Friday, May 25, 2018

आखिर क्यों हुई मेजर गोगोई के खिलाफ जांच !


सेना के तेजतर्रार लेकिन विवादित ऑफिसर, मेजर लीतुल गोगोई के खिलाफ सेना ने जांच के आदेश दे दिए हैं. सेना ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश श्रीनगर के एक होटल में एक महिला के साथ जाने और वहां पर होटल स्टॉफ के साथ कहासुनी के आरोप में दिया है.

सेना ने बयान जारी करते हुए कहा है कि मेजर गोगोई के खिलाफ “जांच पूरी होने के बाद जरूरी कारवाई की जायेगी.” खुद थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने अपने कश्मीर दौरे के दौरान आज ऐलान किया कि अगर मेजर गोगोई के खिलाफ आरोप सिद्ध हुए तो उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कारवाई की जायेगी.

आपको बता दें कि बुधवार को मेजर लीतुल गोगोई उस वक्त विवादों में फंस गए थे जब श्रीनगर के होटल ममता में वे एक कश्मीरी लड़की के साथ पाए गए थे. होटल स्टॉफ के साथ उनकी और उनके साथ आए समीर नाम के एक शख्स की इसलिए कहासुनी हो गई थी क्योंकि होटल के कमरे में कश्मीरी लड़की को ले जाने से मना कर दिया था.

दरअसल, मेजर गोगोई ने श्रीनगर के डलगेट के करीब स्थित होटल ममता में ऑनलाइन एक डीलक्स कमरा बुक किया था. 23 मई की सुबह करीब साढ़े 10 बजे वे होटल के रिसेप्शन पर पहुंचे थे. वहीं पर उन्होनें अपना ड्राइविंग लाईसेंस दिखाकर चैक-इन किया था. सीसीटीवी फुटेज में वो सिर पर एक कैप लगाए दिख रहे हैं. लेकिन उनके कमरे में जाने के तुंरत बाद उनके साथ आए एक ड्राइवर और एक कश्मीरी लड़की ने कमरे में जाने की कोशिश की तो होटल स्टाफ ने उन्हें इसलिए कमरे में जाने से मना कर दिया क्योंकि उनके होटल में स्थानीय कश्मीरियों को जाने की मनाही है. इस बात को लेकर होटल स्टॉफ का मेजर गोगोई के साथ आए ड्राइवर समीर की कहासुनी हो गई. बताया जा रहा है कि मेजर गोगोई ने भी होटल स्टॉफ को बुराभला कहा था. जिसके बाद होटल मैनजेमेंट ने फोन कर पुलिस को बुला लिया था. पुलिस अपने साथ मेजर गोगोई, लड़की और ड्राइवर को थाने ले गई थी. जिसके बाद तीनों के बयान दर्ज किए गए थे. कश्मीर के आईजी ने इस मामले में एक एसपी रैंक के अधिकारी को पूरे मामले की जांच के आदेश दिए थे. बयान के बाद मेजर गोगोई को उनकी यूनिट में वापस भेज दिया गया था.

मेजर गोगोई वहीं अधिकारी हैं जिसने पिछले साल (9 अप्रैल 2017) को एक कश्मीरी को अपनी जीप के बोनट के आगे बांध दिया था. जीप पर बंधे हुए कश्मीरी की फोटो देश-विदेश में वायरल हो गई थी. मेजर गोगोई का तर्क था कि बड़गाम में एक पोलिंग बूथ पर जमकर पत्थरबाजी हो रही थी. मेजर गोगोई अपने जवानों के साथ वहां पहुंचे और पोलिंग अधिकारियों को वहां से सुरक्षित निकाल कर ले आए.  लेकिन उसके लिए उन्होनें एक कश्मीरी (जिसे पत्थरबाज बताया गया था) उसे अपने जीप के आगे बांध दिया था ताकि पत्थरबाज पोलिंग पार्टी पर पत्थर ना मार सके. उनकी इस कार्यशैली (और कार्यवाही) को लेकर काफी निंदा हुई थी (कि उन्होनें मानवधिकार का उल्लंघन किया है). लेकिन उस वक्त थलसेना प्रमुख ने उन्हें ‘चीफ कमंडेशन’ अवार्ड से सम्मानित करते हुए कहा था कि जिन परिस्थितियों में मेजर गोगोई ने पोलिंग अधिकारियों को भीड़ और पत्थरबाजों से बचाया था वही सबसे सही रास्ता था (क्योंकि अगर गोली चलाई जाती तो काफी लोगों की जान पर बन सकती थी). यानि सेना प्रमुख ने ना केवल उनका बचाव किया था बल्कि उनके कार्यवाही को पूरी तरह से सही बताया था.

लेकिन अब ठीक एक साल बाद मेजर गोगोई फिर से विवादों में फंस गए हैं. वो इनदिनों श्रीनगर के करीब बड़गाम में सेना की राष्ट्रीय राईफल्स (यानि आरआर) की 53 आरआर यूनिट में तैनात हैं. वे यहां पर कंपनी कमांडर के तौर पर तैनात हैं. असम के तिनसुकिया के रहने वाले मेजर गोगोई एक जवान के तौर सेना में शामिल हुए थे.  लेकिन बाद में उन्होनें सेना का एक आंतरिक एग्जाम क्वालीफाई किया और आर्मी कैडेट कॉलेज से पास होकर लेफ्टिनेंट के पद पर पहुंच गए. हालांकि उनकी तैनाती सेना में सर्विस कोर में हुई थी, लेकिन कॉम्बेट रोल के लिए वे सिख रेजीमेंट में चले गए और फिर कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन के लिए राष्ट्रीय राईफल्स में चले गए.

अब सवाल ये है कि वे जब बड़गाम में तैनात थे तो श्रीनगर के होटल में क्यों रूकने आए थे. हालांकि सेना ने इस पर खुलकर कुछ नहीं कहा है लेकिन सूत्रों के मुताबिक, वे इनदिनों छुट्टी पर थे. छुट्टी खत्म होने से ठीक पहले वे श्रीनगर पहुंच गए और होटल ममता में रूकने आ गए.

दूसरा सवाल ये है कि वो लड़की और ड्राइवर उनसे मिलने होटल में क्यों आए थे. हालांकि सेना ने अभी तक कुछ साफ नहीं कहा है क्योंकि कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दे दिए गए हैं जो इन सभी सवालों के जवाब ढूंढेगी. लेकिन सूत्रों के मुताबिक, लीटुल गोगोई ने अपने अधिकारियों को बताया है कि वो लड़की बड़गाम की ही रहने वाली है और उनकी ‘सोर्स’ यानि मुखबिर थी. क्योंकि वे उससे बड़गाम में नहीं मिल सकते थे इसलिए श्रीनगर के होटल में मिलने के लिए बुलाया था.

कश्मीर घाटी में कई बार आतंकियों के खिलाफ बड़े इनपुट स्थानीय लड़कियों ने ही पुलिस और सेना को दिया है. लेकिन क्या ये लड़की वाकई मेजर गोगोई की सोर्स थी या नहीं ये सब जांच के बाद ही साफ हो पायेगा. 

Monday, May 21, 2018

बेहद जरूरी है अंतरिक्ष की निगहबानी: रक्षा मंत्री


स्पेस यानि अंतरिक्ष की निगहबानी बेहद जरूरी है ताकि अगर वहां कुछ घटनाक्रम हो तो भारत तैयार रहे। इस निगरानी के लिए 'आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस' काफी मददगार साबित हो सकती है। ये कहना है देश की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण का।

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण आज राजधानी दिल्ली में   'आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस इन नेशनल सिक्योरिटी एंड डिफेंस' नाम के सेमिनार में बोल रही थीं। रक्षा मंत्री के मुताबिक, हमें "अंतरिक्ष की अच्छे से मॉनिटरिंग करनी है ताकि अगर वहां कुछ हो जाए तो हम ऐसा ना हो कि कुछ कर ना पाएं।"

आपको यहां बता दें कि भारत के पड़ोसी देश चीन ने एंटी-सैटेलाइट मिसाइल तैयार कर ली है। 'ए-सैट' नाम की ये मिसाइल स्पेस में दुश्मन के सैटेलाइट को मार गिरा सकती है। चीन ने कुछ साल पहले इस ए-सैट मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। युद्ध की स्थिति में चीन अपने दुश्मन देश के सैटेलाइट को टारगेट कर नेवीगेशन और दूसरे कम्युनिकेशन को बंद कर सकता है।

यही वजह है रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने सशस्त्र सेनाओं, मिलिट्री साईंटिस्ट्स और आईटी प्रोफेनल्स की मौजूदगी में आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस यानि एआई के जरिए स्पेस की निगरानी करने पर जोर दिया। इस सेमिनार में वायुसेना के वायस चीफ, एयर मार्शल एस बी देव, थलसेना के उपप्रमुख सहित नौसेना, डीआरडीओं और प्राईवेट डिफेंस कंपनियों के प्रतिनिधि मौजूद थे।

रक्षा मंत्री ने कहा कि थलसेना, वायुसेना और नौसेना के साथ साथ 'आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस' आज के दौर में साइबर और न्युक्लिर वॉरफेयर को क्षेत्र में बेहद उपयोगी है।

आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस यानि एआई कम्पयूटर, मशीन्स और रॉबोट्स का एक ऐसा समूह होता है जो ठीक वैसा ही सोचता है जैसाकि एक आदमी का दिमाग सोचता है, लेकिन वो आदमी के दिमाग से कहीं ज्यादा तेज काम करता है। यहां तक की वो किसी भी गलती को तुरंत पकड़ लेता है। यही वजह है कि सेनाओं और दूसरे क्षेत्र जहां डाटा बहुत ज्यादा होता है वहां दुनियाभर में एआई का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। यूएस, चीन, रशिया और जर्मनी जैसे दुनियाभर में चुनिंदा ही देश हैं जहां सैन्य-क्षेत्र में आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल किया जा रहा है। चीन ने तो अपनेआप को 2030 तक एआई का ग्लोबल लीडर बनाने की घोषणा कर दी है।

सेमिनार में बोलते हुए रक्षा सचिव (उत्पादन) डॉ अजय कुमार ने कहा कि सीमा पर एक जवान के लिए अपनी ड्यूटी करना बेहद मुश्किल काम होता है। एक जवान के लिए चौबीसों घंटे निगरानी करने थोड़ा मुश्किल होता है। लेकिन अगर यही काम रोबोट या फिर कोई मशीन करती है तो वो ना तो थकेगी और ना ही किसी जवान की कीमती जान ही जायेगी। साथ ही मशीन नैनो-सेकेंड में अपना काम शुरू कर देगी।

इस मौके पर बोलते हुए एयर मार्शल एस बी देव ने कहा कि आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल युद्ध लड़ने, टारगेट हिट करने और वहां किया जा सकता है जहां हमारे हथियार चाहते हैं। हाल ही में संपन्न हुई गगनशक्ति एक्सरसाइज का जिक्र करते हुए एस बी देव ने कहा कि हमने एआई का इस्तेमाल बड़ी तादाद में आ रहे डाटा को फिल्टर करने के लिए किया था।

Friday, May 18, 2018

इतिहास रचकर भारत पहुंचा 'नाविका सागर परिक्रमा' महिलादल

पिछले आठ महीने में पूरी दुनिया का चक्कर लगाकर भारतीय नौसेना की महिला टीम ने इतिहास रच दिया है। 'नाविका सागर परिक्रमा' की टीम अब भारत की समुद्री सीमा में दाखिल हो गई है। 21 मई को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा गोवा के तट पर महिला टीम और उनकी बोट, आईएनएसवी तारिणी का स्वागत करेंगी।

भारतीय नौसेना के मुताबिक, शुक्रवार को  तारिणी  की लोकेशन अरब सागर में गोवा से करीब 115 नॉटिकल मील थी (यानि करीब 212 किलोमीटर)। पिछले आठ महीने में तारिणी और भारतीय नौसेना की महिला टीम ने करीब 21 हजार छह सौ नॉटिकल मील का सफर पूरा किया है। टीम का नेत्तृव कर रही हैं लेफ्टिनेंट कमांडर, वतृिका जोशी। टीम की बाकी पांच सदस्य हैं लेफ्टिनेंट कमांडर स्वाथि पी, लेफ्टिनेंट कमांडर प्रतिभा जामवाल, लेफ्टिनेंट पायल गुप्ता और लेफ्टिनेंट ऐश्वर्या बोडापट्टी।

10 सितबंर 2017 को गोवा के तट से ही पूरी दुनिया का चक्कर लगाने के लिए निकली तारिणी की टीम जाने से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से राजधानी दिल्ली में मिली थीं। यहां तक की जब टीम समंदर में ही थी तो पीएम ने उनसे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए भी बात की थी। अपनी छोटी सी बोट (यॉट) तारिणी से दुनिया 'फतह' करने निकली इस टीम का मकसद है देश की नारी शक्ति का प्रदर्शन करना और युवाओं को नौसेना की रोमांचक दुनिया की तरफ आकर्षित करना।

अपने करीब आठ महीने की इस सागर परिक्रमा को तारिणी की टीम ने छह चरणों में पूरी की। इस दौरान उन्होनें पांच देशों की यात्रा की, चार महाद्वीप और तीन महासागर से होते हुए अपनी यॉट से इस अभियान को पूरा कर इतिहास रचा है। आजतक दुनियाभर में किसी महिला टीम ने ऐसा नहीं किया है।

अपने इस अभियान के दौरान तारिणी ने कुल पांच बंदरगाह पर विश्राम किया--फ्रिमेंटल (आस्ट्रेलिया), लियेलईटन (न्यूजीलैंड), अर्जन्टीना के करीब पोर्ट स्टेनैले (फॉकलैंड आईलैंड), केप टाउन (साउथ अफ्रीका) और मॉरीशस। जहां जहां तारिणी पहुंची, वहां उसकी टीम का जोरदार स्वागत हुआ। सभी स्थानीय गर्वनर, हाई कमीशन और लोगों ने तारिणी का जमकर स्वागत किया।

लेकिन इस दौरान तारिणी का यात्रा को काफी मुश्किल दौर से भी गुजरना पड़ा। प्रशांत महासागर में करीब छह मीटर उंची लहरें और 60 नॉट्स की हवाओं का सामना करना पड़ा। मॉरीशस पहुंचकर बोट का स्टेयरिंग तक टूट गया था। लेकिन भारतीय नौसेना की इन छह महिला अधिकारियों ने हार नहीं मानी और अपने अभियान को पूरा कर ही दम लिया। यही वजह है कि सोमवार को जब वे गोवा के तट पर पहुंचेंगी तो खुद रक्षा मंत्री उनकी आगवानी करने पहुंचेंगी।

Tuesday, May 15, 2018

भारतीय सेना को मिलेंगी दक्षिण कोरिया से तोपें

पूर्वी सुदूर देश, दक्षिण कोरिया से भारत के सैन्य संबंधों को नया आयाम मिलने जा रहा है। जल्द ही भारतीय सेना को दक्षिण कोरिया से 100 तोपें मिलने जा रही हैं। भारत की एल एंड टी कंपनी ने इसके लिए दक्षिण कोरिया की एक कंपनी से करार किया है। भारतीय सेना के एक बड़े अधिकारी ने एबीपी न्यूज को बताया कि कोरिया की 'के-9' तोप के ट्रायल सफल रहे हैं और जल्द ही इन्हें सेना के तोपखाने में शामिल कर लिया जायेगा। इसके अलावा रक्षा मंत्रालय ने सेना के लिए 814 नई तोपों के लिए आरएफआई (टेंडर प्रकिया) जारी कर दी है।

जानकारी के मुताबिक,  मेक इन इंडिया के तहत दक्षिण कोरिया की एक बड़ी कंपनी,हानवा-टेकविन भारत की एल एंड टी के साथ मिलकर भारतीय सेना के लिए 100 आर्टेलैरी-गन बना रही है। भारत में इन तोपों को 'के9 वज्र-टी' का नाम दिया गया है।

155x52 कैलेबर की ये तोपें पुणे के करीब तालेगांव में एल एंड टी के प्लांट में तैयार की जा रही हैं। इस प्रोजेक्ट में एल एंड टी और कोरियाई कंपनी, हानवा-टेकविन की 50-50 प्रतिशत भागेदारी है।

आपको यहां ये बता दें कि कुछ महीने पहले जब दक्षिण कोरियाई सरकार के निमंत्रण पर एबीपी न्यूज की टीम सियोल के करीब दक्षिण कोरियाई सेना के एक मिलिट्री-बेस पर गई थी तो वहां खासतौर से के-9 तोपों का फायर पॉवर डेमोंशट्रेशन दिखाया गया था। दक्षिण कोरिया की सेना वर्ष 1999 से इन तोपों का इस्तेमाल कर रही है।
भारतीय सेना के मुताबिक, टैंक नुमा ये खास तरह की 'के9 वज्र' तोप रेगिस्तानी इलाकों के लिए तैयार की गई है. बताते चलें कि भारत की एक लंबी सीमा जो पाकिस्तान से सटी हुई है वो राजस्थान के थार-रेगिस्तान से होकर गुजरती है. ये होवित्जर गन चालीस (40) किलोमीटर तक मार कर सकती है. साथ ही चार किलोमीटर की दूरी पर बने दुश्मन के बंकर और टैंकों को भी तबाह करने में सक्षम है. ये सेल्फ प्रोपेलड ट्रेक्ड तोपें हैं।

ये के-9 तोप दक्षिण कोरिया के साथ साथ यूएई, पोलैंड और फिनलैंड जैसे देश इस्तेमाल कर रही हैं.

भारतीय सेना के अधिकारी के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय
ने आर्टिलरी गन यानि तोपखाने के आधुनिकरण प्रक्रिया को तेज करते हुए 814 ट्रक माउंटेड आर्टिलरी गन के लिए रिक्वेस्ट ऑफ़ इनफ़ॉर्मेशन (आरएफआई) जारी किया है। ये तोपें 'बाय ग्लोबल' के तहत सेना के लिए खरीदी जाएंगी। यानि भारतीय कंपनियों किसी विदेशी कंपनी के साथ मिलकर ये तोपें सेना को मुहैया करा सकती हैं।

पंद्रह हज़ार करोंड से ज़्यादा की क़ीमत की ये 155 एमएम X 52 कैलिबर की तोपों भारतीय सेना की ताक़त को और बढ़ाएँगे। इस तरह की माउंटेड गन सिस्टम को बनाने के लिए पहले से ही कई विदेश कंपनियों ने भारतीय कंपनियों से क़रार कर इस पर काम भी शुरू कर दिया है।  भारतीय सेना के आधुनिकीकरण के लिए सरकार स्वदेशी कंपनियों को तवज्जो दे रही है।

फिलहाल सेना आर्टिलरीं गन्स की कमी से जूझ रही है।  1999 में शुरू हुए सेना के आधुनिकीकरण के प्लान में आर्टिलरी तोपें सबसे अहम थीं, जिसमें साल 2027 तक 2800 तोपें भारतीय सेना में शामिल करने का लक्ष्य है।

इसके लिए 155 एमएम की अलग अलग कैलिबर की तोपें ली जानी है। इनमें से 1580 टोड तोप जो की गाड़ियों के ज़रिये खींची जाने वाली हैं और 814 ट्रक माउंटेड गन यानी गाड़ियों पर बनी तोपें हैं (जिनकी आरएफआई जारी की गई है)।

100 तोपें सेल्फ़ प्रोपेल्ड ट्रैक्ड हैं जो रेगिस्तानी इलाक़ों के लिए हैं (के9) और 145 अल्ट्रा लाईट होवित्जर तोपें (एम777 जो अमेरिका से ली जा रही हैं) हैं जिन्हें हैलिकॉप्टर के जरिए उन पहाड़ी इलाक़ों तक ले जाया जा सकता है जहाँ सड़कों के जरिए पहुँच पाना थोड़ी मुश्किल होता है।

Thursday, May 3, 2018

अजीत डोवाल की अगुवाई में राष्ट्रीय सुरक्षा नीति बनाने की तैयारी शुरू

देश की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति और  सामरिक-रक्षा नीति को तैयार करने के लिए बनाई गई डिफेंस प्लानिंग कमेटी (डीपीसी) की आज पहली बैठक हुई. इस कमेटी के अध्यक्ष खुद नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर यानि एनएसए अजीत डोवाल हैं. आज रक्षा मंत्रालय में इसकी पहली बैठक हुई. देश की सुरक्षा और रक्षा मामलों से जुड़ी इस सबसे बड़ी कमेटी में तीनों सेनाओं के प्रमुख सहित रक्षा, विदेश और वित्त ( सचिव शामिल हैं.

जानकारी के मुताबिक, ये कमेटी नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रटेजी का ड्राफ्ट तो तैयार करेगी ही साथ ही मौजूदा रक्षा नीति की समीक्षा भी करेगी. एबीपी न्यूज के पास रक्षा मंत्रालय का वो दस्तावेज है जिसमे इस कमेटी का स्वरूप और इसका कार्य-क्षेत्र निर्धारित किया गया है. इस दस्तावेज के मुताबिक, रक्षा मामलों से जुड़े सभी महत्वपूर्ण मामले इस कमेटी के दायरे में आएंगे.

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, ये कमेटी सीधे कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी यानि सीसीएस के अंतर्गत काम करेगी, जिसके अध्यक्ष खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं. ये कमेटी उन सभी मामलों को भी देखेगी जो रक्षा मंत्री द्वारा भेजे जायेंगे.

जानकारी के मुतााबिक, ये कमेटी इस बात पर काम करेगी कि आखिर शांति के समय में हमारी रक्षा नीति कैसी होगी और युद्ध के समय में कैसी होगी. डीपीसी इस बात की योजना तैयार करेगी कि हमाारी मिलिट्री-डिप्लोमेसी कैसी होगी. हमारी सेना के दूसरे देश की सेनाओं के साथ कैसे संबंध होंंगे.

इसके अलावा डीपीसी रक्षा उत्पादन यानि देश में हथियार और गोला-बारूद का उत्पादन कैसा हो और आर्म्स एंड एम्युनेशन के एक्सपोर्ट यानि निर्यात को भी देखेगी.

सूत्रों  के मुताबिक, इस कमेटी के जरिए रक्षा मंत्रालय से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को पूरा करने में तेजी आएगी. साथ ही तीनों सेनाओं के बीच समन्वय और एकीकरण में भी तेजी आयेगी.

चीफ ऑफ इंटीग्रेटड डिफेंस स्टॉफ (आईडीएस) इस कमेटी के सचिव होंगे और आईडीएस मुख्यालय ही डीपीसी का सचिवालय होगा.

Wednesday, May 2, 2018

शी-मोदी की मुलाकात से सुधरेंगे सैन्य संबंध !


हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की हुई एतेहासिक मुलाकात का असर दोनों देशों के सैन्य संबंधों पर दिखने लगा है। दोनों देश विवादित सीमा पर 'कोर्डिनेटेड पैट्रोलिंग' के लिए तैयार हो गए हैं। इसके मायने ये हैं कि अब जब भी किसी विवादित इलाके में दोनों सेनाओं की टुकियां गश्त लगाने जाएंगी तो पहले दूसरे देश के स्थानीय कमांडरों को इसकी सूचना दे दी जायेगी।

सूत्रों की मानें तो हाल के दिनों में कई बार वास्तविक नियंत्रण रेखा यानि एलएसी पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच तीखी नोंकझोंक और झड़प भी देखने को मिली हैं। इसलिए इस बात का फैसला लिया गया है कि अब विवादित क्षेत्रों में गश्त की जानकारी पहले से ही दूसरे देश के स्थानीय कमांडरों को दे दी जायेगी। इससे फेसऑफ यानि गतिरोध और झड़प पर रोक लग सकेगी।

इसके अलावा अब जो भी कोई सीमा विवाद होगा उसे 2003 में दोनों देशों के बीच हुई संधि के जरिए सुलझा़ा जायेगा।

सूत्रों के मुताबिक, ये कदम शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात के बाद उठाए गए हैं। इसके अलावा दोनों देशों के डीजीएमओ के बाद जल्द ही हॉटलाइन स्थापित की जायेगी ताकि सीमा पर स्थानीय स्तर पर हुए विवाद को बढ़ने ना दिया जाए और उसे समय रहते 'टॉप लेवल' पर सुलझा लिया जाए।

इसके अलावा दोनों देशों की सेनाओं के बीच होने वाले सालाना युद्धभ्यास को फिर से इस साल शुरू किया जायेगा। हैंड इन हैंड नाम के इस युद्धभ्यास को डोकलाम विवाद के बैद रद्द कर दिया गया था। इसके अलावा जल्द ही दोनों देशों की सेनाएं रशिया में एससीओ देशों की होने वाली एक्सरसाइज में एक साथ कदमताल करती दिखेंगी।

इस बीच आज दोनों देशों की सेनाएं के बीच लद्दाख के चुशुल में बॉर्डर पर्सनैल मीटिंग यानि बीपीएम का आयोजन किया गया। दोनों देशों के स्थानीय कमांडरों की मीटिंग के साथ साथ एक रंगारंग कार्यक्रम का भी आयोजन गया। अरूणाचल प्रदेश से सटे चीन के वाचा में भी दोनों देशों के सैन्य कमांडरों ने एके दूसरे से गिफ्ट-एक्सचेंज किए। 1 मई यानि लेबर डे को चीन में राष्ट्रीय पर्व माना जाता है। इसी के उपलक्ष्य में दौनों देशों की सेनाएं सीमा पर एक दूसरे से मीटिंग करती हैं।