Friday, April 6, 2018

भारत की 'गगनशक्ति' !

चीन और पाकिस्तान से एक साथ निपटने के लिए भारतीय वायुसेना अब तक का सबसे बड़ा युद्धभ्यास कर रही है. टू-फ्रंट वॉर के लिए भारतीय वायुसेना देशभर में इस एक्सरसाइज को थलसेना और नौसेना के साथ मिलकर कर रही है. इस युद्धभ्यास को गगन-शक्ति नाम दिया गया है. इसके अलावा सरकार ने वायुसेना की कम होती स्कॉवड्रन के मद्देनजर वायुसेना के लिए 110 लड़ाकू विमान खरीदने का फैसला किया है. इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने आज टेंडर प्रक्रिया शुरु कर दी.
वायुसेना के एक बड़े अधिकारी ने आज बताया कि वायुसेना के करीब 1100 लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, कमान और स्कॉवड्रन इस वक्त एकदम अलर्ट स्थिति में हैं और वायुसेना प्रमुख के आदेश मिलते ही इस युद्धभ्यास को रियल-सिनएरियो में शुरू कर दिया जायेगा. ये अलर्ट 8 अप्रैल से 21 अप्रैल तक रहेगा. एक्सरसाइज को दो चरणो में किया जायेगा. पहले चरण में ये पश्चिमी थियेटर यानि पाकिस्तान से सटी सीमा पर किया जायेगा और दूसरे चरण में उत्तरी थियेटर यानि चीन सीमा पर किया जायेगा.
इसके लिए वायुसेना के सभी एयरबेस और अड्डों के साथ साथ सिविल एयरपोर्ट, सरहदों पर बनी एएलजी यानि एडवांस लैंडिग ग्राउंड और हवाई पट्टियां अलर्ट पर रहेंगी. इसके अलावा सिविल एवियशन विभाग के अधिकारी, एचएएल और बीईएल के अधिकारियों और तकनीकी स्टॉफ भी वायुसेना की इस एक्सरसाइज में मदद करेगी. वायुसेना के करीब 300 अधिकारी और करीब 15 हजार वायुकर्मी हिस्सा ले रहे हैं. भारतीय रेल से भी इस एक्सरसाइज में मदद ले जा रही है. एक्सप्रेस हाईवे पर भी लैडिंग के लिए सिविल प्रशासन की मदद ली जायेगी.
जानकारी के मुताबिक, इस एक्सरसाइज के लिए सभी तरह की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है. यानि अलग-अलग तरह के वॉर-फ्रंट इस युद्धभ्यास में बनाए दर्शाए जायेंगे. यानि सुरक्षात्मक और आक्रमक परिस्थिति तो होंगी ही साथ ही अगर पहले पाकिस्तान हमला करता है तो किस तरह उसका जवाब दिया जायेगा. और अगर पाकिस्तान की मदद के लिए चीन आगे आता है तो फिर भारत उसका मुकाबला कैसे करेगा. वायुसेना को 48 घंटे के भीतर अपने ऑपरेशन्स को शुरू कर देगा. ये ऑपरेशन्स दिन और रात में किए जाएंगे. खासतौर से वैपेन डिलीवरी पर वायुसेना का पूरा जोर रहेगा. यानि कि लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टर्स की बमबारी और मिसाइलों का सटीक निशाना हो. वायुसेना की स्पेशल फोर्सेज़ यानि गरूण कमांडोज़ को स्पेशल ऑपरेशन्स की तैयारी की जायेगी,
नौसेना की मदद से समंदर में भी इस एक्सरसाइज को अंजाम दिया जायेगा. नौसेना की मदद से लॉंग रेंज मेरिटाइम पैट्रोलिंग की जायेगी. ये सब रक्षा मंत्रालय के ज्वाइंट ऑपरेशन्ल डॉकट्रिन की तहत अंजाम दिया जायेगा.
इस एक्सरसाइज के लिए सुखोई और दूसरे लड़ाकू विमानों को असम से सीधे भुज और राजस्थान के रेगिस्तान से सीधे चीन सीमा पर भेजने की तैयारी दी जायेगी ताकि वायुसेना के कम हो रहीं स्कॉवड्रन के बावजूद ऑपरेशन्स में कोई कमी ना हो. इसके अलावा एयरक्राफ्ट्स को ज्यादा से ज्यादा उड़ान भरने के लिए तैयार रखा जायेगा. एचएएल और बीईएल के इंजीनियर्स और टेक्नीशियन्स को एयरबेस पर ही तैनात किया जायेगा ताकि अगर लड़ाकू विमान और रडार सिस्टम में कोई गड़बड़ी हो तो तुरंत उसे सुधार लिया जाए. पूरी एक्सरसाइज नेटवर्क सेंट्रिक होगी. यानि सैटेलाइट के जरिए पूरी एक्सरसाइज को दिल्ली स्थित वायुसेना मुख्यालय से कंट्रोल किया जायेगा.
प्रोटोकॉल के तहत पाकिस्तान को इस एक्सरसाइज की जानकारी दे दी गई है जबकि चीन से भी संपर्क साधा जा सकता है.
हालांकि आज ही रक्षा मंत्रालय ने वायुसेना की कम हो रहीं स्कॉवड्रन को ध्यान में रखते हुए 110 लड़ाकू विमानों को खरीदने के लिए ग्लोबल टेंडर की प्रक्रिया शुरु कर दी है. इनमें से 15 प्रतिशत फाइटर जेट्स सीधे खरीदे जाएंगे और बाकी 85 प्रतिशत मेक इन इंडिया के तहत देश में ही तैयार किए जाएंगे. इसके लिए स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप के तहत कोई भी भारतीय कंपनी किसी विदेशी कंपनी से करार कर इस टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा ले सकती है.
साथ ही इनमें से 25 प्रतिशत टू-इऩ सीटर जेट्स होगें (यानि ट्रेनिंग के लिए) और बाकी 75 प्रतिशत सिंगल-सीटर हैं.

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