सोशल मीडिया आंतकवाद के खिलाफ जंग लड़ने में अहम भूमिका निभा रहा है. ये मानना है सूचना एवम प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन राठौर का. राठौर के मुताबिक, आतंकवाद के खिलाफ जंग में सुरक्षा एजेंसियों को प्राईवेट सेक्टर की मदद लेनी चाहिए. सोशल मीडिया के जरिए आतंकियों की पहचान कराने में प्राईवेट सेक्टर की भूमिका की तारीफ करते हुए सेना के पूर्व कर्नल ने कहा कि आतंकवाद से लड़ने के लिए इंटेलीजेंस, टेक्नोलोजी और सामरिक-रणनीति का समन्वय बेहद जरुरी है.
राज्यवर्धन राठौर आज राजधानी दिल्ली के करीब मानेसर स्थित एनएसजी कैंपस में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन को संबोधित कर रहे थे. इस मौके पर राठौर ने कहा कि आंतकियों के लिए कोई सरहद या सीमा नहीं होती, जबकि सेनाओं और सुरक्षा एजेसिंयों को अपने निश्चित बॉर्डर्स में काम करना होता है. हाल ही में हैदराबाद से पकड़े गए आईएसआईएस के एक आंतकी का हवाला देते हुए, सूचना एवम प्रसारण राज्यमंत्री ने कहा कि वो आतंकी सीरिया में बैठे अपने आकाओं से निर्देश लेकर महाराष्ट्र के तट पर हथियारों की एक कंसाईनमेंट लेने वाला था. टी.वी चैनल्स के सिग्नल्स के तरह ही अल-कायदा और आईएसआईएस के आंतकी भी दुनिया के किसी भी कोने में अपने संपर्क-सूत्रों से दिशा-निर्देश लेते रहते हैं.
सेना में कर्नल के पद से रिटायर हुए राज्यवर्धन राठौर ने कहा कि वे ‘लोन-वुल्फ’ जैसी किसी थ्योरी को नहीं मानते हैं. उन्होनें कहा कि आंतकियों की कमर तोड़ने के लिए टेरर-फंडिग पर लगाम लगानी बेहद जरुरी है. अमेरिका का जिक्र करते हुए राठौर ने कहा कि 9-11 के हमले के बाद जिस तरह से वहां पर टेरर-फंडिग पर रोक लगाई गई है उसी का नतीजा है कि वहां पर अब आतंकी हमले काफी कम हो गए हैं. राठौर के मुताबिक, हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नोटबंदी के फैसले से जम्मू-कश्मीर में पथराव और माओवादियों की हिंसक घटनाओं में कमी आई है. लेकिन उन्होनें कहा कि नोटबंदी के दीर्घकालिक परिणाम अभी दिखने बाकी हैं.
सेमिनार को संबोधित करने से पहले राज्यवर्धन राठौर ने एनएसजी के नेशनल काउंटर टेरेरिज्म इंस्टीट्यूट के ऑडिटोरियम का उद्घाटन किया. इस ऑडिटोरियम का नाम पठानकोट हमले में शहीद हुए लेफ्टिनेंट कर्नल, निरंजन कुमार के पर रखा गया है. जनवरी 2016 में पठानकोट हमले के बाद एक आईईडी को निष्कृय करने के दौरान निरंजन कुमार शहीद हो गए थे. एनएसजी के मुताबिक, वर्ष 2016 में आईईडी से जुड़ी कुल 300 घटनाएं सामने आईँ, जिनमे करीब 100 लोगों की जान चली गई. हर साल एनएसजी, आंतकवाद और आईईडी से जुड़ा एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करती है, जिसमें देश-विदेश के डेलीगेट्स हिस्सा लेते हैं.
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