Friday, June 21, 2019

'जय बजरंग बली' के उदघोष के साथ किया था बालाकोट में 'ऑपरेशन बंदर'


बालाकोट में एयर-स्ट्राइक‌ को भारतीय वायुसेना ने 'ऑपरेशन बंदर' कोडवर्ड दिया था। सूत्रों के मुताबिक, ये कोडनेम इसलिए दिया था ताकि किसी को इस एयर-स्ट्राइक की कानों-कान खबर ना लग सके।

सूत्रों के मुताबिक, ये कोड इसलिए भी दिया था क्योंकि जिस तरह हनुमान जी ने लंका पहुंचकर आग लगा दी थी और दुश्मन के हौंसलें पस्त कर दिए थे ठीक उसी तरह वायुसेना के मिराज2000 लड़ाकू विमानों को बालाकोट में आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के ट्रैनिंग कैंप को नष्ट करना था। जिन इजरायली प्रेशिसयन बम, स्पाईस का इस्तेमाल किया गया था वो भी अपने टारगेट को पूरी तरह जला देता है।

आपको बता दें कि इस ऑपरेशन बंदर में वायुसेना के करीब 5000 वायुसैनिक और अधिकारियों को शामिल किया गया था। इतनी बड़ी तादाद में वायुसैनिकों को शामिल करने से ऑपरेशन की जानकारी लीक होने का अंदेशा था, इसलिए इसे गुप्त नाम दिया गया था।

हाल ही में चुनाव के दौरान, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी खुलासा किया था कि उन्होनें 'जय बजरंग बली' कहकर एयर-स्ट्राइक करने की इजाजत दी थी। क्योंकि‌ उस रात आसमान में बादल घिरे हुए थे (क्लाउड्स थ्योरी)।

सूत्रों के मुताबिक, भारतीय सेना ने भी अपनी तैयारियों को कोडवर्ड दिया था। ये नाम था 'जाफरान'   (यानि केसर)। बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भारत को अंदेशा था कि पाकिस्तान सीमा पर (और एलओसी) पर कोई सैन्य कारवाई ना कर दे इसके लिए सेना को अपनी सीमाएं तो सुरक्षित रखनी ही थी साथ ही पाकिस्तान में घुसकर हमला करने के भी तैयारी की गई थी।

जानकारी के मुताबिक, बालाकोट एयर स्ट्राइक के दौरान भारतीय नौसेना अरब सागर में 'ट्रोपेक्स' एक्सरसाइज कर रही थी। इसलिए नौसेना के युद्धपोतों और पनडुब्बियों को सीधे पाकि‌स्तान की तरफ मोड़ दिया गया था ताकि जरूरत पड़ने पर पाकिस्तान के सी-रूट (समुद्री रास्ते) रोककर ईकनोमिक-ब्लोकेड कर दिया जाए। 

Wednesday, June 19, 2019

कश्मीर में 'डबल एजेंट' से खौफ में आतंकी संगठन





कश्मीर घाटी में सुरक्षाबलों को लगातार आतंकियों के खिलाफ मिल रही सफलता को देखते हुए आंतकी संगठनों ने अब एक नई चाल चली है. खुफिया एजेंसियों की मानें तो हिजबुल मुजाहिद्दीन ने नए आतंकियों की भर्ती के लिए शर्त रखी है कि उन्हें तंजीम में शामिल करने से पहले सुरक्षाबलों के खिलाफ कोई आतंकी हमला करके अपने-आप को 'प्रूव' करना होगा. 

सूत्रों के मुताबिक, इंटेलीजेंस एजेंसियों ने सेना को जो अलर्ट जारी किया है उसमें खासतौर से पुलवामा और दक्षिण कश्मीर का जिक्र किया गया है. खुफिया इनपुट की मानें तो हिजबुल मुजाहिद्दीन (एचएम) नाम के आंतकी संगठन ने साफ कर दिया है कि वो अब स्थानीय कश्मीरी युवकों को तभी अपने आतंकी संगठन में शामिल करेगा, जब वे युवक पहले किसी आतंकी घटना को अंजाम देंगे. सीधे किसी भी युवक को संगठन में शामिल नहीं किया जायेगा.

सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, हिजबुल मुजाहिद्दीन ने अपने रिक्रेंटमेंट में तब्दीली इसलिए की है क्योंकि पिछले एक-दो साल में सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन-ऑल आउट में बड़ी तादाद में  आतंकियां का सफाया किया है. इसका एक बड़ा कारण ये है कि खुफिया एजेंसियों ने कश्मीरी युवकों में अपना 'इनरूट' बना लिया है. ये युवक आतंकी संगठन ज्वाइन करने के बाद आतंकियों की लोकेशन की जानकारी सुरक्षाबलों से साझा कर रहे थे. यानि, ये युवक 'डबल एजेंट' का काम कर रहे थे। यही वजह है कि पिछले दो सालों में मारे गए आतंकियों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ. 

जानकारी के मुताबिक, यही वजह है कि इस साल आतंकियों की भर्ती में गिरावट आई है. इस साल अबतक मात्र 50 आतंकी ही हिजबुल या फिर जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा जैसे संगठनों में भर्ती किए गए हैं. जबकि पिछले छह महीनों में मारे गए आंतकियों की संख्या तीन का आंकड़ा पार कर चुकी है (अबतक मारे गए आतंकियों की संख्या 114 हो चुकी है). 

आतंकियों की भर्ती की बात करें तो वर्ष 2015 में कुल 66 लड़कों की अलग-अलग आतंकी संगठनों में रिक्रूटमेंट हुई थी। वर्ष 2016 में ये आंकड़ा 88 का था और 2017 में 128 था। वर्ष 20-18 में ये आंकड़ा करीब 100 का था. आतंकी बने नौजवानों में ज्यादातर तादाद दक्षिण कश्मीर की थी। जहां के अनंतनाग, त्राल, पुलवामा और कुलगाम से सबसे ज्यादा लड़कों ने हथियार उठाए।  

आपको बता दें कि हिजबुल मुजाहिद्दीन मुख्यत: स्थानीय कश्मीरी युवकों का संगठन है. हालांकि, एचएम का संस्थापक सैय्यद सलाहुद्दीन पाकिस्तान में शरण लिए हुए है लेकिन इस तंजीम में सभी आतंकी स्थानीय कश्मीरी युवक हैं. लश्कर और जैश में भी कुछ स्थानीय लड़के हैं लेकिन वे अधिकतर वहीं हैं जो पहले हिजबुल में सक्रिय रहे हों. 

Saturday, June 8, 2019

भारत की पहली स्पेस-वॉर एक्सरसाइज‌‌ अगले महीने


अंतिरक्ष में लगातार चीन के बढ़ते दबदबे‌ के बीच भारत पहला स्पेस-वॉर युद्धभ्यास करने जा रहा है।‌ ये  एक्सरसाइज जुलाई के आखिरी हफ्ते में होगी जिसमें भारत अंतरिक्ष में अपनी ताकत परखने की कोशिश करेगा। आपको बता दें कि मार्च के महीने में ही भारत ने पहली एंटी-सैटेलाइट,‌ एसैट मिसाइल का सफल परीक्षण किया था।

रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने एबीपी न्यूज को बताया कि 'इंटस्पेसएक्स' नाम की इस‌‌ एक्सरसाइज में सैन्य-अधिकारियों के साथ साथ स्पेस-साईंटिस्ट और इस क्षेत्र में रिसर्च कर रहे स्कॉलर्स भी हिस्सा लेंगे। ये एक 'टेबल-टॉप' एक्सरसाइज होगी जिसे रक्षा मंत्रालय के‌ अंतर्गत आने वाली नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी आयोजित करेगी।‌

आपको बता दें कि चीन ने हाल ही में यैलो-सी से एक साथ सैटेलाइट और एक रॉकेट को लांच किया था। हालांकि इस‌ लांच की और ज्यादा जानकारियां सामने नहीं आई लेकिन माना जा रहा है कि सैटेलाइट के साथ रॉकेट को लांच करना दिखाता है कि चीन स्पेस में अपना दबदबा कायम करना चाहता है। हालांकि चीन ने एंटी-सैटेलाइट मिसाइल वर्ष 2007 में ही लांच कर दी थी, लेकिन हाल ही में जो लांच किया गया वो समंदर में एक प्लेटफार्म किया गया।

भारत की इंडस्पेएसएक्स एक्सरसाइज से जुड़े एक सैन्य अफसर के मुताबिक, एसैट मिसाइल के सफल परीक्षण से भारत भी स्पेस-पॉवर की श्रेणी में आ गया है और अंतिरक्ष में अपने संसाधनों की सुरक्षा बेहद जरूरी है। इस‌ वॉर-गेम्स के जरिए भारत अपनी ताकत को परखने का काम करेगा।

आपको बता दें कि हाल ही में भारत ने डिफेंस‌ स्पेस एजेंसी का गठन किया है जो खास तौर से अंतरिक्ष में भारत के सैटेलाईट्स इत्यादि की सुरक्षा का दायित्व निभाएगी। ये स्पेस एजेंसी ट्राई-सर्विस होगी यानि इसमें वायुसेना और नौसेना के साथ साथ थलसेना के अधिकारी भी होंगे।‌ इसका मुख्यालय माना जा रहा है कि बेंगलुरू में होगा और फिलहाल जितने में सैटेलाइट इमेजरी सेंटर्स हैं वो सीधे इस स्पेस एजेंसी को रिपोर्ट करेंगे। वायुसेना का एक टू-स्टार ऑफिसर यानि एयर वाइस मार्शल रैंक का अधिकारी इसका मुखिया होगा। निकट भविष्य में इस एजेंसी को यूएस और चीन की तर्ज पर स्पेस कमांड भी बदल दिया जायेगा।

Thursday, June 6, 2019

लापता एएन32 के क्रू मेम्बर्स के परिवारवालों ने रक्षा मंत्री से की मुलाकात।


वायुसेना के लापता हुए एएन32 विमान के क्रू-मेम्बर्स के परिवारवालों ने आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की. जानकारी के मुताबिक, रक्षा मंत्री ने परिवारवालों को भरोसा दिलाया कि विमान को खोजने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जायेगी. इस बीच आज हेलीकॉप्टर्स के साथ साथ विमान को खोजने के लिए यूएवी का भी इस्तेमाल किया गया. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, सर्च ऑपरेशन रात में भी जारी रहेगा.

आपको बता दें कि वायुसेना का मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, एएन32 3 जून को  असम के जोरहट से अरूणचाल प्रदेश के मेचूका जाते समय लापता हो गया था. विमान की आखिरी लोकेशन अरूणाचल प्रदेश के एलोंग में देखी गई थी जो चीन सीमा से महज 50 किलोमीटर की दूरी पर है. इस विमान में पायलट समेत कुल 13 लोग सवार थे. पायलट एक विंग कमांडर रैंक के अधिकारी चला रहे थे. इसके अलावा एक स्कॉवड्रन लीडर. चार फ्लाईट लेंफ्टिनेंट और सात एयरमैन सवार थे. 

विमान में सवार एक फ्लाईट लेफ्टिनेंट की पत्नी तो उस वक्त जोरहट एटीसी में ही अपने पति के विमान को मोनिटर कर रही थीं। ये युवा अधिकारी दिल्ली के करीब पलवल इलाके का रहने वाला था। रक्षा मंत्री से आज मिलने वाले परिवारों में पलवल के इस अधिकारी का परिवार भी शामिल था।

विमान के लापता होने के बाद ही वायुसेना ने युद्धृस्तर पर सर्च एंड रेस्कयू ऑपरेशन शुरू कर दिया था. जिसके लिए सी130जे विमान, सुखोई फाईटर जेट, मी17 और एएलएच हेलीकॉप्टर शामिल हैं. नौसेना के टोही विमान पी8आई और थलसेना के यूवीए भी इस्तेमाल किए गए हैं. इसरो की रिसैट और कारटोसैट सैटेलाइट्स का भी इस्तेमाल किया गया. लेकिन विमान का आजतक कोई अता पता नहीं है.

जानकारी के मुताबिक, अरूणाचल प्रदेश का ये इलाका दुर्गम पहाडियों और घने जंगलों वाला हैं जिसके चलते विमान को खोजने में दिक्कत आ रही है. इसके अलावा इलाके में बारिश और खराब मौसम के चलते सर्च ऑपरेशन में खासी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है. खुद रक्षा मंत्री पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं.