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बॉर्डर पर गस्त करते भारतीय जवान |
हाल ही में सीमा पार से घुसपैठ कर
उधमपुर में बीएसएफ के काफिले पर हमला करने वाला नवेद नाम के पाकिस्तानी आंतकी को
जीजा-साले की जोड़ी ने पकड़कर सुरक्षाबलों के हवाले कर दिया तो सभी ने दोनों की
बहादुरी की भूरि-भूरि प्रशंसा की. लेकिन इससे जुड़ा एक अहम सवाल ये था कि आखिर ये
पाकिस्तानी आतंकी नवेद (या नावेद) उर्फ उस्मान उर्फ कासिम खान भारत में घुसा कैसे.
क्या हमारी सरहदें इतनी कमजोर हैं कि कोई भी हमारे देश में आसानी से घुस सकता है ?
कहीं हमारी सेना या बीएसएफ की चौकसी में कोई कोताही तो नहीं कि ये आए दिन विदेशी
घुसपैठियें हमारी सीमा में दाखिल हो जाते हैं ?
ये सवाल इस लिए भी बहुत लाजमी हैं क्योंकि
हाल ही में मिलेट्री
इंटेलीजेंस यानि एमआई की खुफिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सीमा पर 80-85 आतंकी
देश में घुसपैठ करने की फिराक में हैं। इन आतंकियों को घुसपैठ कराने के लिए सीमा
पर पाकिस्तान ने लांचिग-पैड तैयार किए हैं। ये लांचिग- पैड एलओसी और अंतरराष्ट्रीय
सीमा तक फैले हुए हैं। साफ है कि नवेद अकेला आतंकी नहीं है जो घुसपैठ कर पाकिस्तान
से कश्मीर में घुसा है।
एमआई रिपोर्ट में सिलेसिलेवार तरीके से बताया गया है कि उत्तरी कश्मीर स्थित एलओसी यानि नियंत्रण रेखा पर तंगधार, केरन और गुरेज सेक्टर में आतंकियों के छह (06) ग्रुप घुसपैठ की फिराक में हैं। हरेक ग्रुप में 7-8 आतंकी है। इन आतंकियों को घुसपैठ मे मदद करने के लिए एक-एक गाइड और पोर्टर भी शामिल है। यानि 4-5 ‘एक्टिव-आतंकी’ हैं.
माना जा रहा है कि नावेद और उसका साथी नुमान भी कश्मीर घाटी के कुपवाड़ा इलाके के तंगधार से पाकिस्तान से भारत में घुसे थे।
एमआई रिपोर्ट में सिलेसिलेवार तरीके से बताया गया है कि उत्तरी कश्मीर स्थित एलओसी यानि नियंत्रण रेखा पर तंगधार, केरन और गुरेज सेक्टर में आतंकियों के छह (06) ग्रुप घुसपैठ की फिराक में हैं। हरेक ग्रुप में 7-8 आतंकी है। इन आतंकियों को घुसपैठ मे मदद करने के लिए एक-एक गाइड और पोर्टर भी शामिल है। यानि 4-5 ‘एक्टिव-आतंकी’ हैं.
माना जा रहा है कि नावेद और उसका साथी नुमान भी कश्मीर घाटी के कुपवाड़ा इलाके के तंगधार से पाकिस्तान से भारत में घुसे थे।
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पुलिस हिरासत में पाकिस्तानी आतंकी नावेद |
सेना की खुफिया रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है कि दक्षिण कश्मीर (लोउर-कश्मीर) में भी एलओसी पर पुंछ, केजी गली और अखनूर में आंतकियों के तीन ग्रुप सक्रिय हैं और घुसपैठ करने की फिराक में है। एलओसी के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) पर भी बमियाल में भी आतंकी घुसपैठ की फिराक में हैं।
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि पाकिस्तानी सेना सीमा पर फायरिंग कर भारतीय सेना का ध्यान भटकाकर इन आतंकियों की भारत में घुसपैठ कराने की जुगत कर रही है। ये राज़ किसी से छुपा नहीं है कि पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी, आईएसआई की मदद से ही यें आंतकी भारत में घुसपैठ करने में कामयाब हो जाते हैं.
ऐसे में ये सवाल भी उठता है कि हमारी
देश की सेना दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी फौज है. 13 लाख सैनिकों वाली इतनी बड़ी
सेना सरहदों की रक्षा करने में चूक क्यों जाती है. क्यों नवेद जैसी आंतकी घुसपैठ
करने में कामयाब हो जाते हैं.
हाल ही में देश की सबसे बड़ी खुफिया
एजेंसी, रॉ के पूर्व प्रमुख, ए एस दौलत ने कश्मीर पर लिखी अपनी किताब में इस बात
को प्रमुखता से उठाया है कि पिछले 30 सालों से सेना कश्मीर में घुसपैठ का राग अलाप
रही है, बावजूद इसके हमारी सेना घुसपैठ पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हुई है. क्योंकि
बॉर्डर पर अगर कोई (तैनात) है तो वो खुद सेना (और बीएसएफ) ही है.
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घुसपैठ रोकना सीमा पर तनात जवान की अहम जिम्मेदारी |
इस सवाल का जवाब तलाशने से पहले भारत और
पाकिस्तान सीमा की बारे में थोड़ी बात कर लेते हैं. दोनो देशों के बीच करीब 3323 किलोमीटर लंबा बॉर्डर है. दोनों देशों की सीमा की बात
करें तो ये अरब सागर के मुहाने यानि गुजरात के कच्छ (रण ऑफ कच्छ) से शुरु होती है
और राजस्थान के मरु-स्थल से होती हुई पंजाब के लहलहाते खेतों के बीच से होती हुई
जम्मू-कश्मीर में दाखिल हो जाती है. जम्मू-कश्मीर में कठुआ, सांभा, सुचेतगढ़ और जम्मू
सेक्टर से होती हुई अखनूर, राजौरी, पुंछ, उरी, बारामूला, कुपवाड़ा, ज़ोजिला दर्रा,
द्रास, करगिल और बटलिक होते हुए सियाचिन ग्लेशियर तक दोनों देशों की सीमा है.
दोनों देशों के बीच मोटे तौर पर तीन-चार
तरह की सरहद है. दुनियाभर में इन दोनों देशों (भारत और पाकिस्तान) के बीच ही ऐसी
सरहद होगी जो इतने प्रकार की है. गुजरात के दलदल वाले रण ऑफ कच्छ से लेकर राजस्थान
के जैसलमेर, बीकानेर, गंगानगर और पंजाब के
फिरोजपुर, हुसैनीवाला से लेकर अमृतसर तक दोनों देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा
(यानि इंटरनेशनल बाउंड्री या आईबी) है. आईबी को लेकर दोनों देशों में कोई टकराव
नहीं है. दोनों देश इस क्षेत्र की सीमा को लेकर सभी अंतरराष्ट्रीय नियम कानून
मानते हैं. इस सीमा पर ड्रग्स और जाली नोटो की स्मैगलिंग को छोड़ दें तो अमूमन ये ‘शांत-बॉर्डर’
है. इस सीमा पर अंतरराष्ट्रीय नियमों के
मुताबिक, भारत ने ग्राउंड-ज़ीरो से करीब पांच सौ गज दूर कटीली तार (या फैंसिग) लगा
रखी है—ताकि कोई गैरकानूनी घुसपैठ ना हो पाए. बॉर्डर से जुड़े इटंरनेशनल रुल्स एंड
रेगुलेशन कहते हैं कि कोई भी देश आईबी पर सेना को तैनात नहीं कर सकता है, इसलिए
भारत ने अपनी खास अद्धसैनिक-बल, बीएसएफ को यहां तैनात किया हुआ है. पाकिस्तान ने
पाक-रेंजर्स को यहां तैनात किया हुआ है.
लेकिन इसके बाद की सरहद से सुरक्षाबलों
को मुश्किल खड़ी हो जाती है. पंजाब के अमृतसर के बाद यानि गुरदासपुर और पठानकोट से
लेकर कठुआ, सांबा और जम्मू तक की सीमा को भारत आईबी मानता है. लेकिन पाकिस्तान इस
सीमा को आईबी मानने से इंकार करता है. वो इसे वर्किंग-बाउंड्री मानता है. हालांकि
एक समय ऐसा था जब खुद पाकिस्तान ने इस सीमा को इंटरनेशनल-बाउंड्री मान लिया था.
लेकिन काफी सालों से उसने इस सीमा को वर्किंग-बाउंड्री कहना शुरु कर दिया. इनदिनों
ये बॉर्डर भी एलओसी की तरह ही काफी एक्टिव रहता है—यानि घुसपैठ और सीमापार से
फायरिंग काफी ज्यादा हो रही है. जानकारों की मानें तो पाकिस्तान, एलओसी की तरह ही
इस सीमा-क्षेत्र का अंतरराष्ट्रियकरण कर विवादित बनाना चाहता है. यहां पर भी
बीएसएफ तैनात है. लेकिन बीएसएफ की मदद के लिए बॉर्डर से कुछ दूरी पर सेना की
टुकड़ियां भी मौजूद रहती हैं. ताकि जररुत पड़ने पर सेना, बीएसएफ के जवानों के लिए
रिइंफोर्सेमेंट का काम कर सके.
अखनूर, राजौरी और पुंछ से दोनों देशों
के बीच एलओसी यानि नियंत्रण-रेखा शुरु हो जाती है.
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भारत की फॉरवर्ड-पोस्ट |
और बीएसएफ तैनात है. बाकी की सरहद पर सिर्फ सेना तैनात है.
बटालिक के बाद यानि एनजे-482 पोस्ट के
बाद का पूरा इलाका सियाचिन ग्लेशियर का है. इस ग्लेशियर पर भारत का कब्जा है. यहां
पर दोनों देशों की सीमा को एजीपीएल यानि एक्चुयल ग्राउंड पोजिशनिग लाइन कहते हैं.
इसका तात्पर्य ये है कि जिस देश की सेना ने जहां तक कब्जा कर लिया, वो इलाका उस
देश का हो गया. सियाचिन ग्लेशियर से घुसपैठ नामुमकिन है. मुश्किल आती है
वर्किंग-बाउंड्री और एलओसी पर.
घुसपैठ क्यों होती है, इसका जवाब कश्मीर
(पूरे जम्मू-कश्मीर) की भूगौलिक संरचना में ही छिपा है. उंचे-उंचे पहाड़, दर्रें,
घने जंगल, नदी और नालों के चलते भारत-पाकिस्तान सीमा की सुरक्षा एक टेढ़ी खीर है.
शीतकाल में कश्मीर घाटी (और बॉर्डर) पूरा बर्फ से ढक जाता है. बॉर्डर पर लगी कटीली
तार (फैंसिग) भी नष्ट हो जाती है. इसे लगाने में काफी वक्त लग जाता है. जंगल इतने
घने हैं कि दस मीटर से ज्यादा तक का दिखाई नहीं देता. रात के अधेंरे में तो
नाइट-विजन डिवाइस भी काम करना बंद कर देते हैं. नदी-नालों पर फैसिंग नहीं लगाई जा
सकती. बस इस सभी का फायदा उठाकर ये आतंकी घुसपैठ करने में कामयाब हो जाते हैं.
गौरतलब है कि दो दिन पहले ही सेना ने तंगधार में दो घुसपैठियों को मार गिराया था और पिछले कुछ दिनों से सीमा पर पाकिस्तानी सेना लगातार युद्ध विराम का उल्लंघन कर फायरिंग कर रही है। आज भी पाकिस्तान ने पुंछ सेक्टर में भारतीय चोकियों पर फायरिंग की।
एमआई की रिपोर्ट के आने के बाद सेना ने एलओसी पर चौकसी बढ़ा दी है। सेना ने 5000 अतिरिक्त जवानों को एलओसी की चौकसी के लिए भेजा है ताकि घुसपैठ को हर हालात में रोका जाए। बीएसएफ ने भी सीमा पर अतिरिक्त सुरक्षाबल भेजा है ताकि किसी कीमत पर भी आतंकी हमारी सीमा में ना घुस पाये।
जय मां हाटेशवरी....
ReplyDeleteहर्ष हो रहा है....आप को ये सूचित करते हुए.....
दिनांक 06/02/2018 को.....
आप की रचना का लिंक होगा.....
पांच लिंकों का आनंद
पर......
आप भी यहां सादर आमंत्रित है.....