Thursday, April 12, 2018

पहली बार भारत और पाकिस्तानी सेना करेंगी एक साथ युद्धभ्यास: रूस में होगी एक्सरसाइज़

एक दूसरे के कट्टर दुश्मन देश भारत और पाकिस्तान की सेनाएं अब एक साथ युद्धभ्यास में हिस्सा लेंगी। अगस्त के महीने में रूस में एससीओ सदस्य देशों की बहुराष्ट्रीय मिलिट्री एक्सरसाइज होने जा रही है जिसमें पहली बार भारत और पाकिस्तान की सेनाएं भी इस युद्धभ्यास में शिरकत करेंगी।

जानकारी के मुताबिक, इस साल अगस्त महीने में शंघाई कोपरेशन आर्गेनाइजेशन (यानि एससीओ) देशों की पांचवी मिलिट्री एक्सरसाइज रूस में होने जा रही है। एससीओ देशों की सेनाएं इस युद्धभ्यास में एक दूसरे के साथ वॉर-ड्रिल करती हैं। क्योंकि पिछले ही साल भारत और पाकिस्तान एससीओ के सदस्य बने हैं इसलिए दोनों देशों की सेनाएं भी एक साथ कदमताल करती दिखेंगी। एससीओ मे भारत, पाकिस्तान और रूस सहित चीन, कजाकिस्तान, किर्गस्तान, तजाकिस्तान और उजबेकिस्तान सदस्य हैं।

वैसे भारत और चीन की सेनाएं भी सालाना हैंड इन हैंड नाम की द्विपक्षीय एक्सरसाइज करती हैं। हालांकि डोकलाम विवाद के बाद पिछले साल ये युद्धभ्यास रद्द कर दिया गया था, लेकिन इस साल हैंड इन हैंड एक्सरसाइज होने जा रही है। भारत और रूस की सेनाएं भी इंद्रा एक्सरसाइज करती आई हैं। पिछले साल ही भारतीय सेना के तीनों अंगों ने रूस की सेनाओं के साथ अबतक की सबसे बड़ी द्विपक्षीय एक्सरसाइज की थी।
लेकिन पाकिस्तान के साथ भारत ने आजतक किसी तरह का युद्धभ्यास नहीं किया है।

भारत और पाकिस्तान की दुश्मनी से किसी से छिपी नहीं रही है। एलओसी पर आएदिन दोनों देशों की सेनाओं में गोलाबारी होती रहती है। भारत लगातार पाकिस्तानी सेना पर आतंकियों को एलओसी पर घुसपैठ कराने की मदद का आरोप लगाता रहता है। साथ ही कश्मीर घाटी में भी आतंकवाद को बढ़ावे देने में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआईएस का एक बड़ा हाथ हमेशा से रहा है

Monday, April 9, 2018

ब्रह्मोस को निर्यात करने के लिए तैयार भारत: रक्षा मंत्री

भारत जल्द ही अपने जंगी बेड़े की सबसे शक्तिशाली ब्रह्मोस मिसाइल को मित्र देशों को निर्यात करने के लिए तैयार है। इस बात का इशारा खुद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज राजधानी दिल्ली में किया।

डिफेंस एक्सपो से ठीक पहले आज राजधानी दिल्ली में
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण सीआईआई द्वारा आयोजित एक सेमिनार में बोल रहीं थीं। रक्षा मंत्री के मुताबिक, कई देशों ने ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। हालांकि हमारे देश में हथियारों की खरीद-फरोख्त में एक लंबा समय लगता है बावजूद इसके कई देशों की इस मिसाइल में दिलचस्पी है और हम अपने मित्र-देशों को ब्रह्मोस बेचने को तैयार हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा कि ये बात सही है कि हमे दुनिया के सबसे बड़े हथियारों के आयातक देश हैं लेकिन हमें इसे बदलना होगा और निजी क्षेत्र की कंपनियों को सेनाओं के लिए जरूरी सैन्य साजो-सामान उपलब्ध करना होगा। गौरतलब है कि 11 अप्रैल से चेन्नई में शुरू होने वाले डिफेंस एकस्पो में पहली बार भारत अपने आप को हथियार उत्पादन करने वाले देश के तौर पर प्रदर्शित करने जा रहा है। रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल हमारे देश में करीब 55 हजार करोड़ रूपये के सैन्य साजो सामान का उत्पादन हुआ। यही वजह है कि भारत अब देश में बने हथियारों को निर्यात करने जा रहा है।

ब्रह्मोस मिसाइस खरीदने में वियतनाम सहित दक्षिण अमेरिकी की दो देशों ने दिलचस्पी दिखाई है। माना जा रहा है कि वियतनाम से इस मिसाइल को देने के लिए कीमत पर बाचचीत चल रही है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि वियतनाम के संबंध कभी भी भारत के पड़ोसीे (और दुश्मन देश) चीन से अच्छे नहीं रहें हैं।

ब्रह्मोस दुनिया की चुनिंदा सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल में से एक है जिसे भारत ने रशिया के साथ तैयार किया है। 

Friday, April 6, 2018

भारत की 'गगनशक्ति' !

चीन और पाकिस्तान से एक साथ निपटने के लिए भारतीय वायुसेना अब तक का सबसे बड़ा युद्धभ्यास कर रही है. टू-फ्रंट वॉर के लिए भारतीय वायुसेना देशभर में इस एक्सरसाइज को थलसेना और नौसेना के साथ मिलकर कर रही है. इस युद्धभ्यास को गगन-शक्ति नाम दिया गया है. इसके अलावा सरकार ने वायुसेना की कम होती स्कॉवड्रन के मद्देनजर वायुसेना के लिए 110 लड़ाकू विमान खरीदने का फैसला किया है. इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने आज टेंडर प्रक्रिया शुरु कर दी.
वायुसेना के एक बड़े अधिकारी ने आज बताया कि वायुसेना के करीब 1100 लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, कमान और स्कॉवड्रन इस वक्त एकदम अलर्ट स्थिति में हैं और वायुसेना प्रमुख के आदेश मिलते ही इस युद्धभ्यास को रियल-सिनएरियो में शुरू कर दिया जायेगा. ये अलर्ट 8 अप्रैल से 21 अप्रैल तक रहेगा. एक्सरसाइज को दो चरणो में किया जायेगा. पहले चरण में ये पश्चिमी थियेटर यानि पाकिस्तान से सटी सीमा पर किया जायेगा और दूसरे चरण में उत्तरी थियेटर यानि चीन सीमा पर किया जायेगा.
इसके लिए वायुसेना के सभी एयरबेस और अड्डों के साथ साथ सिविल एयरपोर्ट, सरहदों पर बनी एएलजी यानि एडवांस लैंडिग ग्राउंड और हवाई पट्टियां अलर्ट पर रहेंगी. इसके अलावा सिविल एवियशन विभाग के अधिकारी, एचएएल और बीईएल के अधिकारियों और तकनीकी स्टॉफ भी वायुसेना की इस एक्सरसाइज में मदद करेगी. वायुसेना के करीब 300 अधिकारी और करीब 15 हजार वायुकर्मी हिस्सा ले रहे हैं. भारतीय रेल से भी इस एक्सरसाइज में मदद ले जा रही है. एक्सप्रेस हाईवे पर भी लैडिंग के लिए सिविल प्रशासन की मदद ली जायेगी.
जानकारी के मुताबिक, इस एक्सरसाइज के लिए सभी तरह की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है. यानि अलग-अलग तरह के वॉर-फ्रंट इस युद्धभ्यास में बनाए दर्शाए जायेंगे. यानि सुरक्षात्मक और आक्रमक परिस्थिति तो होंगी ही साथ ही अगर पहले पाकिस्तान हमला करता है तो किस तरह उसका जवाब दिया जायेगा. और अगर पाकिस्तान की मदद के लिए चीन आगे आता है तो फिर भारत उसका मुकाबला कैसे करेगा. वायुसेना को 48 घंटे के भीतर अपने ऑपरेशन्स को शुरू कर देगा. ये ऑपरेशन्स दिन और रात में किए जाएंगे. खासतौर से वैपेन डिलीवरी पर वायुसेना का पूरा जोर रहेगा. यानि कि लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टर्स की बमबारी और मिसाइलों का सटीक निशाना हो. वायुसेना की स्पेशल फोर्सेज़ यानि गरूण कमांडोज़ को स्पेशल ऑपरेशन्स की तैयारी की जायेगी,
नौसेना की मदद से समंदर में भी इस एक्सरसाइज को अंजाम दिया जायेगा. नौसेना की मदद से लॉंग रेंज मेरिटाइम पैट्रोलिंग की जायेगी. ये सब रक्षा मंत्रालय के ज्वाइंट ऑपरेशन्ल डॉकट्रिन की तहत अंजाम दिया जायेगा.
इस एक्सरसाइज के लिए सुखोई और दूसरे लड़ाकू विमानों को असम से सीधे भुज और राजस्थान के रेगिस्तान से सीधे चीन सीमा पर भेजने की तैयारी दी जायेगी ताकि वायुसेना के कम हो रहीं स्कॉवड्रन के बावजूद ऑपरेशन्स में कोई कमी ना हो. इसके अलावा एयरक्राफ्ट्स को ज्यादा से ज्यादा उड़ान भरने के लिए तैयार रखा जायेगा. एचएएल और बीईएल के इंजीनियर्स और टेक्नीशियन्स को एयरबेस पर ही तैनात किया जायेगा ताकि अगर लड़ाकू विमान और रडार सिस्टम में कोई गड़बड़ी हो तो तुरंत उसे सुधार लिया जाए. पूरी एक्सरसाइज नेटवर्क सेंट्रिक होगी. यानि सैटेलाइट के जरिए पूरी एक्सरसाइज को दिल्ली स्थित वायुसेना मुख्यालय से कंट्रोल किया जायेगा.
प्रोटोकॉल के तहत पाकिस्तान को इस एक्सरसाइज की जानकारी दे दी गई है जबकि चीन से भी संपर्क साधा जा सकता है.
हालांकि आज ही रक्षा मंत्रालय ने वायुसेना की कम हो रहीं स्कॉवड्रन को ध्यान में रखते हुए 110 लड़ाकू विमानों को खरीदने के लिए ग्लोबल टेंडर की प्रक्रिया शुरु कर दी है. इनमें से 15 प्रतिशत फाइटर जेट्स सीधे खरीदे जाएंगे और बाकी 85 प्रतिशत मेक इन इंडिया के तहत देश में ही तैयार किए जाएंगे. इसके लिए स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप के तहत कोई भी भारतीय कंपनी किसी विदेशी कंपनी से करार कर इस टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा ले सकती है.
साथ ही इनमें से 25 प्रतिशत टू-इऩ सीटर जेट्स होगें (यानि ट्रेनिंग के लिए) और बाकी 75 प्रतिशत सिंगल-सीटर हैं.

Wednesday, April 4, 2018

दुनिया का सबसे बड़ा आयातक देश का ठप्पा हटाने की जुगत में भारत!


दुनिया के सबसे बड़े हथियारों के आयातक देश का ठप्पा झेल रहा भारत अब हथियारों को निर्यात करने जा रहा है. इसके लिए जल्द ही रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एक डिफेंस एक्सपर्ट एजेंसी का गठन किया जायेगा. साथ ही 11 अप्रैल से चेन्नई में होने जा रहे डिफेंस-एक्सपो में भी भारत अपने आप को सैन्य साजों-सामान के उत्पादन देश के बारे में दुनिया को दिखाने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 12 अप्रैल को डिफेंस एक्सपो का विधिवत उद्घाटन करेंगे.

राजधानी दिल्ली में आज डिफेंस एक्सपो के लिए आयोजित प्रेस काफ्रेंस में रक्षा सचिव (उत्पादन) अजय कुमार ने बताया कि पिछले (बीते) साल भारत में करीब 55 हजार करोड़ रूपये के हथियारों और दूसरे सैन्य साजो-सामान का उत्पादन किया गया. जिनमें पनडुब्बियों से लेकर चेतक हेलीकॉप्टर, तेजस, सुखोई और जैगुआर फाइटर जेट्स और ब्रह्मोस, आकाश और पिनाका मिसाइल शामिल हैं. इसीलिए अब भारत अपने को हथियारों के उत्पादक और निर्यातक देश के तौर पर अपनी पहचान बनाना चाहता है. यहां तक की भारत की छोटी और मध्यम दर्जे की निजी कंपनियां भी बोइंग और लॉकहीड मार्टिन जैसी दुनिया की बड़ी कंपनियों को उनके उत्पादनों में मदद करती आई हैं. एक भारतीय कंपनी तो इजरायल को उसके हथियार बनाने में मदद करती है.

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, कई देशों ने ब्रह्मोस सहित कई सैन्य प्लेटफार्मस को खरीदने की इच्छा जताई है. इसीलिए पहली बार डिफेंस एक्सपो की संकल्पना को बदल दिया गया है. अभी तक भारत में आयोजित होने वाली अंतर्राष्ट्रीय रक्षा प्रदर्शनी में सिर्फ देश-दुनिया की आर्म्स कंपनियों को प्लेटफार्म दिया जाता था. लेकिन पहली बार चेन्नई में आयोजित होने वाले डिफेंस एक्सपो (11-14 अप्रैल) में भारत का अलग प्वेलियन होगा जिसमें भारत के सैन्य साजो-सामान को दर्शाया जायेगा.

गौरतलब है कि हाल ही में ग्लोबल एजेंसी, सिपरी ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियारों का आयतक देश है. माना जाता है कि दुनियाभर के आर्म्स ट्रेड का 12 प्रतिशत अकेला भारत ही करता है.

ये पहली बार है कि डिफेंस एक्सपो को चेन्नई में आयोजित किया जा रहा है. पिछली बार डिफेंस एक्सपो को गोवा में आयोजित किया गया था. उससे पहली तक डिफेंस एक्सपो हमेशा दिल्ली में आयोजित किया जाता रहा था. दो साल में एक बार होने वाला पहला डिफेंस एक्सपो 1999 में हुआ था

इस साल डिफेंस एक्सपो में देश-विदेश की 671 कंपनियां हिस्सा ले रही हैं जिनमें 517 भारतीय हैं. जो देश इस साल हिस्सा ले रहे हैं वे हैं अमेरिका, इंग्लैंड, अफगानिस्तान, चेक गणराज्यस फिनलैंड, इटली, म्यांमार, नेपाल, कोरिया, सेशल्स और वियतनाम शामिल हैं. जानकारी के मुताबिक, चीन को भी डिफेंस एक्सपो में शिरकत के लिए न्यौता दिया गया था लेकिन अभी तक चीन की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है.

इस साल डिफेंस एकस्पो में हिस्सा लेनी वाली विदेशी कंपनियों में गिरावट आई है। जहां इस साल कुल देश-विदेश की  617 कंपनियां हिस्सा ले रही हैं वहीं 2016 में करीब 900 कंपनियों ने हिस्सा लिया था।
जानकारी के मुताबिक, इस साल शिरकत करने वाली स्वदेशी कंपनियों में बढ़ोत्तरी हुई है। माना जा रहा है कि इस बार करीब 30 प्रतिशत की गिरावट आई है। लेकिव रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक ये गिरावट मात्र 10 प्रतिशत है क्योंकि विदेशी 
कंपनियों अपने-अपने देश के पवैलियन में अपने स्टॉल लगा रही हैं। जबकि इससे पहले तक वे स्टॉल लगाती थीं।

डिफेंस एकस्पो के दौरान दक्षिण कोरिया के साथ भारत का एक साझा कमीशन बनाया जायेगा और रशिया के साथ सैन्य-उद्दोग सहयोग पर एक बड़ा करार किया जायेगा.

इस बार डिफेंस एक्सपो में थलसेना, वायुसेना और नौसेना का पॉवरप्ले डेमो भी देखने को मिलेगा.