Monday, February 27, 2017

गुरमेहर के पिता शहीद तो हैं लेकिन करगिल युद्ध के नहीं !


दिल्ली विश्वविद्यालय की जिस छात्रा गुरमेहर कौर का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है और जिसकों लेकर विवाद खड़ा हुआ है, उसके पिता सेना के अधिकारी थे और आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हुए थे.

सेना के रिकॉर्ड्स के मुताबिक, कैप्टन मंदीप सिंह अगस्त 1999 में जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा सेक्टर में आतंकियों से हुई एक एनकाउंटर में शहीद हो गए थे.

रिकॉर्ड्स के मुताबिक, वे सेना की एयर-डिफेंस रेजीमेंट के अधिकारी थे और करगिल युद्ध के तुरंत बाद यानि अगस्त 1999 में सेना की राष्ट्रीय राईफल्स यूनिट (4 आरआर) में तैनात थे. सेना की आरआर यूनिट कश्मीर में सीआईऑप्स यानि काउंटर-इनसर्जेंसी ऑपरेशन करती है. इसी एक ऑपरेशन के दौरान वे शहीद हो गए.

सूत्रों के मुताबिक, गुरमेहर के पिता कैप्टन मंदीप सिंह ने करगिल युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी थी. उस वक्त वे 4 राष्ट्रीय राईफल्स में तैनात थे. लेकिन वे करगिल युद्ध के दौरान शहीद नहीं हुए थे. करगिल युद्ध 26 जुलाई 1999 को आधिकारिक तौर से खत्म हो गया था. हालांकि ये भी बात सही है कि शहीद, शहीद होता है चाहे वो  दुश्मन के खिलाफ जंग लड़ते हुए देश के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दे या फिर आतंकियों से लड़ते हुए प्रॉक्सी-वॉर में.

मूलरुप से पंजाब के जालंधर के रहने वाले कैप्टन मंदीप सिंह अपने साथियों के बीच हैरी के नाम से मशहूर थे. कॉलेज में पढ़ने के दौरान उन्हें बॉडी-बिल्डिंग का शौक था और उन्होनें मिस्टर पंजाब और मिस्टर जालंधर प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया था.

अपने पिता की मौत के दौरान गुरमेहर महज़ दो (02) साल की थी. इनदिनों वो राजधानी दिल्ली के जानेमाने लेडी श्रीराम कॉलेज में पढ़ रही है. 
 22 फरवरी को रामदस कॉलेज में छात्रों के दो गुटों में हुई झड़प के बाद, गुरमेहर ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में एक छात्र-संगठन के खिलाफ पोस्ट डाली थी. ऐसे मे विरोधी गुट ने उसका छह महीने पुराना एक वीडियो वायरल कर दिया जिसमें वो अपने पिता को 'करगिल युद्ध का शहीद' बताते हुए कह रही थी कि उसके पिता को 'पाकिस्तान ने नहीं बल्कि युद्ध ने मारा है.' बस इसके बाद से ही सोशल मीडिया से लेकर दिल्ली यूनिवर्सिटी की सड़कों पर हंगामा बरपा हुआ है.

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