Tuesday, March 13, 2018

आखिर क्यों है भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियारों का खरीददार !

ग्लोबल एजेंसी, सिपरी द्वारा जारी आंकड़ो के मुताबिक भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियारों का आयातक देश है. दुनियाभर में हथियारों की खरीद में भारत का हिस्सा करीब 12 प्रतिशत है. आंकड़ो के मुताबिक, भले ही भारत की नजदीकियां अमेरिका से बढ़ रही हों, लेकिन हथियारों के मामले में भारत का सबसे भरोसेमंद साथी, रूस ही है.

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस  रिसर्च इंस्टीट्यूट यानि सिपरी कि मानें तो 'एक तरफ पाकिस्तान और दूसरी तरफ चीन से चल रही तनातनी के चलते भारत को लगातार ज्यादा हथियारों की जरूरत पड़ रही है.' 

सिपरी द्वारा जारी आंकड़ो के मुताबिक, अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा हथियारों का निर्यातक है. अमेरिका का हथियारों के निर्यात में कुल 34 फीसदी भागेदारी है. दूसरे नंबर पर रशिया है. सिपरी ने ये आंकड़े 2012-17 यानि कुल पांच साल के हिसाब से जारी किए हैं.

सिपरी के आंकड़ों में सबसे ज्यादा चौकान्ने वाले आंकड़े चीन को लेकर हैं. चीन हथियारों के आयात और निर्यात दोनों में ही पांचवे नंबर पर है. यानि चीन अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए हथियार रूस, फ्रांस और यूक्रेन जैसे देशों से खरीद भी रहा है और जो खुद तैयार कर रहा है उन्हें पाकिस्तान, म्यांमार और बांग्लादेश जैसे देशों को बेच भी रहा है.

जारी किए गए आंकड़ो के मुताबिक, भारत का सबसे ज्यादा हथियारों का इम्पोर्ट रूस से होता है. भारत में विदेशों से आने वाले हथियारों में रूस का कुल हिस्सा करीब 62 प्रतिशत है जबकि अमेरिका से मात्र 15 प्रतिशत है और तीसरे नंबर पर इजरायल 11 प्रतिशत है. आपकों कुछ समय पहले एबीपी न्यूज ने बताया था कि किस तरह पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल-स्ट्राइक के बाद भारत ने रूस से रातों-रात बड़ी मात्रा में गोला-बारूद खऱीदा था. सिपरी के ये आंकडे उसी को बंया करते हैं.

सिपरी के आंकड़ो के मुताबिक, पाकिस्तान अब विदेशों से कम हथियार खरीद रहा है. जहां हथियारों के आयात में भारत का हिस्सा 12 प्रतिशत है तो पाकिस्तान का हिस्सा मात्र 2.8 प्रतिशत है, जबकि चीन का हिस्सा 4 प्रतिशत है. भारत के बाद सबसे ज्यादा हथियार सऊदी अरब विदेशों से खरीदता है. इसके बाद नंबर आता है मिश्र और यूएई का. पांचवा स्थान चीन का है.

सिपरी के मुताबिक, अगर वर्ष 2008-12 की तुलना वर्ष 2012-17 से करते हैं तो देखा गया है इस दौरान हथियारों की खरीद-फरोख्त में करीब 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है.   

गौरतलब है कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज ही कहा था कि रक्षा क्षेत्र में स्वावलंबन बनने के लिए बेहद जरूरी है कि सरकारी रक्षा उपक्रमों को फिर से पुर्नजीवित किया जाए और निजी कंपनियों की भागीदारी को रक्षा क्षेत्र में बढ़ाया जाए.

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण आज राजधानी दिल्ली में फिक्की द्वारा गोला-बारूद पर आयोजित एक सेमिनार में बोल रहीं थीं. इस मौके पर बोलते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि पिछले कई दशकों से सरकार ने सरकारी उपक्रमों में निवेश किया. लेकिन रक्षा क्षेत्र में स्वावलंबन बनने के लिए बेहद जरूरी है कि सरकारी उपक्रम और ओएफबी (यानि ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड्स) को पुर्नजीवित किया जाए और उनके काम करने में तेजी लाई जाए.

उन्होने कहा कि काफी समय से निजी कंपनियां भी रक्षा क्षेत्र में आने की कोशिश कसर रही हैं, मैं उनका स्वागत करती हूं. निर्मला सीतारमण के मुताबिक, रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों को आमंत्रित करने के लिए ही सरकार ने हाल में दो रक्षा-औद्योगिक कोरिडोर्स बनाने का फैसला किया है. इनमें से एक कोयम्बटूर-बेंगलुरू-चेन्नई में बनाया जायेगा, तो दूसरा उत्तर प्रदेश के बुंदलेखंड में बनाया जायेगा.  

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