Tuesday, April 30, 2019

भारतीय सेना के पर्वतरोही दल को मिले 'येती' के निशान


भारतीय सेना ने नेपाल के माऊंट मकालू पर्वत-श्रृंखला में हिम-मानव, येती के होने के निशानों का दावा किया है. येती के पैरों के निशानों के फोटो सेना ने जारी किए हैं. इन पैरों की लंबाई करीब 32 इंच और चौड़ाई 15 इंच है. येती के पैरों के निशान उस वक्त दिखाई पड़े जब भारतीय सेना का एक पर्वतरोही-दल माऊंट मकालू के लिए गया हुआ था. भारतीय सेना के इस दावे ने पूरी दुनिया में कौतहल पैदा कर दिया है. 

सेना ने दावा किया है कि येती के पैरों के निशान के फोटो और वीडियो को सबूत के तौर पर संबधित जानकारों को सौंप दिया गया है ताकि इसपर साईंटेफिक-स्टडी हो सके और इसपर लोगों की दिलचस्पी बढ़ सके. 

जानकारी के मुताबिक, भारतीय सेना का ये पर्वतरोही-दल 27 मार्च को राजधानी दिल्ली से माऊंट मकालू के लिए रवाना हुआ था. इस दल में चार अधिकारी, जो जेसीओ और 11 जवान शामिल थे. दल का नेतृत्व, कुमाऊं रेजीमेंट के मेजर मनोज जोशी कर रहे हैं. दल को राजधानी दिल्ली में डीजीएमटी (यानि सेना के डीजी, मिलिट्री-ट्रैनिंग) ने फ्लैग-ऑफ किया था. बताते चलें कि माऊंट मकालू पर्वत-श्रृंखला तिब्बत (चीन) से सटे नेपाल के खुंभु प्रांत में है और राजधानी काठमांडू से पूर्व की दिशा में करीब 180 किलोमीटर दूर है.  माऊंट एवरेस्ट की दूरी यहां से करीब 40 किलोमीटर है और कंचनजंगा 90 किलोमीटर है. 

सेना मुख्यालय के उच्च-पदस्थ सूत्रों ने एबीपी न्यूज को बताया कि 9 अप्रैल को जब पर्वतरोही दल माऊंट मकालू के रास्ते में लंगमारे-खारका में एक्लेमेटाईजेशन के लिए कैंप कर रहा था तब येती के इन रहस्यमयी पैरों के निशान दिखाई पड़े. तुरंत ही दल के सदस्यों ने कैलीपर की मदद से इन पैरों को नापा तो पता चला कि ये 32 इंच लंबे हैं और 15 इंच चौड़े हैं. लंगमारे-खारका की ऊंचाई करीब 3600 मीटर यानि करीब 12 हजार फीट की ऊंचाई पर है. जबकि माऊंट मकालू दुनिया की पांचवी सबसे ऊंची चोटी है जिसकी ऊंचाई करीब 8485 मीटर यानि करीब साढ़े 27 हजार फीट की ऊंचा्ई पर है. 

मकालू शब्द संस्कृत‌ से निकला है जो महाकाल यानि भगवान शिव से निकला है। स्थानीय‌ भाषा में उसे खुंभ-करण यानि विशालकाय‌ कहा जाता है। 

सूत्रों के मुताबिक, 10 दिन तक सेना के उच्च-अधिकारियों ने इन फोटो और वीडियो की गहन पड़ताल की और जब येती से जुड़ी पुरानी थ्योरी से मिलान  किया तो 29 अप्रैल की रात को आधिकारिक ट्वविटर और इंस्टाग्राम पर फोटो के साथ आधिकारिक तौर से इस जानकारी को साझा किया गया. आपको बता दें कि नेपाल की किवदंतियों में भी इसी माऊंट मकालू-बरूण नेशनल पार्क में ही येती को देखने का जिक्र आता है. 

ट्वविटर पर भारतीय सेना ने फोटो के साथ लिखा, "पहली बार भारतीय सेना के पर्वतरोही दल को 09 अप्रैल 2019 को मकालू बेस के करीब पौराणिक जंगली जानवर (बीस्ट) येती के 32X15 इंच के नाप के रहस्यमयी पैरों के निशान दिखाई पड़े. इससे पहले केवल मकालू-बरूण नेशनल पार्क में इस मायावी हिम-मानव को देखा गया है. "

सेना के मुताबिक, मेजर जोशी के नेतृत्व वाला पर्वतरोधी दल अभी माऊंट मकालू में ही ट्रैकिंग कर रहा है और जून के महीने तक ही वापस आने की उम्मीद है. मेजर मनोज भारतीय‌ सेना के ट्रैनड पर्वतरोही हैं और अबतक तीन बड़ी श्रृंखला चढ़ चुके हैं।

सेना के येती पर दावे के बाद सोशल मीडिया पर जबरदस्त चर्चा है। कुछ सेना की तारीफ कर रहे हैं तो कुछ खिंचाई कर रहे हैं। 

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