भारतीय नौसेना के प्रवक्ता के मुताबिक, लेफ्टिनेंट कमांडर डी एस चौहान ने बहादुरी से आग बुझाने के काम का नेतृत्व किया. आग पर तो काबू पा लिया गया लेकिन इस दौरान आग और धुएं के कारण डीएस चौहान बेहोश हो गए. उन्हें कारवार स्थित नेवल हॉस्पिटल, आईएनएचएस पतंजलि ले जाया गया. लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.
जानकारी के मुताबिक, लेफ्टिनेंट कमांडर डी एस चौहान मध्य प्रदेश के रतलाम इलाके के रहने वाले थे और एक महीना पहले ही उनकी शादी हुई थी. चौहान, विमान-वाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य में एग्जुकेटिव ऑफिसर के पद पर तैनात थे और फायर-फाइटिंग टीम का नेतृत्व भी करते थे. वे सीबीआरएन डिस्साटर यानि कैमिकल, बाईलोजिकल, रेडियोलोजिकल और न्युक्लिर अटैक से लड़ने में भी ट्रैनिंग ले चुके थे.
जानकारी के मुताबिक, 1 मई से आईएनएस विक्रमादित्य को फ्रांस के नौसेना के साथ भारतीय नौसेना के साझा युद्धभ्यास, वरूणा में हिस्सा लेना है. इस एक्सरसाइज के लिए फ्रांस की नौसेना का एयरक्राफ्ट कैरियर, चार्ल्स डी गेयूल भी कारवार पहुंच रहा है जिसपर रफाल लड़ाकू विमान तैनात होते हैं. भारतीय नौसेना के सूत्रों के मुताबिक, क्योंकि विक्रमादित्य में आग इंजन रूम में लगी थी और समय रहते काबू पा लिया गया था इसलिए विमान-वाहक युद्धपोत का ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है और वो वरूणा एक्सरसाइज में हिस्सा लेगा.
बताते चलें कि आईएनएस विक्रमादित्य भारत का एकमात्र एयरक्राफ्ट कैरियर है जिसपर मिग-29के फाइटर जेट सहित कामोव, सीकिंग और चेतक हेलीकॉप्टर तैनात रहते हैं। हाल ही में पुलवामा और बालाकोट में हुई एयर-स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान से हुई तल्खी के बाद विक्रमादित्य को अरब सागर में भारत-पाक आईएमबीएल यानि इंटरनेशनल मेरीटाइम बाउंड्री लाइन के पास तैनात किया गया था। उसपर करीब 1600 नौसैनिक तैनात होते हैं।
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