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सैनिकों से मिलते रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर |
रक्षा
मंत्री मनोहर पर्रिकर गुरुवार को राजधानी दिल्ली में रक्षा-बजट के बारे में मीडिया
को सम्बोधित कर रहे थे. एक सवाल के जवाब में कि क्या देश इतने भारी-भरकम
रक्षा बजट को सहन कर सकता है, पर्रिकर ने कहा कि उन्होनें खुद सेनाओं को सलाह दी है कि वे फालतू खर्चे ना करे.
इस
साल के आम बजट का 17.23% हिस्सा रक्षा बजट के लिए रखा गया है. इस साल रक्षा
बजट करीब 3.41 लाख करोड़ रुपये है. इसमें से करीब 80 हजार करोड़़ सेनाओं के
आधुनिकीकरण और 82 हजार करोड़ (रक्षा) पेंशन के लिए निर्धारित किया गया है.
बाकी बजट सेना की सैलरी पर खर्च होता है.
गौरतलब है की 13 लाख की भारतीय सेना दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओ में से एक है. लेकिन समय समय पर इतनी बड़ी सेना के औचित्य पर ही जानकार सवाल खड़े करते आएं हैं.
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प्रेस को सम्बोधित करते रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर |
उदाहरण
देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि आज के दौर मे सेनाओं को टेलीफोन-ऑपरेटर्स
की जरुरत नहीं है तो भी हर रेजीॉमेंट में उसकी पोस्ट बनी हुई है. साथ ही
कहा कि नॉन-कॉम्बेट ट्रैनिंग को ज्यादा से ज्यादा फील़्ड की बजाए
सिम्युलेटर पर करनी चाहिए. वायुसेना का भी उदाहरण देते हुए रक्षा मंत्री ने
कहा कि एक पायलेट को अगर 300 घंटों की फ्लाईंग की ट्रैनिंग करनी है तो उसे
बजाए पूरा समय हवा में ट्रैनिंग लेने के, आधा वक्त सिम्युलेटर पर भी
ट्रैनिंग लेनी चाहिए.
हालांकि
रक्षा मंत्री ने उन सभी अटकलों को मीडिया के सामने दूर कर दिया जिसमें ये
बात लगातार उठ रही थी कि सरकार सेना के लिए बेहद जरुरी माउंटेन स्ट्राइक
कोर का बजट कम करने जा रही है या उसे छोटा करने जा रही है. माना जा रहा है
कि भारतीय सेना के ये स्ट्राइक कोर चीन की बढ़ती ताकत से टक्कर लेने के लिए
खड़ी की जा रही है.
पर्रिकर
ने ये भी कहा कि इस साल अमेरिका सरकार के खाते में पड़े तीन बिलियन डॉलर
(करीब 2 खरब रुपये) में से 1.3 बिलियन डॉलर निकाल लिए हैं. क्योंकि इतनी
बड़ी रकम पिछले कई सालों से बिना किसी कारण से पड़ी हुई थी. भारत सरकार ने
ये रकम अमेरिका में फॉरेन मिलेट्री सेल्स (एफएमएस) के लिए जमा कराई थी.
लेकिन रक्षा सौदोेें में हो रही देरी के कारण इसका कोई उपयोग नहीं हो रहा
था, इसलिए इसका एक बड़ा हिस्सा रक्षा मंत्रालय ने निकाल लिया है.
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