Tuesday, May 15, 2018

भारतीय सेना को मिलेंगी दक्षिण कोरिया से तोपें

पूर्वी सुदूर देश, दक्षिण कोरिया से भारत के सैन्य संबंधों को नया आयाम मिलने जा रहा है। जल्द ही भारतीय सेना को दक्षिण कोरिया से 100 तोपें मिलने जा रही हैं। भारत की एल एंड टी कंपनी ने इसके लिए दक्षिण कोरिया की एक कंपनी से करार किया है। भारतीय सेना के एक बड़े अधिकारी ने एबीपी न्यूज को बताया कि कोरिया की 'के-9' तोप के ट्रायल सफल रहे हैं और जल्द ही इन्हें सेना के तोपखाने में शामिल कर लिया जायेगा। इसके अलावा रक्षा मंत्रालय ने सेना के लिए 814 नई तोपों के लिए आरएफआई (टेंडर प्रकिया) जारी कर दी है।

जानकारी के मुताबिक,  मेक इन इंडिया के तहत दक्षिण कोरिया की एक बड़ी कंपनी,हानवा-टेकविन भारत की एल एंड टी के साथ मिलकर भारतीय सेना के लिए 100 आर्टेलैरी-गन बना रही है। भारत में इन तोपों को 'के9 वज्र-टी' का नाम दिया गया है।

155x52 कैलेबर की ये तोपें पुणे के करीब तालेगांव में एल एंड टी के प्लांट में तैयार की जा रही हैं। इस प्रोजेक्ट में एल एंड टी और कोरियाई कंपनी, हानवा-टेकविन की 50-50 प्रतिशत भागेदारी है।

आपको यहां ये बता दें कि कुछ महीने पहले जब दक्षिण कोरियाई सरकार के निमंत्रण पर एबीपी न्यूज की टीम सियोल के करीब दक्षिण कोरियाई सेना के एक मिलिट्री-बेस पर गई थी तो वहां खासतौर से के-9 तोपों का फायर पॉवर डेमोंशट्रेशन दिखाया गया था। दक्षिण कोरिया की सेना वर्ष 1999 से इन तोपों का इस्तेमाल कर रही है।
भारतीय सेना के मुताबिक, टैंक नुमा ये खास तरह की 'के9 वज्र' तोप रेगिस्तानी इलाकों के लिए तैयार की गई है. बताते चलें कि भारत की एक लंबी सीमा जो पाकिस्तान से सटी हुई है वो राजस्थान के थार-रेगिस्तान से होकर गुजरती है. ये होवित्जर गन चालीस (40) किलोमीटर तक मार कर सकती है. साथ ही चार किलोमीटर की दूरी पर बने दुश्मन के बंकर और टैंकों को भी तबाह करने में सक्षम है. ये सेल्फ प्रोपेलड ट्रेक्ड तोपें हैं।

ये के-9 तोप दक्षिण कोरिया के साथ साथ यूएई, पोलैंड और फिनलैंड जैसे देश इस्तेमाल कर रही हैं.

भारतीय सेना के अधिकारी के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय
ने आर्टिलरी गन यानि तोपखाने के आधुनिकरण प्रक्रिया को तेज करते हुए 814 ट्रक माउंटेड आर्टिलरी गन के लिए रिक्वेस्ट ऑफ़ इनफ़ॉर्मेशन (आरएफआई) जारी किया है। ये तोपें 'बाय ग्लोबल' के तहत सेना के लिए खरीदी जाएंगी। यानि भारतीय कंपनियों किसी विदेशी कंपनी के साथ मिलकर ये तोपें सेना को मुहैया करा सकती हैं।

पंद्रह हज़ार करोंड से ज़्यादा की क़ीमत की ये 155 एमएम X 52 कैलिबर की तोपों भारतीय सेना की ताक़त को और बढ़ाएँगे। इस तरह की माउंटेड गन सिस्टम को बनाने के लिए पहले से ही कई विदेश कंपनियों ने भारतीय कंपनियों से क़रार कर इस पर काम भी शुरू कर दिया है।  भारतीय सेना के आधुनिकीकरण के लिए सरकार स्वदेशी कंपनियों को तवज्जो दे रही है।

फिलहाल सेना आर्टिलरीं गन्स की कमी से जूझ रही है।  1999 में शुरू हुए सेना के आधुनिकीकरण के प्लान में आर्टिलरी तोपें सबसे अहम थीं, जिसमें साल 2027 तक 2800 तोपें भारतीय सेना में शामिल करने का लक्ष्य है।

इसके लिए 155 एमएम की अलग अलग कैलिबर की तोपें ली जानी है। इनमें से 1580 टोड तोप जो की गाड़ियों के ज़रिये खींची जाने वाली हैं और 814 ट्रक माउंटेड गन यानी गाड़ियों पर बनी तोपें हैं (जिनकी आरएफआई जारी की गई है)।

100 तोपें सेल्फ़ प्रोपेल्ड ट्रैक्ड हैं जो रेगिस्तानी इलाक़ों के लिए हैं (के9) और 145 अल्ट्रा लाईट होवित्जर तोपें (एम777 जो अमेरिका से ली जा रही हैं) हैं जिन्हें हैलिकॉप्टर के जरिए उन पहाड़ी इलाक़ों तक ले जाया जा सकता है जहाँ सड़कों के जरिए पहुँच पाना थोड़ी मुश्किल होता है।

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