होता है विमान-वाहक युद्धपोत यानि
एयरक्राफ्ट कैरियर. जिस किसी भी देश की नौसेना के जंगी बेड़े में ये शक्तिशाली
युद्धपोत होता है, उस देश की समुद्री ताकत दुगनी या यूं कहें कि तिगनी-चौगनी हो
जाती है. एयरक्राफ्ट कैरियर चाहे अपनी समुद्री-सीमा में हो या सात-समंदर पार, वो
अपने देश का प्रतिनिधित्व तो करता ही है अपने-आप में संप्रभुता का प्रतीक भी होता
है. दूसरे शब्दों में वो समुद्र में ‘चलता-फिरता किला’ या फिर देश है.
जैसा कि नाम से विदित है, एयरक्राफ्ट कैरियर की ताकत उसपर तैनात
लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर होते हैं. मिग, सुखोई, मिराज, ईगल इत्यादि सुपरसोनिक
फाइटर प्लेन, जो आवाज की गति से भी तेज उड़ते हैं और पलक झपकते ही दुश्मन को
नेश्तानबूत करने का माद्दा रखते हैं, वे इस जंगी युद्धपोत को और अधिक घातक बना
देते हैं. ये जहाज कितना विशालकाय होता है इसका पता इस बात से सहज लगाया जा सकता
है कि इसका फ्लाई-डेक (यानि जहां से फाइटर प्लेन टैक-ऑफ या लैंडिग (उड़ान) भरते
हैं वो दो-तीन फुटबॉल ग्राउंड की बराबर होता है. आईएनएस विशाल पर करीब 50 लड़ाकू
विमान और हेलीकॉप्टर तैनात किए जाने के प्लान तैयार किया गया है.
भारत के पास फिलहाल दो विमान-वाहक युद्धपोत हैं—आईएनएस विक्रमादित्य
और आईएनएस विराट. विराट अगले साल मार्च-अप्रैल में रिटायर होने वाला है. भारत का
जो स्वेदशी, आईएनएस विक्रांत कोच्चि में तैयार किया जा रहा है, वो अगले साल के अंत
ही बनकर तैयार किया जायेगा. विशाल के आने के बाद भारतीय नौसेना की ताकत में कई
गुना इजाफा तो हो ही जायेगा, साथ ही दुनिया के उन चंद देशों की श्रेणी में शामिल
हो जायेगा जिनके जंगी बेड़े में दो या दो से ज्यादा एयरक्राफ्ट हैं.
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