Thursday, December 31, 2015

पोर्न साइट्स ना देखें जवान !

वायुसेना के एयरमैन के के रंजीत (रंजीथ) की गिरफ्तारी के बाद सेना में हड़कंप मच गया है. फेसबुक और दूसरे सोशल-नेटवर्किंग साइट्स के जरिए सैन्यकर्मी लगातार विदेशी खुफिया एजेंसियों के जाल मे फंसकर देश की सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील जानकारी लीक कर रहें हैं।जिसके चलते ही सेना ने जवानों और अधिकारियों के लिए एक एडवायज़री जारी की है. 

इस एडवायज़री में बताया गया है कि सोशल-नेटवर्किंग साइट्स को किस तरह इस्तेमाल करें कि वे दुश्मनों की खुफिया एजेंसियों के हाथों के मोहरें ना बन जाएं. वहीं सेना इस बात से परेशान है कि जवान चंद पैसों की खातिर देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने के लिए तैयार है. एडवायज़री में साफ लिखा है कि सैन्यकर्मी फेसबुक और दूसरी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर पोर्न-साइट्स कदापि ना देखें.

हालांकि सेना द्वारा जारी एडवायज़री में ये भी लिखा है कि हनीट्रैप तो दुश्मन की खुफिया एजेंसियों के लिए पहले से ही एक बड़ा हथियार रहा है लेकिन पैसों का प्रलोभन काफी नया ट्रैंड है. इसलिए सैन्यकर्मियों को फेसबुक इत्यादि पर किसी अवार्ड या इनाम वाले विज्ञापनों पर क्लिक ना करें. उदाहरण देते हुए लिखा है कि जिस एड पर लिखा हो ‘आपने एप्पल-फोन जीता है’ उसे बिल्कुल ना क्लिक करें. 

गौरतलब है कि आरोपी एयरमैन रंजीत को वायुसेना की संवदेनशील जानकारी फेसबुक-फ्रैंड को मुहैया कराने के एवज में पैसे मिले थे. दिल्ली पुलिस की क्राइम-ब्रांच के मुताबिक, ये फेसबुक-फ्रैंड कोई और ना ही बल्कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी, आईएसआई का ही कोई जासूस था जो ब्रिटेन की महिला-पत्रकार बनकर उससे एक मैगजीन के लिए वायुसेना से जुड़ी जानकारी ले रहा था. इसके लिए रंजीत को 30 हजार रुपये भी दिए गए थे. 

दिशा-निर्देश में साफ लिखा है कि सोशल-नेटवर्किंग साइट्स सिर्फ प्राईवेट इस्तेमाल के लिए हैं. उनपर किसी भी तरह से सैन्यकर्मी अपनी ऑफिशियल-पहचान जैसे रैंक, पोस्टिंग, बटालियन, मिलेट्री स्टेशन और मूवमेंट की जानकारी ना दें.

साथ ही फेसबुक और व्हाटसऐप जैसी साइट्स पर अपनी वर्दी की फोटो कदापि ना डालें. अगर सिविल-ड्रैस में फोटो डाल भी रहें हैं तो फोटो के बैकग्राउंड में सेना का निशान (इनसिगनियां या क्रेस्ट), कैंट, मिलेट्री-स्टेशन और हथियारों ना दिखाएं दें.

सेना की एडवायज़री में साफ लिखा है कि सैन्यकर्मी अपने परिवार और दोस्तों को भी इस बात के लिए आगाह कर दें कि सोशल-साइट्स में बातचीत करते हुए उनसे उनके रैंक, पोस्टिंग और मिलेट्री-मामलों से जुड़ी बातचीत ना करें.

साथ ही निर्देश ये भी है कि किसी फेसबुक इत्यादि पर अनजान व्यक्ति की फ्रेंड-रिक्कयूस्ट (मित्रता)  ना स्वीकार करें.

एडवायज़री में ये भी लिखा है कि जिस कम्पयूटर या लैपटॉप पर इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं उसमें सेना से जुड़ी जानकारियां ना रखें. 

सेना की सोशल-मीडिया को लेकर जारी पाॅलिसी में भी लिखा है कि सैन्यकर्मी अपनी किसी भी परेशानी को सोशल-साइट्स पर बिल्कुल ना साझा करें. और ना ही सेना और सरकार से जुड़ी किसी पॉलिसी या योजना की आलोचना सार्वजिनक तौर पर सोशल-साइट्स पर ना करें. ये भी लिखा गया है कि सेना, सशस्त्र-बलों या सरकार से जुड़े किसी भी ऑन-लाइन पोल में हिस्सा ना लें और ना ही इस तरह के किसी ग्रुप से जुड़े.

डीजीएमआई (डायरेक्टरेट जनरल ऑफ मिलेट्री-इंटेलीजेंस) की पॉलिसी का हवाले देते हुए कहा गया है कि अगर किसी सैन्यकर्मी ने इसका उल्लंघन किया तो उसके खिलाफ आईपीसी की ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट और मिलेट्री-कानून के जरिए कड़ी कारवाई की जायेगी.

गौरतलब है कि एयरमैन के के रंजीत का ये पहला ऐसा मामला नहीं है जो फेसबुक और दूसरी सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी का एजेंट बनकर संवदेशनशील जानकारी लीक कर रहा था.

 कुछ महीने पहले सिकंदराबाद में तैनात सेना का एक जवान ठीक इसी तरह से अपनी एक फेसबुक फैंड को सेना की आर्मड-बिग्रेड और दूसरे मूवमेंट की अहम जानकारियां साझा करते हुए गिरफ्तार किया गया था. बाद में पता चला था कि जिसे वो महिला फेसबुक फ्रेड समझ रहा था, दरअसल, वो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का ट्रैप था. उसे भी रंजीत की तरह ही सेना से जुड़ी जानकारी मुहैया कराने के एवज में पैसा दिया जा रहा था.

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