Friday, May 18, 2018

इतिहास रचकर भारत पहुंचा 'नाविका सागर परिक्रमा' महिलादल

पिछले आठ महीने में पूरी दुनिया का चक्कर लगाकर भारतीय नौसेना की महिला टीम ने इतिहास रच दिया है। 'नाविका सागर परिक्रमा' की टीम अब भारत की समुद्री सीमा में दाखिल हो गई है। 21 मई को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा गोवा के तट पर महिला टीम और उनकी बोट, आईएनएसवी तारिणी का स्वागत करेंगी।

भारतीय नौसेना के मुताबिक, शुक्रवार को  तारिणी  की लोकेशन अरब सागर में गोवा से करीब 115 नॉटिकल मील थी (यानि करीब 212 किलोमीटर)। पिछले आठ महीने में तारिणी और भारतीय नौसेना की महिला टीम ने करीब 21 हजार छह सौ नॉटिकल मील का सफर पूरा किया है। टीम का नेत्तृव कर रही हैं लेफ्टिनेंट कमांडर, वतृिका जोशी। टीम की बाकी पांच सदस्य हैं लेफ्टिनेंट कमांडर स्वाथि पी, लेफ्टिनेंट कमांडर प्रतिभा जामवाल, लेफ्टिनेंट पायल गुप्ता और लेफ्टिनेंट ऐश्वर्या बोडापट्टी।

10 सितबंर 2017 को गोवा के तट से ही पूरी दुनिया का चक्कर लगाने के लिए निकली तारिणी की टीम जाने से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से राजधानी दिल्ली में मिली थीं। यहां तक की जब टीम समंदर में ही थी तो पीएम ने उनसे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए भी बात की थी। अपनी छोटी सी बोट (यॉट) तारिणी से दुनिया 'फतह' करने निकली इस टीम का मकसद है देश की नारी शक्ति का प्रदर्शन करना और युवाओं को नौसेना की रोमांचक दुनिया की तरफ आकर्षित करना।

अपने करीब आठ महीने की इस सागर परिक्रमा को तारिणी की टीम ने छह चरणों में पूरी की। इस दौरान उन्होनें पांच देशों की यात्रा की, चार महाद्वीप और तीन महासागर से होते हुए अपनी यॉट से इस अभियान को पूरा कर इतिहास रचा है। आजतक दुनियाभर में किसी महिला टीम ने ऐसा नहीं किया है।

अपने इस अभियान के दौरान तारिणी ने कुल पांच बंदरगाह पर विश्राम किया--फ्रिमेंटल (आस्ट्रेलिया), लियेलईटन (न्यूजीलैंड), अर्जन्टीना के करीब पोर्ट स्टेनैले (फॉकलैंड आईलैंड), केप टाउन (साउथ अफ्रीका) और मॉरीशस। जहां जहां तारिणी पहुंची, वहां उसकी टीम का जोरदार स्वागत हुआ। सभी स्थानीय गर्वनर, हाई कमीशन और लोगों ने तारिणी का जमकर स्वागत किया।

लेकिन इस दौरान तारिणी का यात्रा को काफी मुश्किल दौर से भी गुजरना पड़ा। प्रशांत महासागर में करीब छह मीटर उंची लहरें और 60 नॉट्स की हवाओं का सामना करना पड़ा। मॉरीशस पहुंचकर बोट का स्टेयरिंग तक टूट गया था। लेकिन भारतीय नौसेना की इन छह महिला अधिकारियों ने हार नहीं मानी और अपने अभियान को पूरा कर ही दम लिया। यही वजह है कि सोमवार को जब वे गोवा के तट पर पहुंचेंगी तो खुद रक्षा मंत्री उनकी आगवानी करने पहुंचेंगी।

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