Sunday, December 18, 2016

बिपिन रावत बने नए सेनाध्यक्ष-'योग्यता' ने मारी बाज़ी ?

बिपिन रावत: नए सेना प्रमुख
सरकार ने आज नए सेना प्रमुख और वायुसेना प्रमुखों के नाम की घोषणा कर दी. सबसे हैरानी हुई है थलसेना प्रमुख के नाम पर. सरकार ने सह-सेना प्रमुख बिपिन रावत को नया सेनाध्यक्ष बनाने की घोषणा की है. बिपिन रावत 31 दिसम्बर को रिटायर हो रहे जनरल दलबीर सिंह की जगह भारतीय सेना के 27वें सेनाध्यक्ष होंगे. बिपिन रावत सेना में फिलहाल वरिष्ठता में तीसरे नंबर पर थे. नए वायुसेनाध्यक्ष के तौर पर आज बी एस धनोआ का ऐलान किया गया. वे भी 31 दिसम्बर को रिटायर हो रहे एयर चीफ मार्शन अरुप राहा की जगह लेंगे.  

सेना में अभी तक वरिष्ठता को ही वरीयता देते हुए सेनाध्यक्ष की घोषणा की जाती रही है. ऐसे में बिपिन रावत के नाम ने सभी को हैरान कर दिया. बिपिन रावत भले ही सह-सेनाध्यक्ष यानि वाईस चीफ ऑफ चीफ स्टाफ के पद पर तैनात हों, लेकिन पूर्वी कमान के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीन बख्शी और दक्षिणी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पी एम हैरिज़ सीनियोरिटी में उनसे ऊपर थे.

सूत्रों के मुताबिक, सेना के सभी लेफ्टिनेंट जनरल्स में बिपिन रावत को “सबसे उपयुक्त पाया गया.” जनरल रावत “उत्तर ( यानि चीन से) उभरती चुनौतियों और उसके लिए पुर्नगठित किए गए सैन्यबल सहित आंतकवाद और पश्चिम ( यानि पाकिस्तान के) प्रोक्सी-वॉर से निपटने तथा उत्तर-पूर्व की परिस्थितियों से निपटने के लिए सबसे उपयुक्त पाया गया.”
भारतीय सेना: गोरखा अधिकारियों का बोलबाला
बिपिन रावत को सेना में हाई-ऑलिट्यूड यानि उंचाई पर युद्ध लड़ने और काउंटर-इंनसर्जेंसी ऑपरेशन्स के एक्सपर्ट के तौर पर जाना जाता है. मीडिया-स्ट्रटेजी में डॉक्टरेट रखने वाले बिपिन रावत ने अपने 38 साल के कार्यकाल में एलओसी, चीन सीमा और उत्तर-पूर्व में एक लंबा वक्त बिताया है. उनका “सैनिकों के प्रति संतुलित दृष्टिकोण तो है ही, साथ ही नागरिक-समाज के साथ जुड़ा माना जाता है.” दक्षिणी कमांड की कमान संभालते हुए उन्होनें पाकिस्तान से सटी पश्चिमी सीमा पर मैकेनाइजड-वॉरफेयर के साथ-साथ वायुसेना और नौसेना के साथ बेहतर समन्वय और सामंजस्य बैठाया.

मूल रुप से उत्तराखंड के रहने वाले बिपिन रावत ने 1978 में सेना ज्वाइन की थी. उन्हे इंडियन मिलेट्री एकेडमी (आईएमए) में स्वार्ड ऑफ ऑनर’ से नवाजा गया था.  उन्होनें सेना की 11वीं गोरखा राईफल्स की पांचवी (5) बटालियन ज्वाइन की थी. (मौजूदा सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह भी गोरखा अधिकारी हैं.)  बिपिन रावत ने कश्मीर घाटी में पहले राष्ट्रीय-राईफल्स में ब्रिगिडेयर और बाद में मेजर-जनरल के तौर पर इंफंट्री डिवीजन की कमान संभाल. साथ ही चीन सीमा पर कर्नल के तौर पर इंफेंट्री बटालियन की कमान भी संभाली थी. वे दीमापुर स्थित तीसरी कोर के जीओसी पर रह चुके हैं (दीमापुर में कार्यरत के दौरान ही वे एक बड़े हेलीकॉप्टर दुर्घटना में बाल-बाल बचे थे). इसके अलावा सेना मुख्यालय में डीजीएमओ कार्यालय और कांगो में यूएन-पीसकीपिंग फोर्स की ब्रिगेड की कमान संभाल चुके हैं.
अब क्या करेंगे प्रवीन बख्शी
वेलिंगटन स्थित डिफेंस सर्विस स्टाफ और नेशनल डिफेंस कॉलेज से हायर कोर्स करने के अलावा वे आईएमए और आर्मी वॉर कॉलेज, महूं में भी इंस्ट्रक्टर रह चुके हैं.

लेकिन जानकारों के मुताबिक, बिपिन रावत ने कभी भी सेना की दो सबसे महत्वपूर्ण कमांड (उत्तरी और पूर्वी) में से एक की भी कमान नहीं संभाली है. जबकि प्रवीन बख्शी (जम्मू-कश्मीर स्थित) उत्तरी कमांड में चीफ ऑफ स्टाफ और फिलहाल (कोलकता स्थित) पूर्वी कमांड की कमान संभाले हुए है. 

33 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि सरकार ने वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए बिपिन रावत को सेना प्रमुख बनाया है. 1983 में इंदिरा गांधी ने एस के सिन्हा की जगह जूनियर अधिकारी ए एस वैद्य को सेना प्रमुख बनाया था. उसके बाद से सबसे सीनियर लेफ्टिनेंट जनरल को ही सेनाध्याक्ष बनाए जाने की पंरपरा थी.

माना ये भी जा रहा है कि बिपिन रावत को इंफेंट्री-अधिकारी होने का फायदा मिला है. क्योंकि प्रवीन बख्शी आर्मर्ड (यानि टैंक रेजीमेंट के) अधिकारी है. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर पहले ही कई सार्वजनिक मंचों पर इस बात का ऐलान कर चुके थे कि (मोदी) सरकार ‘वरिष्ठता की बजाए योग्यता’ को तबज्जो देती है. 
विवादों से दूर रही नए वायुसेनाध्यक्ष की नियुक्ति
नए वायुसेना प्रमुख बी एस धनोआ ने भी 1978 में एक फाइटर पायलट के तौर पर वायुसेना ज्वाइन की थी. कारगिल युद्ध में वायुसेना की तरफ से उन्होनें एयर-ऑपरेशन्स में हिस्सा लिया था. वे भटिंडा स्थित उस मिग-फाइटर प्लेन स्कॉवड्रन के कमांडिग ऑफिसर (सीओ) थे जिसके अधिकारी अजय आहूजा करगिल युद्ध में शहीद हुए थे.  करगिल युद्ध में उन्हें युद्ध-सेवा मेडल से नवाजा गया था. वे फिलहाल सह-वायुसेना प्रमुख के तौर पर एयर-हेडक्वार्टर में तैनात हैं. इससे पहले वे साउथ-वेस्टर्न कमांड की कमान संभाल चुके हैं. उनके पिता एस एस धनोआ पंजाब के चीफ सेक्रटेरी रह चुके हैं. 

Friday, December 16, 2016

जवान की कस्टडी को लेकर सेना प्रमुख को कानूनी नोटिस



सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह की पलटन में एक जवान की एलओसी पर तैनाती को लेकर अफसरों में आपसी टकराव हो गया है. नेपाल के रहने वाले इस जवान के वकील ने सेना द्वारा 'गैर-कानूनी' तरीके से उसके मुवक्किल को 'मिलेट्री-कस्टडी' में रखने का विरोध करते हुए सेनाध्यक्ष और रक्षा मंत्री को कानूनी-नोटिस भेजा है. 

ये अजीबो-गरीब मामला सामने तब आया जब गोरखा राईफल्स की 2/1 यूनिट के एक राईफलमैन टेक बहादुर थापा को गोरखा ट्रेनिंग सेंटर के कमांडेंट ने 28 दिनों की मिलेट्री-कस्टडी (यानि सैन्य-जेल) में भेज दिया. इसका विरोध ना केवल राईफलमैन की यूनिट ने किया है बल्कि उसके वकील ने भी किया है. वकील का कहना है की अधिकारियों की आपसी खीचतान में एक बेकसूर जवान को सताया जा रहा है. बतातें चलें कि सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह और सह-सेनाध्यक्ष विपिन रावत भी गोरखा रेजीमेंट से ताल्लुक रखते हैं.

दरअसल, पूरे मामले की शुरूआत होती है इस साल के फरवरी में जब राईफलमैन टेक बहादुर थापा को उसकी यूनिट (2/1 गोरखा) से 179 दिनों के लिए सुबाथु स्थित गोरखा ट्रेनिंग सेंटर (शिमला के करीब) में 'प्रशासनिक ड्यूटी' के लिए भेजा गया था. उसे ये डयूटी खत्म करने के बाद अगस्त महीने में वापस अपनी यूनिट मे रिपोर्ट करना था. लेकिन वो तय-समय पर अपनी यूनिट वापस नहीं लौटा.

इस बीच उरी हमले और फिर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद एलओसी पर पाकिस्तान से तनातनी बढ़ी तो 2/1 गोरखा के सीओ (कमांडिंग ऑफिसर) कर्नल ललित जैन ने ट्रैनिंग सेंटर के कमांडेंट, ब्रिगेडयर आर एस रावत को राईफलमैन टेक बहादुर थापा थापा को वापस यूनिट भेजने के लिए कहा. उस वक्त ये यूनिट एलओसी पर तैनात थी. सीओ ने कमांडेंट को बताया कि इस वक्त एलओसी पर हालात सही नहीं है और जवानों की जरूरत है. इसलिए टेक बहादुर को फौरन यूनिट वापस भेज दिया जाए. लेकिन बताया जा रहा है कि कमांडेंट ने ऐसा नहीं किया.

इस बीच टेक बहादुर थापा कि यूनिट के एक अधिकारी ने उसे फोन पर आदेश दिया कि वो फौरन एलओसी पर रिपोर्ट करे. टेक बहादुर ने अपने वरिष्ठ अधिकारी की आज्ञा का पालन किया और 16 नबम्बर को वहां पहुंच गया. बस इसी बात से ट्रैनिंग सेंटर के कमांडेंट और दूसरे अधिकारी नाराज हो गए. 

इसके बाद कमांडेंट आय एस रावत ने 2/1 यूनिट के सीओ से कहा कि वे टेक बहादुर को वापस भेज दें ताकि कागजी कारवाई के बाद उसे ट्रेनिंग सेंटर से यूनिट के लिए 'डिस्पेच' किया जाए. इसके बाद टेक बहादुर को 27 नबम्बर को एक बार फिर ट्रेनिंग सेंटर भेजा दिया गया. लेकिन वहां पहुंचने पर कमाडेंट ने उसे बिना बताए सेंटर छोड़कर जाने के लिए 28 दिन की कठोर कारावास की सजा सुना दी. एक दिसम्बर को ये सजा सुनाई गई थी जिसके बाद से वो मिलेट्री-जेल में है.

सजा की खबर मिलने के बाद टेक बहादुर की यूनिट के सीओ ने ट्रेनिंग सेंटर के कमांडेंट को कड़ी चिठ्ठी लिखते हुए इस सजा पर ऐतराज जताया है. साथ ही वरिष्ठ अधिकारियों को भी पूरे मामले से अवगत कराया.

इस बीच टेक बहादुर के वकील अजय शर्मा ने ट्रेनिंग सेंटर के कमांडेंट आर एस रावत सहित सेना प्रमुख, रक्षा मंत्री और पश्चिमी कमान के कमांडर को कानूनी नोटिस भेजकर उसे जल्द रिहा करने के लिए कहा है. वकील अजय शर्मा ने कहा कि अगर सेना ने टेक बहादुर को रिहा ने किया तो वे अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे. अजय शर्मा के मुताबिक, आर्मी एक्ट के मुताबिक, किसी भी जवान को सजा देने का अधिकार उसकी यूनिट के सीओ को है. ट्रेनिंग सेंटर के कमांडेंट और दूसरे अधिकारियों को टेक बहादुर को सजा देना का हक नहीं है.

इस मामले पर सेना मुख्यालय का कहना है कि ये आर्मी का 'आंतरिक और प्रशासनिक मामला' है. लेकिन सूत्रों ने बताया कि दरअसल ये दो अधिकारियों की आपसी 'ईगो' यानि अहम की लड़ाई का नतीजा है जिसका खामियाजा एक सैनिक को उठाना पड़ रहा है.

Thursday, December 8, 2016

21वीं सदी की 'निर्णायक' सैन्य साझेदारी !


भारत को 'प्रमुख रक्षा पार्टनर' घोषित करते हुए अमेरिका ने आज कहा कि दोनों देशों की सैन्य-साझेदारी 21वीं सदी की 'निर्णायक साझेदारी' सबित होगी. 

अमेरिका के रक्षा सचिव ऐश्टन कार्टर ने आज राजधानी दिल्ली में घोषणा की कि भारत अमेरिका का 'मेजर डिफेंस पार्टनर' है. कार्टर ने ये घोषणा आज राजधानी दिल्ली में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर से मुलाकात के दौरान की. अपने कार्यकाल के खत्म होने पर कार्टर मित्र-देशों की यात्रा पर निकले हैं. ये पहली बार है कि अमेरिका का कोई रक्षा सचिव अपनी फेरवेल-वीजिट पर भारत आया है.

मुलाकात के बाद दोनों देशों ने साझा-बयान ('ज्वाइंट स्टेटमेंट') जारी किया. साझा बयान में कहा गया कि दोनों देश इस बात पर ध्यान देंगे कि आतंकवाद को किसी भी देश (पढ़े पाकिस्तान) का सरंक्षण ना मिल पाए. साथ ही कहा गया कि दोनों देश आतंक के खिलाफ एक दूसरे का सहयोग करेगें.

साझा बयान में कहा गया है कि दोनों देश एशिया-पैसेफिक और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और सम्पनता चाहते हैं.

पिछले दो सालो में कार्टर और पर्रीकर की ये सातवी मुलाकात है. मुलाकात के दौरान पर्रीकर ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच में जितने भी सैन्य समझौते पिछले दो सालों में हस्ताक्षर हुए हैं वे अब पूरे होने जा रहे है. पर्रीकर ने कहा कि दोनों देशों के संबंधों की जो नींव कार्टर ने डाली है वो आने वाले समय में और बड़ी हो जायेगी. 

कार्टर रक्षा सचिव के पद पर अगले महीने तक हैं. अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनालड ट्रंप ने सेना के पूर्व वरिष्ठ षैन्य अधिकारी, जेम्स मैटिस को अपना रक्षा सचिव बनाने की घोषणा की है.

गौरतलब है कि हाल के समय में भारत और अमेरिका के संबंध काफी मजबूत हुए हैं. अमेरिका भारत को अहम सैन्य साजों सामान मुहैया करा रहा है जिसमें एम-777 तोपें, मिलेट्री एयरक्राफ्ट, अटैक-हेलीकाॅप्टर और एयरक्राफ्ट-कैरियर से जुड़ी अहम तकनीक शामिल हैं. भारत ने अमेरिका से रक्षा तकनीक के लिए डीटीटीआई (डिफेंस टेक्नाॅलोजी एड ट्रेड इनीशियेटिव) नाम की संधि भी कर रखी है. हाल ही में दोनों देशों ने एक दूसरे के मिलेट्री-बेस को इस्तेमाल करने के लिए 'लेमोआ' (लाॅजिस्टिक एंड मेमोरेंडम एक्सचेंज एग्रीमेंट) समझौता भी किया है.

Tuesday, December 6, 2016

चीन की तर्ज पर हटेगा दिल्ली एयरपोर्ट से घना कोहरा

दिल्ली एयरपोर्ट पर घने कोहरे के कारण विमानों की आवाजाही में होने वाली समस्या जल्द दूर हो सकती है. दिल्ली एयरपोर्ट और मौसम विभाग एक साथ मिलकर ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं जिससे एयरपोर्ट पर कोहरे की चादर को को हटा जा सकेगा और ज्यादा से ज्यादा विमान उड़ान भर सकेंगे. ये ठीक वैसा ही प्लान है जैसाकि चीन ने कुछ साल पहले किया था.

सर्दी के मौसम में दिल्ली एयरपोर्ट पर घने कोहरे के कारण हर साल विमानों की उड़ान पर खासा असर पड़ता है. जिसके चलते हजारों यात्रियों को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता है. इसी चुनौती को दूर करने के लिए ये प्रयोग किया जा रहा है. दिल्ली एयरपोर्ट को संचालित करने वाली कंपनी, जीएमआर के सीईओ ने आज ये जानकारी दी. 

घने कोहरे के दौरान यात्रियों को कम से कम परेशानी हो, उसपर आज मीडिया से बातचीत करते हुए जीएमआर कंपनी के सीईओ, आई प्रभाकर राव ने कहा कि "मौसम विभाग घने कोहरे के कणों ('पार्टिकल्स') की स्टडी कर रहा है ताकि उन्हें हवा से हटाया जा सके." प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद मौसम विभाग के एक वैज्ञानिक ने बताया कि "ये प्रयोग चीन की तरह ही है."

दरअसल, वर्ष 2009 में चीन की राजधानी बीजिंग में कम्युनिस्ट शासन के 60 साल पूरे होने के मौके पर शानदार परेड होने वाली थी. लेकिन इस दौरान घना कोहरा छाया हुआ था. माना जाता है कि चीन के वैज्ञानिकों ने उस दौरान आसमान में मिसाइल दागकर कृत्रिम बारिश कर दी और घना कोहरा दूर हो गया था. यही तकनीक माना जा रहा है कि भारत के मौसम वैज्ञानिक इस्तेमाल करने जा रहे हैं.

आई प्रभाकर राव के मुताबिक, दिल्ली एयरपोर्ट पर 50 मीटर की विज़ीबिलेटी में भी विमान लैंड कर सकते हैं. लेकिन टेक-ऑफ के लिए कम से कम 125 मीटर की विजीबिलेटी होने चाहिए. उन्होने बताया कि एयरपोर्ट पर सीडीएम-सैल (कोलेब्रेटिव डिशीजन मेकिंग-प्रकोष्ठ) तैयार किया गया है. इस सेल में एयरपोर्ट संचालित करने वाली कंपनी (जीएमआर), एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) और मौसम विभाग सहित एयरलांइस कंपनियां शामिल हैं.

सीडीएम के जरिए कोहरे से जुड़ी सही जानकारी और फ्लाइट ऑपरेशन्स की डिटेल एक समय में सभी को एक साथ मिल जाती है. इससे एयरलाइंस कंपनियां यात्रियों को सही जानकारी सही समय में बताने में कारगर हैं (और यात्रियों को सही जानकारी मिलने से परेशानी कम हो सकेगी).

जानकारी के मुताबिक, हर साल नबम्बर से लेकर फरवरी तक करीब 20 दिन ऐसे होते हैं जब राजधानी दिल्ली में घना कोहरा होता है. इस दौरान करीब 100 घंटों तक फ्लाइट्स की आवाजाही पर काफी असर पड़ता है. अगर मौसम विभाग का (चीन की तरह) प्रयोग सफल रहा तो ये परेशानी 20 घंटे तक रह जायेगी.