Tuesday, December 29, 2015

14 जनवरी होगा 'वेटरेन्स-डे': पूर्व-यौद्धाओं को सम्मान


पूर्व-सैनिकों को सम्मान देने की मंशा से सरकार ने अब हर साल 14 जनवरी को 'वेटरेन्स-डे' मनाने का निश्चय किया है. वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) पर छीछालेदर करा चुकी सरकार, भूतपूर्व-सैनिकों को भरसक मनाने की कोशिश कर रही है। उसी कड़ी में ये कदम उठाया गया है.

बताते चले कि अमेरिका और कई दूसरे देशों मे काफी पहले से वेटरेन्स-डे मनाया जाता है. अमेरिका मे हर साल 11 नबम्बर का दिन 'पूर्व-यौद्धाओं' के नाम होता है. सरकारी संस्थानों के साथ साथ स्कूल भी बंद रहते हैं. इससे स्कूली बच्चों में अपनी सेना और (पूर्व) सैनिकों के प्रति सम्मान बढ़ता है.

रक्षा मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक, देशभर मे 14 जनवरी को 'पूर्व-सैनिक दिवस' मनाने के साथ साथ पूर्व-सैनिकों के लिए सेना में अब एक अलग डायरेक्टरेट (निदेशालय) बनाया गया है. थलसेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग सेना दिवस से ठीक एक दिन पहले यानि 14 जनवरी को ही इस विभाग का विधिवत उदघाटन करेंगे. सेना दिवस 15 जनवरी को मनाया जाता है.

लेकिन हमारे देश में वेटरेन्स डे किस तरह मनाया जायेगा, इसके बारे में अभीतक कोई खुलासा नहीं किया गया है. क्या अमेरिका की तर्ज पर सरकारी संस्थान और स्कूल बंद होगा, इसकी उम्मीद हालांकि कम लगती है. लेकिन थलसेना, वायुसेना और नौसेना के करीब 25 लाख पूर्व-सैनिकों को सम्मान देने की पहल मोदी सरकार ने शुरु कर दी है. हमारे देश के यौद्धाओं ने प्रथम विश्वयुद्ध से लेकर 1948, 62, 65, 71 और कारगिल की लड़ाई कर में अपने बहादुरी के झंड़े गाड़े हैं, लेकिन वे अभी भी देश की बाकी जनता से अलग-थलग दिखाई पड़ते हैं. इस कोशिश से (वेटरेन्स डे के जरिए) उन्हे देश की मुख्यधारा में लाने का अवसर सरकार देने जा रही है. 

गौरतलब है कि सेना प्रमुख हर महीने रिटायर होने वाले अधिकारियों से एक बार जरूर मिलते हैं और उनसे उनके अनुभव के बारे में जानते हैं. साथ ही उनके लंबी सेवा के अनुभव के चलते सेना की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने की जानकारी भी लेते हैं. लेकिन सेना में इस नए विभाग के बन जाने से पूर्व-सैनिक अपनी समस्याएं को सीधे सेना के जरिए सरकार तक पहुंचा सकेंगे.

पिछले छह महीने सरकार, सेना और भूतपूर्व-सैनिकों के नजरिए से कुछ ठीक नहीं रहा है. जून के महीने से ही पूर्व-सैनिक राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर वन रेंक वन पेंशन के लिए आमरण आनशन पर बैठ गए थे. सरकार द्वारा ओआरओपी योजना की घोषणा किए जाने के बाद भी कुछ पूर्व-सैनिक संगठन अभी भी धरने पर बैठे हुए हैं. उन्हे अभी भी सरकार की इस योजना मे कई खामियां दिखाई दे रही हैं. इस योजना को लागू करने में भी मौजूदा थलसेना प्रमुख और पूर्व सेनाध्यक्षों ने अहम भूमिका निभाई थी. सभी ने सरकार और पूर्व-सैनिकों के बीच मध्यस्ता की भूमिका निभाई थी.

यही वजह है कि सरकार ने पूर्व-सैनिक को मनाने के लिए 'वेटरेन्स-डे' मनाने का निश्चय किया और एक अलग से विभाग बनाया है. यहां ये बात भी दीगर है कि रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत भी एक अलग से पूर्व-सैनिकों के लिए अलग विभाग है लेकिन वो बाबूओं (ब्यूरोक्रेट्स) के अधीन है. इसीलिए सेना ने अपना अलग से वेटरेन्स-डायरेक्टरेट बनाया है.

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