Friday, March 17, 2017

हथियारों के सबसे बड़े आयातक का 'टैग' हटाना चाहती है मोदी सरकार


रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि देश पर लगे सबसे बड़े हथियारों के आयातक के 'टैग' से सरकार खुश नहीं हैं. इसलिए मोदी सरकार चाहती हैं कि भारत का सबसे बड़ा आयातक देश रशिया हमारे देश में ही स्पेयर-पार्टस बनाने का काम करें.

रक्षा और वित्त मंत्री अरुण जेटली आज भारत-रशिया मिलेट्री इंडिस्ट्रियल कांफ्रेंस के उद्घाटन समारोह में राजधानी दिल्ली में बोल रहे थे. जेटली के मुताबिक, रशिया भारत का सबसे बड़ा स्ट्रेटेजिक-पार्टनर है और सबसे ज्यादा हथियार और सैन्य साजों-सामान भारत को रशिया से ही मिलता है. इसलिए वे चाहते हैं कि रशियन कंपनियां प्रधानमंत्री के मेक इंन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत इन मिलेट्री-प्लेटफार्म्स के स्पेयर-पार्ट्स भारत में ही बनाने का काम करें. रक्षा मंत्री के मुताबिक, इससे भारत पर लगा सबसे बड़े आयातक का 'लेबल' तो हट ही जायेगा साथ ही सेनाओं को समय से स्पेयर पार्ट्स भी मिल सकेंगे.

भारत ने पहली बार किसी देश के साथ इस तरह का मिलेट्री इंडिस्ट्रियल सम्मेलन आयोजित किया है. ये साल भारत और रशिया के कूटनीतिक संबंधों का 70वां साल भी है. जेटली के मुताबिक, रशिया भारत का मुसीबत के समय का सामरिक-साथी (स्ट्रेटेजिक-पार्टनर’) है.

इस मौके पर बोलते हुए रशिया के ट्रैड और इंडस्ट्री मंत्री डेनिस मैंन्ट्यूरोव ने कहा कि रशिया भारत का भरोसेमंद और एकलौता ऐसा देश है जो भारत को तकनीक भी साझा करता है. उन्होनें कहा कि भविष्य में भी रशिया भारत को साजों-सामान देता रहेगा.

भारतीय सेनाओं को रशिया से सबसे ज्यादा हथियार और मिलेट्री-प्लेटफार्म्स मिलते हैं. इनमें नौसेना की पनडुब्बी (परमाणु भी), युद्धपोत, एयरक्राफ्ट कैरियर, मिग लड़ाकू विमानों से लेकर टैंक शामिल हैं. इसके अलावा भारत और रशिया मिलकर ब्रह्मोस मिसाइल और सुखोई लड़ाकू विमान भी मिलकर बनाते हैं.

दो दिन के सैन्य-सम्मलेन के दौरान आज एचएएल और रशियान कंपनियों के बीच सुखोई विमानों के स्पेयर पार्ट्स को लेकर पांच साल का करार हुआ.  

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