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भारत-चीन साझा युद्धभ्यास 'हैड इन हैंड' युनान में शुरु |
भारत और चीन
के बीच साझा युद्धभ्यास 'हैंड इन हैंड' आज से शुरु हो गया. चीन के युनान प्रांत
में कुनमिंग मिलेट्री एकेडमी में आज शुरु हुआ ये युद्धभ्यास 23 अक्टूबर तक चलेगा. ये युद्धभ्यास ऐसे समय में हो रहा है जब भारतीय नौसेना
बंगाल की खाड़ी में अमेरिका और
जापान के साथ आज से ही साझा युद्धभ्यास , 'मालाबार' शुरु कर रही है. भारत के अमेरिका और जापान के साथ इस गठजोड़ का चीन हमेशा से विरोध
करता आया है.
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए)
और भारतीय सेना की टुकड़िया अगले 12 दिनों तक काउंटर-टेरिरज्म और प्राकृतिक आपदा के दौरान
दोनों देशों की सेनाएं किस तरह साझा सहायता अभियान
चला सकती हैं उसकों लेकर युद्धभ्यास करेंगी. पिछले पांच सालों से दोनों देशों की सेनाएं
इस युद्धभ्यास को अंजाम देती हैं.
ये य़ुद्धभ्यास एक साल भारत में होता है और एक साल चीन में होता है. इस साल भारतीय सेना की कमान
संभाली है लेफ्टिनेंट जनरल सुरेन्द्र सिंह ने और चीन की लेफ्टिनेंट जनरल चूओ शियोचूओ ने.
युद्धभ्यास
के शुभारंभ समारोह में आज दोनों सेनाओं के जवानों ने मार्शल आर्ट्स और योग
क्रार्यक्रम का आयोजन किया.
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भारत और चीन की सेनाओं के जवान हैंड इन हैंड युद्धभ्यास में |
इस बीच आज से ही बंगाल
की खाड़ी में भारत-अमेरिका और जापान का साझा नौसैनिक युद्धभ्यास भी शुरु हो गया
है. करीब आठ साल बाद तीनों देश एक साथ मिलकर भारत में साझा युद्धभ्यास कर रहे हैं.
2007 में जब तीनों देशों ने एक साथ मालाबार नाम की इस एक्सरसाइज को किया था, तो
चीन ने भारत से अपना विरोध दर्ज कराया था. चीन को लगता है कि भारत का अमेरिका और
जापान से ये गठजोड़ उसके खिलाफ है. उसके बाद से भारत ने जापान को इस युद्धभ्यास
में आमंत्रित करना बंद कर दिया था. हालांकि अमेरिका के साथ भारत का युद्धभ्यास हर
दो साल में होता था. लेकिन एक बार फिर भारत ने जापान को मालाबार एक्सरसाइज का
हिस्सा बनाया है.
दरअसल, भारत के
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जापान से नजदीकियां किसी से छिपी नहीं रहीं हैं.
यही वजह है कि जापान को इस साल युद्धभ्यास में शामिल करने में कोई दिक्कत नहीं आई.
चीन के भारत के साथ-साथ जापान से हमेशा से ही तल्ख रिश्ते रहे हैं. साथ ही अमेरिका
दक्षिणी चीन सागर में चीन के बढ़ते संप्रभुत्व के खिलाफ है. दरअसल, चीन दक्षिणी
चीन सागर में किसी दूसरे देश की नौसेना को देखना नहीं चाहता है. लेकिन अमेरिका
इसके खिलाफ है. भारत भी अमेरिका का साथ दे रहा है. इस साल गणतंत्र दिवस के मौके पर
जब अमेरिका राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत के दौरे पर आए थे तो पीएम मोदी ने अपने
भाषण में खासतौर से दक्षिणी चीन सागर में ‘फ्री-मूवमेंट’ पर जोर दिया था. यही वजह है कि चीन भारत-अमेरिका-जापान के गठजोड़ को तिरछी निगाहों
से देखता है. अभी इस युद्धभ्यास पर चीन की प्रतिक्रिया आनी बाकी है.
खास बात ये है कि इस
बार मालाबार युद्धभ्यास में अमेरिका अपने सबसे बड़े न्यूक्लियर एयरक्राफ्ट कैरियर, ‘रुजवेल्ट’ को लेकर भारत आया
है. निमिट्ज क्लास का ये परमाणु विमानवाहक युद्धपोत करीब एक लाख टन का है और इसपर
एक साथ नब्बे (90) लड़ाकू विमानों को तैनात किया जा सकता है. इसके अलावा अमेरिकी नौसेना की सेंट्रल कमांड (‘सेंटकोम’) के तीन और
युद्धपोत इस अभ्यास में हिस्सा ले रहे हैं.
अमेरिका नौसेना दुनिया की सबसे बड़ी और
ताकतवर नौसेना मानी जाती है. अमेरिका की थलसेना और वायुसेना भी इतनी ताकतवर नहीं
मानी जाती हैं जितना उसकी नौसेना का पूरी दुनिया में दबदबा माना जाता है. गौरतलब
है कि अमेरिका नौसेना के पास निमिट्ज क्लास के करीब 10 एयरक्राफ्ट कैरियर हैं. ये
विमानवाहक युद्धपोत दुनिया के हर कोने में तैनात रहते हैं. ‘रुजवेल्ट’ भी सेंटकोम के तहत
पारस की खाड़ी में तैनात रहता है. हाल ही में आईएस (इस्लामिक स्टेट) के लड़ाकूओं के खिलाफ ईराक और सीरिया में रुजवेल्ट ने अहम भूमिका निभाई थी.
अमेरिका नौसेना दुनिया की एकमात्र ऐसी नौसेना है
जिसके पास एक-दो नहीं बल्कि 10-10 एयरक्राफ्ट कैरियर है. अमेरिका के बाद इटली और भारत
ही ऐसे दो देश हैं जिनके पास दो विमानवाहक युद्धपोत हैं (भारत का एक एयरक्राफ्ट
कैरयिर अगले साल रिटायर होने वाला है). यहां तक की रशिया, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन
के पास भी एक-एक ही एयरक्राफ्ट कैरियर है.
भारतीय नौसेना के भी
करीब आधा-दर्जन युद्धपोत और एक पनडुब्बी, ‘सिंधुध्वज’ इसमें शामिल हो रही है. जापान का एक युद्धपोत, ‘फुयोजुकी’ मालाबार-युद्धभ्यास में भाग ले रहा है.
मालाबार एक्सरसाइज
के पहले चार दिन यानि 12-15 अक्टूबर तक तीनों देशों की नौसेनाएं चेन्नई के तट पर
ही युद्धभ्यास करेंगी. 15 अक्टूबर को चेन्नई में तीनों देशों के बड़े सैन्य
अधिकारी मीडिया को एक साथ संबोधित भी करेंगे. इसके बाद यानि 16-19 अक्टूबर तक
तीनों देशों की नौसेनाएं बंगाल की खाड़ी में युद्धभ्यास करेंगी.
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