Friday, November 21, 2014

नेवी वॉर-रुम: मुंबई के 26/11 हमले की एक बड़ी सीख

    



मुंबई के 26/11 हमले की छठी बरसी से ठीक पहले भारतीय नौसेना ने समुद्री और तटीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा और प्रभावशाली कदम उठाया है.  दिल्ली के करीब गुड़गांव में नौसेना और कोस्टगार्ड ने मिलकर स्थापित किया है अपना कमांड सेंटर. आतंकी हमले या फिर युद्ध की स्थिति में ये सेंटर करेगा वाॅर-रूम का काम. रविवार यानि 23 नवम्बर को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर इसका उदघाटन करेंगे.

           दिल्ली के साऊथ ब्लॉक स्थित भारतीय नौसेना के हेडक्वार्टर से कुछ मील की दूरी पर बनाया गया है आईमैक (IMAC) यानि INFORMATION MANAGEMENT & ANALYSIS CENTRE जो समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में नौसेना और कोसेटगार्ड के लिए NATIONAL COMMAND CONTROL COMMUNICATION & INTELLIGENCE (NC3I) नेटवर्क  का काम करेगा.

           इस प्रोजेक्ट के जरिए भारत की 7516 किलोमीटर लंबी तटीय सीमा पर बने नौसेना और कोस्टगार्ड के सभी 51 स्टेशन जुड़े होंगे. ये सभी स्टेशन रडार, सैटेलाइट और ओपटिकल कैमरों के जरिए जुड़े होंगे. जिन्हे किसी भी (अप्रिय) स्थिति में निर्देशित किया जायेगा. यानि ये नौसेना और कोस्टगार्ड के लिए 'वाॅर-रूम' का काम भी करेगा.

            इस प्रोजेक्ट के जरिए नौसेना हिंद महासागर में घूम रहे सभी व्यवसायिक और युद्धपोत पर सीधे नजर रख सकती है. जहाजों पर लगे एआईएस सिस्टम और डब्लूआरएस (वर्ल्ड रजिस्ट्रेश्न सिस्टम) के जरिए आईमैक में बैठे अधिकारी दुनिया के हर उस समुद्री-जहाज पर नजर रख सकते हैं जो हिंद महासागर से गुजरता है और खासतौर से भारत की समुद्री-सीमाओं के पास से गुजरता है. नेवी के अधिकारी इस प्रोजेक्ट की जरिए एक साथ 30-40 हजार समुद्री जहाजों पर एक साथ नजर रख सकता है. लेकिन जरुरत पड़ने पर ये निगरानी रखे जाने वाले युद्धपोतों को फिल्टर भी कर सकता है. यानि अगर सैकड़ों की तादाद में समुद्र में घूम रहे जहाजों में से अगर भारतीय नौसेना को सिर्फ चीन या पाकिस्तान के युद्धपोत या व्यवसायिक जहाजों को देखना है तो इस प्रोजेक्ट के सोफ्टवेयर के जरिए सिर्फ उतने ही जहाजों को देखा जा सकता है.

               
          इस प्रोजेक्ट की रूपरेखा मुंबई हमले के बाद तैयार की गई थी. 26 नवम्बर 2008 को देश की व्यवसायिक राजधानी माने जाने वाली मुंबई नगरी पर (26/11)  हमला करने वाले कसाब और उसके साथी आतंकी समुद्र के रास्ते ही मुंबई में दाखिल हुए थे. जांच में पाया गया कि सभी दस आंतकवादी पाकिस्तान के कराची पोर्ट से एक बोट के जरिए भारत की समुद्री-सीमा में दाखिल हुए और गुजरात के तटीय सीमा के करीब एक बोट को हाईजैक किया और फिर समुद्र के रास्ते मुंबई पहुंच गए. ये सारा काम उन्होनें बिना किसी रोकटोक के किया.

        26/11 हमले के दौरान किस तरह से समुद्र के रास्ते घुसपैठ कर भारत की सीमा में घुसे 10 आतंकियों ने कई दिनों तक पूरे मुंबई शहर और देश को बंधक बनाए रखा उसे बताने की जरुरत नहीं है. ये भी बताने की जरुरत नहीं है कि उन्होनें किस तरह से मुंबई शहर की आन-बान और शान के प्रतीक ताज होटल, आधुनिक सोच की इबारत, ऑबरोय होटल और महाराष्ट्र के गौरवशाली इतिहास का प्रतिबिंब माने जाने वाले छत्रपति शिवाजी टर्मिनल (सीएसटी) स्टेशन पर खून की होली खेली थी. बताने की जरुरत ये भी नहीं है कि वैश्विक-कुटुंब के उदाहरण माने जाने वाले लियोपॉड कैफे और चबाड़ हाउस में कैसे निहत्थे और निर्दोष विदेशी नागरिकों का खून बहाया था.
     हालांकि, हमले के वक्त भी कोस्टगार्ड और नौसेना के पास समुद्री-सीमाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी, लेकिन वे इसे करने में नाकाम साबित हुईं. दलील दी गई कि समुद्र की सीमाओं का दायरा बहुत बड़ा है और उनकी निगरानी करना एक टेढ़ी खीर है. ऐसे में तकनीक का सहारा लिया गया. और भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड को इस काम का बीड़ा सौंपा गया. बीईएल को कोन्ट्रैक्ट दिया गया मार्च 2012 में और दो साल में  450 करोड़ रुपये का ये प्रोजेक्ट बनाकर तैयार हुआ. इस प्रोजेच्ट का सोफ्टवेयर ( Coastal Surveillance Software) अमेरिका से खरीदा गया है.

         समुद्री-सीमाओं की सुरक्षा के लिए आखिरी प्रोजेक्ट नहीं है बल्कि शुरूआत है. आईमैक के बाद ही सरकार एनएमडीए को स्थापित करना का विचार कर रही है.

          एनएमडीए यानि नेशनल मेरीटाइम डोमेन अवेयरनेस का दायरा आईमैक से थोड़ा बड़ा है. एनएमडीए के जरिए भारतीय समुद्री सीमाओं में घूमने वालीं छोटी बोट (मछुआरों की नाव भी) को भी ट्रैक किया जा सके। ये प्रोजेक्ट सीसीएस यानि कैबिनट कमेटी ऑन सिक्योरिटी के क्लीयेरंस का इंतजार कर रहा है. लेकिन यहां ये बात भी दीगर है कि एनएमडीए के बनने पर भी आईमैक उसके मुख्य हिस्सा होगा.

           साथ ही रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय एक साथ मिलकर 24 देशों के साथ एक अलग प्रोजेक्ट तैयार कर रहे हैं. इस प्रोजेक्ट के जरिए भारतीय नौसेना इन सभी 24 देशों का समुद्री-डाटा इस्तेमाल कर सकती है. ये डाटा इन देशों के रडार के जरिए लिया जा सकेगा. इनमें श्रीलंका और मालद्वीप सहित अधिकतर हिंद महासागर क्षेत्र के देश शामिल हैं. ये कितना महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है इसका पता इस बात से ही लगाया जा सकता है कि खुद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार (एनएसए) अजीत डोवाल इसके कोर्डिनेटर हैं.

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