Wednesday, March 14, 2018

'विंटेज' पड़ चुके हैं भारत के सैन्य साजो-सामान: संसदीय रिपोर्ट


सेना ने रक्षा बजट को लेकर सरकार पर निशाना साधा है. रक्षा मामलों पर संसद की स्थाई समिति से सहसेना प्रमुख लेफ़्टिनेंट जनरल शरथचंद ने कहा है कि हालिया रक्षा बजट से सैन्य आधुनिकीकरण की उम्मीदों को झटका लगा है. वायस चीफ के मुताबिक, मेक इन इण्डिया के लिए 25 सैन्य परियोजनाओं को सूचीबद्ध किया गया थालेकिन उनको अमलीजामा पहनाने के लिए पर्याप्त बजट नहीं है. नतीजतन कुछ परियोजनाएं बंद हो सकती हैं.

लेफ्टिनेंट जनरल शरथचंद ने मेजर जनरल (रिटायर) बीसी खंडूरी की अध्यक्षता वाली संसद की रक्षा मामलों की स्थायी समिति से कहा है कि सेना का 68% सैन्यसाज़ोसामान विंटेज श्रेणी का है यानि पुराना पड़ चुका है. जबकि 24 प्रतिशित हथियार और मशीनरी कोआधुनिक और बाकी 08 प्रतिशत को ही स्टेट ऑफ द आर्ट कहा जा सकता है. रिपोर्ट में उनके हवाले से ही कहा गया है कि जबकि किसी भी सेना के लिए बेहद जरुरी है कि एक-तिहाई सैन्य मशीनरी विंटेज, एक तिहाई आधुनिक और एक तिहाई स्टेट ऑफ द आर्ट श्रेणी की होनी चाहिए.

 संसद की स्थायी समिति की इस रिपोर्ट को मंगलवार को संसद के पटल पर रखा गया. मेजर जनरल बीसी खंडूरी (सेवानिवृत्त)उत्तराखंड के भाजपा सांसद हैं और समितिके प्रमुख हैं. समिति ने 2018-19 के लिए सेना के अनुमानित पूंजी बजट के गैर-आवंटन पर गहरी चिंता व्यक्त की.

सहसेनाध्यक्ष ने संसदीय समिति से कहा है कि 123जारी परियोजनाओं और आपातकालीन खरीद के लिए29,033 करोड़ रूपए दिए जाने हैं, लेकिन 2018-19 के सैन्य बजट में आधुनिकीकरण के लिए 21,338करोड़ रुपये का आवंटन किया गया जो नाकाफी है। वाइस चीफ ने समिति से कहा है कि चीन से सटी सीमा पर सड़कों और ढांचागत सुविधाओं के लिए सेना की मांग से 902 करोड़ रुपये कम मिले हैं।

सेना के वाइस चीफ ने समिति से कहा, "सेना के लिए पूंजीगत बजट आवंटन ने उम्मीदों को धराशायी कर दिया, क्योंकि मुद्रास्फीति के कारण खर्च में बढ़ोतरी के लिए यह पर्याप्त नहीं थाऔर करों को भी पूरा नहीं किया." उन्होनें कहा कि बजट '10-आई के लिए भी पर्याप्त नहीं है यानि 10-दिवसीय तीव्र संघर्ष या आपातकालीन खरीद के लिए सेना की भाषा.

समिति ने कहा कि "इस निराशाजनक स्थिति को ध्यान में रखते हुए स्थिति काफी चिंताजनक है.
रिपोर्ट में टू-फ्रंट वॉर को हकीकत मानते हुए कहा गया है कि चीन और पाकिस्तान अपनी सेनाओं के आधुनिकिकरण में जुटें हुए हैं और हमें भी इस तरफ ध्यान रखना होगा. रिपोर्ट में चीन अब सैन्य स्पर्धा में अमेरिका बनना चाहता है. जबकि हमारे हथियार, मशीनरी, गोला-बारूद और वॉर-स्टोर बेहद पुराने और जंग खा चुके हैं और कमी भी है. रिपोर्ट में वायुसेना को भी टू-फ्रंट वॉर से निपटने के लिए जरूरी साजों-सामान मुहैया करने की सिफारिश की गई है.  

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