Saturday, January 30, 2016

कोस्टगार्ड की 'वीरता' को सम्मान


पिछले साल भारतीय समुद्री सीमा में घुसपैठ की कोशिश कर रही पाकिस्तान की संदिग्ध बोट के खिलाफ कोस्टगार्ड के जिस जहाज ने ऑपरेशन किया था उसके कमांडेंट को रक्षा मंत्री ने 'राष्ट्रपति मेडल' देकर सम्मान दिया है। यानि रक्षा मंत्रालय ने अब इस ऑपरेशन पर खड़े हो रहे सवालों पर लगभग विराम लगा दिया है.

इस मौके पर खुद कमांडेट सी एस जोशी ने पिछले साल की पूर्व संध्या पर गुजरात के तट के करीब अरब सागर में हुए ऑपरेशन की पूरी जानकारी विस्तार से मीडिया को दी।

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने एक अलंकरण समारोह में कोस्टगार्ड के सबसे बड़े पुरस्कार 'राष्ट्रपति तटरक्षक मेडल' से कमांडेंट सी एस जोशी को सम्मानित किया। सी एस जोशी को पाकिस्तानी बोट के खिलाफ सफल ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए ये सम्मान मिला है।

गौरतलब है कि वर्ष 2015 की पूर्व संध्या पर कोस्टगार्ड को खुफिया सूचना मिली थी कि एक संदिग्ध पाकिस्तानी बोट भारत की समुद्री सीमा में घुस आई है। रात के अधेंरे में करीब छह घंटे तक पीछा करने के बाद आखिरकार कोस्टगार्ड के जहाज 'आईसीजीएस राजरतन' ने उसे ढूंढ निकाला। लेकिन जब कमांडेंट सी एस जोशी ने बोट में सवार चारों संदिग्धों को सरेंडर करने की चेतावनी दी , तो बोट में सवार लोगों ने बोट में आग लगा दी।

बकौल कमांडेंट जोशी, "बोट में सवार लोगों को उन्होनें खुद देखा था। वे किसी भी तरह से मछुआरें नहीं दिखाई देते थे। कद-काठी से वे संदिग्ध लोग लग रहे थे।

जोशी के मुताबिक, बोट में आग लगने के बाद कई धमाके सुनाई दिए थे। जिससे संदेह पैदा होता है कि बोट कि टेरर कनेक्शन हो सकता है। यानि, जो बात रक्षा मंत्रालय और कोस्टगार्ड के आला-अधिकारी घटना के बाद से कह रहे थे, उसपर कमांडेंट जोशी ने मुहर लगा दी.

बताते चलें कि इस ऑपरेशन के कुछ दिन बाद ही गुजरात में तैनात कोस्टगार्ड के एक बड़े अधिकारी, बी के लौशाली ने एक सार्वजनिक सभा में ये कहकर सनसनी फैला दी थी कि पाकिस्तानी बोट को उड़ाने का आदेश उन्होनें दिया था. यानि कि रक्षा मंत्रालय और कोस्टगार्ड की थ्यारी (कि बोट में सवार लोगों ने खुद आग लगाई थी, उसपर सवाल खड़े होने लगे थे). 

बोट की घटना के बाद खुद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने इसे 'हराकिरी' करार दिया था. जापान में हराकिरी सैन्य-पंरपंरा से जुड़ी शब्द है, जिसका अर्थ है युद्ध के दौरान हार के डर से आत्महत्या कर लेना. यानि रक्षा मंत्री का तात्पर्य था कि पाकिस्तानी संदिग्ध बोट में सवार लोगों ने पकड़े जाने के डर से बोट में आग लगाकर आत्महत्या कर ली थी. हालांकि, कोस्टगार्ड को मारे गए संदिग्ध लोगों के शव कभी नहीं मिल पाए थे. बाद में रक्षा मंत्रालय ने बोट के आग लगने की तस्वीरें और वीडियो भी जारी किया था. लेकिन लोगों के मन में इस घटना को लेकर संदेह बना रहा. कुछ जानकारों का मानना था कि अगर बोट में गोला-बारुद था जैसाकि रक्षा मंत्रालय और कोस्टगार्ड का आशय था तो आग लगने के बाद बोट के परखच्चे उड़ जाते--लेकिन तस्वीरें देखकर ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा था. वो धूंधूं कर जलती दिख रही थी, यानि बोट में गोला-बारुद की बजाए कोई ज्वलनशील पर्दाथ या चीज रखी हुई थी, जिसके चलते उसमें आग लगी थी (या लगाई गई थी).

रक्षा मंत्रालय और कोस्टगार्ड ने अपनी ही डीआईजी लोशाली के बयान को अनुशासनहीनता के विरुद्ध माना और उन्हे बर्खास्त कर दिया गया--बाद में कोर्ट-मार्शल के बाद नौकरी से बर्खास्त भी कर दिया गया. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, लोशाली घटना के वक्त गुजरात में जरुर तैनात थे, लेकिन उनका इस ऑपरेशन से कोई लेना-देना नहीं था. यानि उन्होनें बोट को उड़ाने का आदेश उन्होनें नहीं दिया था--यानि बोट को कोस्टगार्ड ने नहीं जलाया था.

ऐसे में राजरत्न जहाज़ के कप्तान को वीरता मेडल प्रदान कर रक्षा मंत्रालय और कोस्टगार्ड ने साफ़ कर दिया है की पाकिस्तानी बोट के ऑपरेशन पर कोई संदेह नहीं होना चाहिए-- बोट का पीछा करते हुए पकडे जाने के डर से संदिग्ध लोगो ने ही उसमे आग लगायी थी.  



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