Thursday, May 19, 2016

चीन के समंदर में भारतीय जंगी बेड़ा, चढ़ सकती हैं ड्रैगन की त्यौरियां !

अगले ढाई महीने के लिए भारतीय नौसेना के आधा दर्जन जंगी जहाज दक्षिण चीन सागर में ऑपरेशनल तैनाती के लिए जा रहे हैं. इस दौरान ये युद्धपोत जापान में होने वाले तीन देशों के युद्धभ्यास, मालाबार में भी हिस्सा लेंगे. गौरतलब है कि चीन हमेशा से दूसरे देशों के युद्धपोत का साउथ चायना सी मे आने का विरोध करता रहा है. साथ ही चीन मालाबार युद्धभ्यास में जापान के शामिल होने पर भी पहले विरोध जता चुका है.

भारतीय नौसेना का जंगी बेड़ा ऐसे समय में साऊथ चायना सी जा रहा है जब खुद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी चार दिन की राजकीय यात्रा पर चीन जा रहे हैं (24-27 मई).

नौसेना के प्रवक्ता, कैप्टन डी के शर्मा के मुताबिक, पूर्वी कमांड के जंगी बेड़े के छह युद्धपोत अगले ढाई महीने तक दक्षिण चीन सागर और उत्तर-पश्चिम प्रशांत महासागर में तैनात रहेंगे. इस दौरेन ये जंगी जहाज वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया और रशिया के बंदरगाहों की 'गुडविल-यात्रा' पर भी जाएंगे. हर पोर्ट पर ये जहाज कम से कम चार दिन रूकेंगे.

नौसेना के मुताबिक, भारत में ही निर्मित सतपुड़ा, सहयार्दि, शक्ति और क्रीच युद्धपोत इस यात्रा में शामिल हैं. सतपुड़ा और सहयार्दि मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट है तो शक्ति सपोर्ट-शिप है, जबकि क्रीच मिसाइल कोर्वेट है. इनकी कमान पूर्वी कमांड के जंगी बेड़े के कमांडर इन चीफ रियर-एडमिरल एस वी बोकाड़े के हाथों में हैं जो खुद इस अहम यात्रा का हिस्सा हैं.

प्रवक्ता के मुताबिक, इस दौरान ये युद्धपोत जापान में होने वाली तीन देशों के युद्धभ्यास, मालाबार में भी हिस्सा लेंगे. भारत और जापान के अलावा अमेरिकी नौसेना भी इस एक्सरसाइज में हिस्सा लेगी.

2010 में जब जापान ने भारत और अमेरिका के साथ हुए मालाबार युद्धभ्यास में हिस्सा लिया था तो चीन ने भारत से इस का बाकयदा विरोध जताया था. उसके बाद से जापान ने इस युद्धभ्यास में हिस्सा नहीं लिया था. लेकिन पिछले साथ बंगाल की खाड़ी में हुए इस युद्धभ्यास में जापान ने भी हिस्सा लिया था.

दीगर है कि हाल ही में अमेरिका के पैसेफिक कमांड के चीफ, एडमिरल हैरिस ने राजधानी दिल्ली में भारत को दक्षिण चीन सागर में साझा-पैट्रोलिंग का सुझाव दिया था. लेकिन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने अमेरिका का ये सुझाव ये कहते हुए ठुकरा दिया था कि इसकी फिलहाल कोई जरूरत नहीं है. अमेरिका, दरअसल साऊथ चायना सी में चीन के एकाधिकार (या यूं कहें कि ठसक को) खत्म करना चाहता है. क्योंकि चीन किसी बाहरी देश के युद्धपोतों को इस क्षेत्र में घुसने नहीं देता है. लेकिन पिछले कुछ समय से अमेरिका के जंगी जहाज बेधड़क इस समंदर में गश्त कर रहे हैं. अब भारत के जहाज से चीन की भौहें और तन सकती हैं.

Wednesday, May 11, 2016

बूढ़े हुए सी-हैरियर को विदाई, मिग-29के ने संभाली कमान !

गुड-बॉय: तैतीस साल तक सेवा करने के बाद सी-हैरियर रिटायर
भारतीय नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विराट सेे उड़ान भरने वाला लड़ाकू विमान सी-हैरियर अब उड़ान नही भरेेंगे. नौसेना की 'वाइट टाइगर्स' स्कावड्रन का हिस्सा रहे सी-हैरियर ने आज गोवा में आखिरी उड़ान भरी. सी-हैरियर की जगह अब अत्याधुनिक रूसी लडाकू विमान 'मिग-29के' ने ले ली है. नौसेना प्रमुख एडमिरल आर के धवन की मौजूदगी में गोवा में सी-हैरियर को परंपरागत तरीके से विदाई दी गई तो मिग-29के का स्वागत किया गया.

भारतीय नौसेना ने सी-हैरियर लड़ाकू विमान 1983 में ब्रिटेन से खरीदे थे. नौसेना में आने के बाद ये पहले विमान वाहक पोत विक्रांत और उसके बाद फिर विराट पर तैनात किए गए.  विमानवाहक पोत से ही ये भारत की लंबी समुद्री सरहद की हिफाजत करते थे. दुनिया में शायद ही कोई ऐसा लड़ाकू विमान हो जो इसकी तरह वर्टिकल लैडिंग करता हो और इसकी यही  खासियत दूसरे लड़ाकू विमानों से अलग करती थी. साथ ही बहुत कम रनवे पर ये आसानी से टेक ऑफ भी कर लेता था यानि इसे उतारने के लिये किसी हवाई पट्टी की जरुरत  नही पड़ती थी.
आईएनएस विराट पर लैंडिंग करता सी-हैरियर
सी-हैरियर में आसमान में ही एयर टू एयर रिफ्युल क्षमता भी थी.  ये 500 पाउंड के बम, कलस्टर बम और मिसाइल से लैस होने पर किसी भी दुश्मन के लिये इससेे पार पाना काफी मुश्किल होता था. बड़ी बात है ये कि कई मुसीबत आने पर भी ये अपनी ड्यूटी से कभी नही हटा। खासकर अपनी लाइफ खत्म कर लेेनेे के बाद इसेे मरम्मत कर काम में लगाया जाता रहा और ये डटा रहा. कई सी हैरियर दुर्घटनााग्रस्त भी हुए और अब तो गिनती के ही सी-हैरियर नौसेना के जंगी बेड़े में रह गए थे.
पिवेट-फॉरमेशन में सी-हैरियर्स
ब्रिट्रेन में तो 2006 में ही ये विमान रिटायर हो गए थे लेकिन भारत में इसे अपग्रेड करके उड़ाया जाता रहा.  इसी साल 6 मार्च को विराट पर से अंतिम उड़ान भरी थी. अब तो विमानवाहक पोत विराट भी रिटायर होने वाला है. सी-हैरियर अब बूढ़ा भी हो गया है और इसकी जगह लेने के लिये मिग-29के भी आ गया है. अगले एक-दो साल में भारत का स्वनिर्मित विमानवाहक युद्दपोत, आईएनएस विक्रांत तैयार हो जाएगा. तब ये मिग-29के उसपर तैनात कर दिए जाएंगे.
1971 के युद्ध में वाइट-टाइगर स्कावड्रन के सी-हॉक ने की थी बम-वर्षा  
मिग-29के भी उसी 'वाइट-टाइगर' स्कावड्रन का हिस्सा होंगे जिसका सी-हैरियर हिस्सा थे. वाइट टाइगर यानि नौसेना की वो 'आईएएनएस-300' स्कावड्रन जिसका हिस्सा कभी सी-हाॅक विमान थे, जिन्होने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को घुटने टेंकने पर मजबूर कर दिया था. एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रांत (पुराने वाले) से  उड़ान भरने वाले सी-हाॅक्स ने '71 के युद्ध में पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के चितगांव इत्यादि बंदरगाहों पर इतनी बमबारी की कि पाकिस्तानी नौसेना के पांव उखड़ गए थे. यहां ये बताना काफी है कि 1971 का युद्ध भारत के सैन्य इतिहास के स्वर्णिम युग में तब्दील हो चुका चुका है.