Friday, March 29, 2019

महीने भर बाद भी बालाकोट कैंप के कुछ हिस्सों को तिरपाल से ढक रखा है पाकिस्तानी सेना ने

भारत की एयर-स्ट्राइक के ठीक एक महीने बाद पाकिस्तानी सेना पहली बार कुछ चुनिंदा मीडियाकर्मियों को बालाकोट के उसी जैश ए मोहम्मद के ट्रैनिंग कैंप लेकर पहुंची है जिसको लेकर अभी तक सस्पेंस बना हुआ था. लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, जब पाकिस्तानी सेना 08 मीडियाकर्मियों को वहां लेकर पहुंची तो पता चला कि पाकिस्तानी सैनिकों ने उस कैंप को अपने कब्जे में ले रखा है. साथ ही कैंप के कुछ हिस्सों को तिरपाल से ढका हुआ था.

भारत के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक, अगर पाकिस्तानी सेना कुछ चुुनिंदा मीडियाकर्मियों को लेकर बालाकोट पहुंची थी तो उन जगहों को क्यों नहीं दिखाया जिन्हें तिरपाल से ढका हुआ था. सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान को ये भी बताना चाहिए कि बालाकोट के टेरर कैंप को दुनिया को दिखाने के  लिए पाकिस्तानी सेना को आखिर पूरा एक महीना क्यों लग गया. क्या इस दौरान कैंप के भीतर पाकिस्तानी सेना ने कुछ मरम्मत या फिर रंग-रोगन कराया है. 

जानकारी के मुताबिक, गुरूवार की सुबह करीब 10 बजे पाकिस्तानी सेना की मीडिया-विंग, आईेएसपीआर (इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशन) पाकिस्तान के कुल 08 चुनिंदा मीडियाकर्मियों को हेलीकॉप्टर के जरिए मरकज़ सैय्यद अहमद शहीद नाम के उस मदरसे में लेकर गई जहां आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद का टेरर कैंप चलता था और जहां पर 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना ने एयर-स्ट्राइक की थी.

बालाकोट में हुए हवाई हमले के बाद भारत ने दावा किया था कि जैश ए मोहम्मद के टॉप कमांडर्स के साथ साथ बड़ी बड़ी तादाद में आतंकी मारे गए थे. लेकिन पाकिस्तानी सेना ने दावा किया था कि भारतीय लड़ाकू विमान जल्दबाज़ी में कैंप के करीब जंगल में बम फेंककर भाग खड़े हुए थे. लेकिन इस दावे के बाद भी पाकिस्तानी सेना ने किसी मीडिया को उस कैंप तक जाने की इजाजत नहीं दी थी. हमले के कुछ दिन बाद भी आईएसपीआर बड़ी तादाद में मीडियाकर्मियों को बालाकोट लेकर गई थी, लेकिन कैंप से कुछ किलोमीटर पहले ही रोक दिया गया था. उसके बाद कुछ अंतर्राष्ट्रीय न्यूज एजेंसी और मीडिया ने कैंप तक जाने की कोशिश की थी ये देखने के लिए कि आखिर भारत की एयर-स्ट्राइक के कितना नुकसान हुआ है, लेकिन वहां तैनात सैनिकों ने उन्हें कैंप के करीब तक भी नहीं जाने दिया था.

सूत्रों के मुताबिक, बालाकोट टेरर कैंप को मीडिया की नजरों से छिपाने से पाकिस्तानी सेना के दावों पर सवाल खड़े हो रहे थे, इसीलिए आईएसपीआर ने ये मीडिया-टूर आयोजित किया. लेकिन सूत्रों ने एबीपी न्यूज को बताया कि इस दौरान भी कैंप के अंदर के कुछ हिस्सों को जानबूझकर पाकिस्तान ने छिपा रखा था. यहां पर आईएसपीआर ने मदरसे में पढ़ने वाले करीब 375 बच्चों से भी मिलवाया और उनके वीडिया तैयार करवाए. सूत्रों के मुताबिक, इस मीडिया-वीजिट के दौरान पाकिस्तानी सेना ने दिखाने की कोशिश की भारत की एयर-स्ट्राइक के कोई नुकसान नहीं हुआ है. साथ ही ये दर्शाने की कोशिश की यहां पर बच्चों को तालीम दिए जाने वाला एक मदरसा चलता है (ना कि कोई आंतकी कैंप).

जानकारी के मुताबिक, इस तथाकथित मदरसे को पाकिस्तान की फ्रंटियर-कोर के सैनिकों ने सुरक्षा प्रदान कर रखी है. फ्रंटियर कोर खबैर-पख्तूनखवां और बलूचिस्तान में कानून-व्यवस्था संभालने वाली एक अर्द्धसैनिक बल है. 

करीब पांच घंटे यानि सुबह 10 बजे से दोपबर 3 बजे तक ये सभी आठों मीडियाकर्मी आईएसपीआर के अधिकारियों के साथ बालाकोट में ही रहे. 

आपको यहां पर ये भी बता दें कि बालाकोट में भारत के हवाई हमले से पहले भी किसी स्थानीय नागरिक को इस मदरसे के रूप में चलने वाले टेरर कैंप तक आने की इजाजत नहीं थी. बालाकोट का ये टेरर कैंप जाबा-हिल पहाड़ी पर चलता था. इस पहाड़ी तक जाने वाले रास्ते पर मदरसे और जैश ए मोहम्मद के मुखिया मौलाना मसूद अजहर के नाम का बोर्ड भी लगा था, जिसे एयर-स्ट्राइक के बाद हटा दिया गया था. इस बोर्ड से आगे किसी को भी बिना पाकिस्तानी सेना की आज्ञा के जाने की इजाजत नहीं थी. 

माना जा रहा है कि पाकि‌स्तान ने बालाकोट में मीडिया विजिट ऐसे समय में कराई है जब पेरिस‌‌ स्थित ग्लोबल संस्था, फानेंसियल एक्शन टॉस्क फोर्स (एफएटीएफ) की टीम ने हाल ही में इस्लामाबाद का दौरा किया था और पाया कि टेरर फंडिंग और मनी-लांड्रिंग के खिलाफ पाकिस्तान ने कोई कड़े कदम नहीं उठाए हैं। आपको बता दें कि पिछले साल एफएटीएफ ने पाकि‌स्तान को ग्रे-लिस्ट में डाल दिया था।‌ इसके अलावा एशिया-पैसेफिक ग्रुप का एक प्रतिनिधिमंडल भी सोमवार को इस्लामाबाद पहुंचा है ये पता करने के लिए कि पाकिस्तान ने फाईनेंसियल-क्राइम के खिलाफ क्या ठोस कदम उठाए हैं। 

Wednesday, March 27, 2019

भारत बना स्पेस-पॉवर, लांच की एसैट मिसाइल !


भारत अब परमाणु शक्ति के साथ-साथ स्पेस पॉवर भी बन गया है। भारत ने एंटी-सैटेलाइट मिसाइल लांच कर दुनिया की स्पेस महाशक्तियों में अपना नाम शुमार कर लिया है।‌ खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने करीब 12 बजे इस की जानकारी एक विशेष प्रसारण में दी। अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथा ऐसा देश बन गया है जिसके पास‌अब एसैट यानि एंटी-सैटेलाइट मिसाइल है।‌

डीआरडीओ द्वारा निर्मित इस एसैट मिसाइल को आज सुबह ओडिसा के एपीजे अब्दुल कलाम आईलैंड से इसे लांच किया गया। करीब 300 किलोमीटर की ऊंचाई पर इस एसैट मिसाइल ने लो अर्थ ऑरबिट (एलईओ) में एक लाइव सैटेलाइट को 'हिट टू किल' मोड में मात्र 03 मिनट में सफलता पूर्वक मार गिराया।‌ भारत ने इसे 'मिशन-शक्ति' का नाम दिया।‌ सुबह ठीक 11.09 मिनट पर इसे लांच किया गया।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, ये एक बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD)  इंटरसेप्टर मिसाइल है जिसके तीन चरण हैं। पहला है रॉकेट बूस्टर का अलग होना, दूसरा है हीट-शील्ड का अलग होना और तीसरा है सैटेलाइट को टारगेट करना। इस मिसाइल में दो ठोस रॉकेट बूस्टर हैं।‌ परीक्षण के बाद रेंज सेंसरों के ट्रैकिंग डेटा ने पुष्टि की है कि मिशन अपने सभी उद्देश्यों को पूरा करता है। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता‌ के मुताबिक, इस‌ सफल परीक्षण ने राष्ट्र की क्षमता को अंतरिक्ष में अपनी संपत्ति का बचाव करने के लिए प्रदर्शित किया है। यह डीआरडीओ के कार्यक्रमों की शक्ति और मजबूत प्रकृति का एक संकेत है।  परीक्षण ने एक बार फिर से स्वदेशी हथियार प्रणालियों की क्षमता को साबित कर दिया है।

लेकिन इस सफल परीक्षण के बाद राजनैतिक विवाद पैदा हो गया।‌ वित्त मंत्री अरूण जेटली ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और सूचना राज्यमंत्री राज्यवर्द्धन राठौर की मौजूदगी में बीजेपी मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस कर आरोप लगाया कि वर्ष 2012 में ही डीआरडीओ के पास इस एसैट मिसाइल लांच करने की क्षमता थी, लेकिनउस वक्त की (यूपीए) सरकार ने इसकी इजाजत नहीं दी थी। दरअसल, कांग्रेस का आरोप था कि भले ही प्रधानमंत्री मोदी इस सफल परीक्षण की वाहवाही लूट रही हो लेकिन इस मिशन की शुरूआत कांग्रेस के कार्यकाल में ही हो गई थी।

दरअसल, वर्ष 2007 में चीन ने एसैट मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। हालांकि इस टेस्ट के बात इंटरनेशनल कम्युनिटी ने इस 'स्पेस-वॉर' और 'मिलिट्राईजेशन ऑफ स्पेस' कहकर आलोचना की थी, लेकिन भारत (डीआरडीओ) ने इस तरह की मिसाइल पर काम करना शुरू कर दिया था।  वर्ष 2012 में तत्कालीन डीआरडीओ चैयरमैन वी के सारस्वत ने दावा किया था कि भारत के पास इस तरह की मिसाइल टेक्नोलोजी की क्षमता है। लेकिन एसैट पर काम करने की तेजी मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कार्यकाल में आई। प्रधानमंत्री का पदभार संभालने के बाद नरेन्द्र मोदी ने अपने पहले ही कम्बाईंड कमांडर्स कांफ्रेंस (सीसीसी-2014) में साफ कर दिया था कि भविष्य के युद्ध स्पेस में लड़ जायेंगे।

दरअसल, मौजूदा मिलिट्री कम्युनिकेशन सैटेलाइट के जरिए ही होता है। यहां तक की‌ युद्धपोत से लेकर फाइटर जेट्स और मिसाइल लांच तक भी सैटेलाइट के जरिए होता है। जीपीएस‌ सिस्टम और नेटवर्क-सेंटरिक वॉरफेयर भी सैटेलाइट के जरिए होता है। सैटेलाइट के जरिए दुश्मन की मिसाइल और  हवा में मार करने वाले हथियारों को जैम तक किया जा सकता है। ऐसे में अगर दुश्मन की सैटेलाइट को न्यूट्रेलाइज किया जाता है तो दुश्मन की मूवमेंट ही नहीं हो पायेगी।

Friday, March 8, 2019

बालाकोट के बदले का प्लान ऐसे किया भारतीय वायुसेना ने नाकाम !

बालाकोट में आतंकी संगठन, जैश‌ ए मोहम्मद के ट्रैनिंग कैंप पर हुई भारत की एयर-स्ट्राइक से पाकिस्तान बौखला गया था। हालांकि, पाकि‌स्तान आधिकारिक तौर से इस एयर-स्ट्राइक का माखौल उड़ा रहा था‌ लेकिन अंदर ही अंदर वो भारतीय‌ वायुसेना के हमले के बदले कश्मीर‌ में भारत‌ के सैन्य-ठिकानों और एयरबेस पर हमला करने की साजिश रच रहा था, ताकि कश्मीर का संपर्क भारत से टूट जाए। लेकिन वायुसेना की सतर्कता के चलते पाकि‌स्तान की ये नापाक साजिश नाकाम हो गई है।



सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, 27 फरवरी को पाकिस्तानी वायुसेना के हमले की‌‌ साजिश की पूरी जानकारी अब सामने आ रही है। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तानी वायुसेना के जो 24 लड़ाकू विमान एलओसी पार कर नौसेरा, राजौरी और सुंदरबनी इलाकों में घुसे थे उनका मकसद कश्मीर में श्रीनगर और अवंतिपुरा एयरबेस पर हमला करना था। ये दोनों एयरबेस कश्मीर घाटी की लाइफ-लाइन हैं। इनदोनों एयरबेस से ही‌ वायुसेना पूरी कश्मीर घाटी की सुरक्षा करती है। श्रीनगर एयरबेस‌ पर ही सिविल एयरपोर्ट भी है। 

उच्चपदस्थ सूत्रों ने ये भी बताया कि भारत के दो एयरबेस पर हमला करने के साथ साथ पाकिस्तानी वायुसेना के निशाने पर उरी और तंगधार के सैन्य ठिकाने भी थे. इसके अलावा पीर पंजाल पहाडों के दक्षिण यानि जम्मू-रिजन केकृष्णा घाटी सेक्टर में भारतीय सेना की 120वीं ब्रिगेड का मुख्यालय और एक बड़े गोला-बारूद डंप यानि स्टोर पर पाकिस्तानी फाइटर जेट्स हमला करना चाहते थे.


सूत्रों की मानें तो इस साजिश के लिए पाकिस्तानी वायुसेना ने भारत के फाइटर जेट्स को उलझाने के लिए‌ अपने 10-12 लड़ाकू विमानों को राजस्थान के अनूपगढ़ सेक्टर में घुसपैठ कराई। उस वक्त भारतीय‌ वायुसेना के जो फाइटर जेट्स भारत की एयक-स्पेस में कॉम्बेट एयर पैट्रोल कर रहे थे‌ उन्हें तुरंत राजस्थान भेजा गया डॉगफाइट के लिए। इसके अलावा सभी फॉरवर्ड एयर बेस से फाइटर जेट्स को 'स्क्रैमबल' किया गया।‌ भारतीय वायुसेना के जब अधिकतर  एयरक्राफ्ट्स को राजस्थान सेक्टर में भेजा तो पाकिस्तान के 24 लड़ाकू विमानों का पैकेज एलओसी पार कर नौसेरा, सुंदरबनी और राजौरी सेक्टर में पहुंच गए. लेकिन उस वक्त भारतीय वायुसेना के 06 लड़ाकू विमान इस सेक्टर में एयर कॉम्बेट पैट्रोलिंग पर थे यानि हवा में गश्त लगा रहे थे. इनमें दो मिग-21 बाईसन, दो मिग-29 और दो सुखोई विमान शामिल थे. एक मिग-21 बाईसन को विंग कमांडर अभिनंदन उड़ा रहे थे. अभिनंदन ने श्रीनगर एयरबेस से ही इस मिशन के लिए उड़ान भरी थी. 

जानकारी के मुताबिक, इन छह लड़ाकू विमानों ने ही पाकिस्तान के इतने बड़े हमले को नाकाम कर दिया. इन छह विमानों ने पाकिस्तान के किसी भी लड़ाकू विमान कोे एलओसी से ज्यादा दूर तक नहीं जाने दिया, नतीजा ये हुआ कि विंग कमांडर अभिनंदन के एयरक्राफ्ट को दो एप-16 विमानो ने घेर लिया. एक अभिनंदन के आगे था और एक पीछे.
लेकिन इस डॉगफाइट में विंग कमांडर अभिनंदन ने 60 डिग्री पर एक डाइव लगाई और उन दोनों के पीछे जा पहुंचे. विंग कमांडर अभिनंदन जब इन दोनों एफ-16 को चेज़ कर रहे थे तो एटीसी से उन्हें गो-कोल्ड यानि उनपर हमला ना करने का निर्देश भी दिया गया था. लेकिन तबतक अभिनंदन ने अपनी आर-73 मिसाइल को पाकिस्तान के एक एफ-16 पर लॉक कर दी थी. मिसाइल लॉक के वक्त उनके लिए पीछे लौटना बेहद मुश्किल था. इसलिए बेहद ही नजदीक से अभिनंदन के मिग-21 बाईसन एयरक्राफ्ट ने पाकिस्तान के एफ-16 विमान पर मिसाइल फायर कर दी. इस हमले में पाकिस्तान का एफ-16 धराशायी हो गया. आपको बता दें कि आर-73 मिसाइल की रेंज करीब पांच किलोमीटर होती है. 

विंग कमांडर अभिनंदन के साथ साथ उनके मिशन में शामिल एक सुखोई विमान ने भी पाकिस्तान के एफ-16 विमान से फायर हुई एमराम मिसाइल को 'डिफीट' कर दिया.

एक एफ-16 विमान गिरने और एमराम जैसी मिसाइल के नाकाम होने पर पाकिस्तानी वायुसेना में खलबली मच गई और बाकी विमान वापस पाकिस्तान की सीमा में लौट गए. लेकिन इस दौरान विंग कमांडर अभिनंदन का मिग-21 बाईसन एलओसी पार कर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानि पीओके पहुंच गया. जैसे ही उनका विमान पीओके के भिंबर इलाके में पहुंचा तो पाकिस्तान की एयर-डिफेंस मिसाइल एक्टिव हो गईं और उनके विमान को फायर कर क्षतिग्रस्त कर दिया गया. इसके बाद विंग कमांडर अभिनंदन पैराशूट के जरिए पीओके में दाखिल हो गए. बाद में पाकिस्तानी सेना ने उन्हें बंदी बना लिया. लेकिन उनकी और उनके मिशन में शामिल बाकी लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तानी वायुसेना के एक बड़े हमले को नाकाम कर दिया.

Thursday, March 7, 2019

बालाकोट‌ में एयर-स्ट्राइक के बाद भी आखिर क्यों नहीं दिख रहे तबाही के सबूत !

प्रतीकात्मक तस्वीर:स्पाइस बम

बालाकोट में भारत की एयर‌ स्ट्राइक के बाद आईं कमर्शियल सैटेलाइट इमेज को भारत ने एक सिरे से खारिज कर दिया है। सूत्रों की मानें तो स्पाइस बम छत या फिर दीवार में पैनिट्रेशन करके बिल्डिंग के अंदर तबाही मचाता है। इसलिए सैटेलाइट तस्वीरों पर पूरी तरह यकीन करना ठीक नहीं है।‌


सूत्रों की मानें तो एयर स्ट्राइक में जरूरी नहीं है कि छत उड़ जाए। क्योंकि कोई नहीं जानता कि जैश ए मोहम्मद  के ट्रैनिंग कैंप की इमारत किस मैटेरियल की बनी थीं। जबतक एयर स्ट्राइक के तुरंत बाद की तस्वीरें सामने नहीं आईंगी तबतक आतंकी कैंप में हुई नुकसान का सही सही आंकलान नहीं किया जा सकता।

सूत्रों की मानें तो इस‌ तरह के मिशन को करने से पहले काफी प्लानिंग की जाती है कि हमारा उद्देश्य क्या है। क्या हमारी उद्देश्य बम गिराने की जगह पर नुकसान पहुंचाना था या फिर टारगेट से ज्यादा बड़ा नुकसान पहुंचाना था (यानि बिल्डिंग में मौजूद आतंकियों को न्यूट्रेलाइज करना था या बिल्डिंग को तबाह करना था)।

इजरायल की कंपनी राफिल (Rafael) का स्पाइस बम किस तरह काम करता है इसके लिए ईरान के एक मिलिट्री कैंप पर इजरायल द्वारा किए गए हमले की तस्वीरों से समझा जा सकता है। ये एक बड़ी हैंगरनुमा इमारत है।‌ हमले के तुरंत बाद की तस्वीरों से पता चलता है कि बम इमारत में एक बड़ा होल (छेद) करके अंदर घुसता है और जबरदस्त तबाही मचाता है। लेकिन इमारत की छत नहीं उड़ी। दीवार भी सही सलामत है लेकिन धमाके का इम्पैकट साफ दिखाई पड़ता है।
स्पाइम बम से क्षतिग्रस्त सैन्य कैंप
बालाकोट में जैश‌ ए मोहम्मद के ट्रैनिंग सेंटर पर हुए एयर स्ट्राइक के बाद‌ की कोई तस्वीर सामने नहीं आई है।‌ लेकिन इस बीच सैटेलाइट तस्वीरें ‌सामने आईं हैं जिसमे आतंकी कैंप की इमारतों को ज्यादा नुकसान नहीं दिख रहा है।‌ ऐसे में भारत की एयर स्ट्राइक पर सवाल उठ रहे हैं।‌ लेकिन आपको बता दें कि जिस इजरायली स्पाइस बम का भारतीय वायुसेना ने मिराज-2000 लड़ाकू विमानों ने इ‌स्तेमाल किए थे, उन्हें कॉनक्रीट-पैनेट्रेशन के लिए ही इस्तेमाल किया जाता है।‌ जीपीएस गाईडेड इस म्युनिशेन से किसी भी इमारत की छत को तोड़कर इमारत के भीतर मैकसिम्म-डैमेज कराया जाता है।‌

इन स्पाइस बम के फायर-पावर डेमोंट्रेशन का वीडियो और वीडियो-ग्रैब भी है जिससे ये साफ हो जायेगा कि इन स्पाइस बमों से जरूरी नहीं है कि बिल्डिंग जमींदोज हो जाए, लेकिन बिल्डिंग के भीतर इस‌ बम के शॉक-वेव से बड़ा नुकसान पहुंचाया जा सकता है।‌

26 फरवरी की तड़के भारतीय वायुसेना के 12 मिराज-2000 लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तान से खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के मनसेरा जिले के बालाकोट में जैश ए मोहम्मद के आतंकी प्रशिक्षण शिविर पर एयर स्ट्राइक की थी। ये लड़ाकू विमान इजरायली स्पाइस विमानों से  लैस थे। इन्हें स्पाइस (SPICE) इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये स्मार्ट, प्रेसाइस, इम्पैक्ट, कॉस्ट-इफएक्टिव है।‌ जिन स्पाइस बमों को इस्तेमाल किया गया, वे स्पाइस-2000 बम थे। इन बमों का भार करीब 2000 पौंड यानि करीब करीब 900 किलो। लेकिन इसके मायने ये नहीं है कि इसमें 1000 किलो बारूद था। इस तरह के बंकर-बर्स्टिंग बमों का केस (यानि ऊपरी खोल) ज्यादा भारी होता है ताकि किसी बंकर मे या फिर इमारत के अंदर ज्यादा से ज्यादा नुकसान करने के लिए उसकी छत तोड़ने के लिए इसका केस काफी भारी होता है। माना जा रहा है कि एक बम में करीब करीब 100-200 किलो बारूद होता है।
बालाकोट की सैटेलाइट इमेज

इन बमों को जीपीएस किट के साथ बेहद ही‌ प्रेसाइस‌ यानि सटीक बनाया जाता है। किसी भी टारगेट वाली जगह के सैटेलाइट कॉर्डिनेट्स को बम में फिट कर दिया जाता है। जब पायलट इसे फायर करता है तो ये रियल टाइम टारगेट को मैच कर वहीं जाकर गिरता है जहां पायलट स्ट्राइक करना चाहता है। इसकी रेंज करीब 15 किलोमीटर होती है। यानि इसे मिराज 15 किलोमीटर से ही फायर कर सकता है। इस स्पाइस बम को कोई सैटेलाइट तक भी जैम नहीं कर सकती (सैटेलाइट-जैमर)।

सूत्रों के मुताबिक, यही वजह है कि पाकिस्तानी सेना की मीडिया विंग, आईएसपीआर जब विदेशी मीडिया को बालाकोट‌ लेकर गई थी तो इस मदरसे (टेरेर कैंप) के परिसर तो दूर बल्कि उसके करीब भी नहीं लेकर गई थी। जिस जाबा-हिल पर ये 6 एकड़ में टेरेर कैंप फैला हुआ है‌ उसके आसपास के जंगल तक ही ले जाया गया। क्योंकि कुछ नुकसान इस बमबारी में आसपास के जंगल को भी हुआ था।‌ पाकिस्तानी सेना ने बारिश का बहाना बनाकर मीडिया को कैंप नहीं लेकर गई।

उच्चपदस्थ सूत्रों ने बताया है कि इस ट्रैनि्ग कैंप में 600 आतंकी तक रह सकते हैं। लेकिन एयर स्ट्राइक से पहले वहां करीब 250 आतंकी मौजूद थे। यहां पर आतंकी डोरमेटरी में रहते थे। ट्रैनिंग कैंप की सीढ़ियों पर दुश्मन-देश, अमेरिका और इजरायल के झंडे की‌ पेंटिग की गई थी ताकि आने जाने वाले इन झंडों पर चलकर जा सकें।

भारत सरकार का दावा है कि इस हमले में जैश‌ए मोहम्मद की टॉप-लीडरशिप को खत्म कर दिया गया।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, भारतीय‌ वायुसेना ने एयर‌ स्ट्राइक से जुड़े सबूत (फोटो और वीडियो) सरकार को सौंप दिए हैं। इनमें सुखोई विमानों से ली हुई सिंथेटिक एपर्चर इमेज भी शामिल हैं। ये सुखोई विमान एयर स्ट्राइक के वक्त मिराज फाइटर जेट्स के साथ एयर-डोमिनेंस के लिए साथ गए थे।