Monday, May 21, 2018

बेहद जरूरी है अंतरिक्ष की निगहबानी: रक्षा मंत्री


स्पेस यानि अंतरिक्ष की निगहबानी बेहद जरूरी है ताकि अगर वहां कुछ घटनाक्रम हो तो भारत तैयार रहे। इस निगरानी के लिए 'आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस' काफी मददगार साबित हो सकती है। ये कहना है देश की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण का।

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण आज राजधानी दिल्ली में   'आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस इन नेशनल सिक्योरिटी एंड डिफेंस' नाम के सेमिनार में बोल रही थीं। रक्षा मंत्री के मुताबिक, हमें "अंतरिक्ष की अच्छे से मॉनिटरिंग करनी है ताकि अगर वहां कुछ हो जाए तो हम ऐसा ना हो कि कुछ कर ना पाएं।"

आपको यहां बता दें कि भारत के पड़ोसी देश चीन ने एंटी-सैटेलाइट मिसाइल तैयार कर ली है। 'ए-सैट' नाम की ये मिसाइल स्पेस में दुश्मन के सैटेलाइट को मार गिरा सकती है। चीन ने कुछ साल पहले इस ए-सैट मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। युद्ध की स्थिति में चीन अपने दुश्मन देश के सैटेलाइट को टारगेट कर नेवीगेशन और दूसरे कम्युनिकेशन को बंद कर सकता है।

यही वजह है रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने सशस्त्र सेनाओं, मिलिट्री साईंटिस्ट्स और आईटी प्रोफेनल्स की मौजूदगी में आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस यानि एआई के जरिए स्पेस की निगरानी करने पर जोर दिया। इस सेमिनार में वायुसेना के वायस चीफ, एयर मार्शल एस बी देव, थलसेना के उपप्रमुख सहित नौसेना, डीआरडीओं और प्राईवेट डिफेंस कंपनियों के प्रतिनिधि मौजूद थे।

रक्षा मंत्री ने कहा कि थलसेना, वायुसेना और नौसेना के साथ साथ 'आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस' आज के दौर में साइबर और न्युक्लिर वॉरफेयर को क्षेत्र में बेहद उपयोगी है।

आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस यानि एआई कम्पयूटर, मशीन्स और रॉबोट्स का एक ऐसा समूह होता है जो ठीक वैसा ही सोचता है जैसाकि एक आदमी का दिमाग सोचता है, लेकिन वो आदमी के दिमाग से कहीं ज्यादा तेज काम करता है। यहां तक की वो किसी भी गलती को तुरंत पकड़ लेता है। यही वजह है कि सेनाओं और दूसरे क्षेत्र जहां डाटा बहुत ज्यादा होता है वहां दुनियाभर में एआई का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। यूएस, चीन, रशिया और जर्मनी जैसे दुनियाभर में चुनिंदा ही देश हैं जहां सैन्य-क्षेत्र में आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल किया जा रहा है। चीन ने तो अपनेआप को 2030 तक एआई का ग्लोबल लीडर बनाने की घोषणा कर दी है।

सेमिनार में बोलते हुए रक्षा सचिव (उत्पादन) डॉ अजय कुमार ने कहा कि सीमा पर एक जवान के लिए अपनी ड्यूटी करना बेहद मुश्किल काम होता है। एक जवान के लिए चौबीसों घंटे निगरानी करने थोड़ा मुश्किल होता है। लेकिन अगर यही काम रोबोट या फिर कोई मशीन करती है तो वो ना तो थकेगी और ना ही किसी जवान की कीमती जान ही जायेगी। साथ ही मशीन नैनो-सेकेंड में अपना काम शुरू कर देगी।

इस मौके पर बोलते हुए एयर मार्शल एस बी देव ने कहा कि आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल युद्ध लड़ने, टारगेट हिट करने और वहां किया जा सकता है जहां हमारे हथियार चाहते हैं। हाल ही में संपन्न हुई गगनशक्ति एक्सरसाइज का जिक्र करते हुए एस बी देव ने कहा कि हमने एआई का इस्तेमाल बड़ी तादाद में आ रहे डाटा को फिल्टर करने के लिए किया था।

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