Monday, June 27, 2016

उड़ान भरने के लिए तैयार तेजस

1 जुलाई को वायुसेना को स्वदेशी लड़ाकू विमान, तेजस की पहली स्कावड्रन मिल जायेगी. शुरूआत में इस स्कावड्रन में 02 विमान होंगे. ये स्कावड्रन कोयम्बटूर के करीब शोलुर मे बेस होगी. लेकिन शुरूआत के दो ( 02 ) साल ये स्कावड्रन बैंगलुरू से ऑपरेट करेगी. 

लंबे इंतजार के बाद आखिरकार, स्वदेशी लड़ाकू विमान, तेजस भारतीय वायुसेना में आधिकारिक तौर से शामिल होने जा रहा है. 1जुलाई को पारंपरिक सैन्य तरीके से बैंगलूरू में वायुसेना की स्कावड्रन स्थापित की जायेगी.

लेकिन बताते चलें कि तेजस को फाइनल ऑपरेशनल क्लीयरेंस अभी तक नहीं मिली है. इस बारे में वायुसेना के अधिकारियों कहना है कि जल्द ही क्लीयरेंस मिल जायेगी.

जानकारी के मुताबिक, इस साल के अंत तक स्कावड्रन में तेजस विमानों की संख्या 06 तक पहुंच जायेगी. ये हल्के लड़ाकू विमान (लाइट काॅम्बेट एयरक्राफ्ट एलसीए) पुराने पड़ चुके मिग-21 की जगह लेंगे. तेजस की स्कावड्रन का नाम भी वही है जो मिग-21 का था यानि 55 स्कावड्रन, जिसे 'फ्लाईंग-डैगर्स' के नाम से भी जाना जाता है.

 वायुसेना एचएएल से 120 तेजस खरीदेगा. सूत्रों के मुताबिक, एक तेजस की कीमत करीब ढाई सौ (250) करोड़ रूपये है.

1983 मे शुरू हुए इस प्रोजेक्ट की कीमत करीब 560 करोड़ रुपये थी, लेकिन अब इसकी कीमत 10,398 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. 

पिछले साल यानि अप्रैल 2015 में सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में इस स्वदेशी विमान पर कई सवाल खड़े किए थे. रिपोर्ट में प्रोजेक्ट के 20 साल पीछे चलने, ट्रैनर एयरक्राफ्ट ना होने,  प्रोजेक्ट की बढ़ती कीमत और विमान की तकनीक और फाइनल ऑपरेशनल क्लीयरेंस पर भी सवाल खड़े किए गए थे.

No comments:

Post a Comment