Thursday, March 10, 2016

टू-फ्रंट वाॅर के लिए नहीं है तैयार वायुसेना !

वायुसेना की घटती स्कावड्रन से बढ़ी चिंता
अगले हफ्ते पाकिस्तानी सीमा के करीब भारतीय वायुसेना सबसे बड़ा युद्धभ्यास करने जा रही है. लेकिन उससे पहले आज वायुसेना के वाइस चीफ ने ये कहकर सनसनी फैला दी कि अगर पाकिस्तान और चीन एक साथ भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ देते हैं तो मुकाबला करने के लिए वायुसेना के पास पर्याप्त लड़ाकू विमान नहीं हैं.

उप-वायुसेना प्रमुख एयर वाइस मार्शल बी एस धनोआ आज राजधानी दिल्ली में, 18 मार्च से शुरु हो रहे युद्धभ्यास, ‘आयरन-फिस्ट’ (IRON-FIST) के बारे में मीडिया से बातचीत कर रहे थे. इसी दौरान एक सवाल के जवाब में एयर मार्शल बी एस धनोआ ने कहा कि वायुसेना में वर्तमान में 32 स्क्वाड्रन (यानि 'जहाजों के जंगी बेड़े') हैं जबकि जरुरत 42 की है. खास बात ये है कि मौजूदा वायुसेना-प्रमुख के रिटायरमेंट के बाद बी एस धनोआ एयर फोर्स चीफ बनने की दौड़ में सबसे आगे हैं. खुद धनोआ कारगिल युद्ध में हिस्सा ले चुके हैं और उस वक्त लड़ाकू विमान मिग-21 से फ्रंट पर जाकर दुश्मन पर हमला किया था.
उप-वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल बी एस धनोआ

 बताते चलें कि इस महीने की 18 मार्च को भारतीय वायुसेना राजस्थान के पोखरन में आयरन-फीस्ट नाम की एक्सरसाइज करने जा रही है. एक्सरसाइज में एयरफोर्स के 181 लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर हिस्सा ले रहे हैं और इसे वायुसेना का शक्ति-परीक्षण माना जा रहा है. खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मौजूदगी में आयरन-फीस्ट एक्सरसाइज हो रही है. ये युद्धभ्यास दिन और रात दोनों में होगा.  

बी एस धनोआ ने कहा कि कारगिल युद्ध के वक्त भारतीय वायुसेना के पास रात में एयर-ऑपरेशन करने की क्षमता नहीं थी. लेकिन आयरन-फीस्ट में दिखाया जायेगा कि 16 साल बाद वायुसेना नाइट-ऑपरेशन करने का माद्दा ही रखती है. इस युद्धभ्यास का 'मोटो' (आदर्श-वाक्य) है ‘सबक सिखाने की क्षमता का प्रदर्शन—हथियार सही समय, सही निशाने पर.’

इसी दौरान ही मीडिया से बातचीत के दौरान पूछा गया कि क्या इस युद्धभ्यास के बाद हम क्या चीन और पाकिस्तान से एक साथ लड़ने यानि 'टू-फ्रंट वॉर' के लिए तैयार हैं, एयर वाइस चीफ बी एस धनोआ ने कहा कि इसके लिए हमारे पास पर्याप्त स्क्वाड्रन (जंगी जहाजों का बेड़ा) नहीं हैं. उन्होनें कहा कि वायुसेना के पास इस वक्त मात्र 32 स्कावड्रन हैं जबकि हमें 42 की जरुरत है. 

वायुसेना के एक स्कावड्रन में 16-18 लड़ाकू विमान होते हैं. इस वक्त वायुसेना के पास 10 स्कावड्रन सुखोई के हैं और 11 मिग-21 और मिग-27 के हैं. इसके अलावा जगुआर के 06 स्कावड्रन, मिराज के 02 और मिग-29 की 03 हैं. यानि वायुसेना के पास अभी भी करीब 150 लड़ाकू विमान कम हैं. 

वायुसेना काफी समय से सरकार और ससंद की कमेटियों में स्कावड्रन की कमी की शिकायत कर चुकी है. लेकिन ये पहली बार है कि एयरफोर्स के किसी बड़े सैन्य-अधिकारी ने खुले-आम स्कावड्रन की कमी पर चिंता जताई है.

वायुसेना फ्रांस से मिलने वाले 36 रफाल फायटर एयरक्राफ्ट्स बेसब्री से इंतजार कर रही है. लेकिन रफाल सौदे की बढ़ी हुई कीमत के चलते लंबे समय से अधर में अटका हुआ है. बी एस धनोआ ने कहा कि अगर रफाल लड़ाकू विमान वायुसेना को मिलते हैं तो एयरफोर्स की मारक क्षमता काफी बढ़ जायेगी.

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