Thursday, March 7, 2019

बालाकोट‌ में एयर-स्ट्राइक के बाद भी आखिर क्यों नहीं दिख रहे तबाही के सबूत !

प्रतीकात्मक तस्वीर:स्पाइस बम

बालाकोट में भारत की एयर‌ स्ट्राइक के बाद आईं कमर्शियल सैटेलाइट इमेज को भारत ने एक सिरे से खारिज कर दिया है। सूत्रों की मानें तो स्पाइस बम छत या फिर दीवार में पैनिट्रेशन करके बिल्डिंग के अंदर तबाही मचाता है। इसलिए सैटेलाइट तस्वीरों पर पूरी तरह यकीन करना ठीक नहीं है।‌


सूत्रों की मानें तो एयर स्ट्राइक में जरूरी नहीं है कि छत उड़ जाए। क्योंकि कोई नहीं जानता कि जैश ए मोहम्मद  के ट्रैनिंग कैंप की इमारत किस मैटेरियल की बनी थीं। जबतक एयर स्ट्राइक के तुरंत बाद की तस्वीरें सामने नहीं आईंगी तबतक आतंकी कैंप में हुई नुकसान का सही सही आंकलान नहीं किया जा सकता।

सूत्रों की मानें तो इस‌ तरह के मिशन को करने से पहले काफी प्लानिंग की जाती है कि हमारा उद्देश्य क्या है। क्या हमारी उद्देश्य बम गिराने की जगह पर नुकसान पहुंचाना था या फिर टारगेट से ज्यादा बड़ा नुकसान पहुंचाना था (यानि बिल्डिंग में मौजूद आतंकियों को न्यूट्रेलाइज करना था या बिल्डिंग को तबाह करना था)।

इजरायल की कंपनी राफिल (Rafael) का स्पाइस बम किस तरह काम करता है इसके लिए ईरान के एक मिलिट्री कैंप पर इजरायल द्वारा किए गए हमले की तस्वीरों से समझा जा सकता है। ये एक बड़ी हैंगरनुमा इमारत है।‌ हमले के तुरंत बाद की तस्वीरों से पता चलता है कि बम इमारत में एक बड़ा होल (छेद) करके अंदर घुसता है और जबरदस्त तबाही मचाता है। लेकिन इमारत की छत नहीं उड़ी। दीवार भी सही सलामत है लेकिन धमाके का इम्पैकट साफ दिखाई पड़ता है।
स्पाइम बम से क्षतिग्रस्त सैन्य कैंप
बालाकोट में जैश‌ ए मोहम्मद के ट्रैनिंग सेंटर पर हुए एयर स्ट्राइक के बाद‌ की कोई तस्वीर सामने नहीं आई है।‌ लेकिन इस बीच सैटेलाइट तस्वीरें ‌सामने आईं हैं जिसमे आतंकी कैंप की इमारतों को ज्यादा नुकसान नहीं दिख रहा है।‌ ऐसे में भारत की एयर स्ट्राइक पर सवाल उठ रहे हैं।‌ लेकिन आपको बता दें कि जिस इजरायली स्पाइस बम का भारतीय वायुसेना ने मिराज-2000 लड़ाकू विमानों ने इ‌स्तेमाल किए थे, उन्हें कॉनक्रीट-पैनेट्रेशन के लिए ही इस्तेमाल किया जाता है।‌ जीपीएस गाईडेड इस म्युनिशेन से किसी भी इमारत की छत को तोड़कर इमारत के भीतर मैकसिम्म-डैमेज कराया जाता है।‌

इन स्पाइस बम के फायर-पावर डेमोंट्रेशन का वीडियो और वीडियो-ग्रैब भी है जिससे ये साफ हो जायेगा कि इन स्पाइस बमों से जरूरी नहीं है कि बिल्डिंग जमींदोज हो जाए, लेकिन बिल्डिंग के भीतर इस‌ बम के शॉक-वेव से बड़ा नुकसान पहुंचाया जा सकता है।‌

26 फरवरी की तड़के भारतीय वायुसेना के 12 मिराज-2000 लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तान से खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के मनसेरा जिले के बालाकोट में जैश ए मोहम्मद के आतंकी प्रशिक्षण शिविर पर एयर स्ट्राइक की थी। ये लड़ाकू विमान इजरायली स्पाइस विमानों से  लैस थे। इन्हें स्पाइस (SPICE) इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये स्मार्ट, प्रेसाइस, इम्पैक्ट, कॉस्ट-इफएक्टिव है।‌ जिन स्पाइस बमों को इस्तेमाल किया गया, वे स्पाइस-2000 बम थे। इन बमों का भार करीब 2000 पौंड यानि करीब करीब 900 किलो। लेकिन इसके मायने ये नहीं है कि इसमें 1000 किलो बारूद था। इस तरह के बंकर-बर्स्टिंग बमों का केस (यानि ऊपरी खोल) ज्यादा भारी होता है ताकि किसी बंकर मे या फिर इमारत के अंदर ज्यादा से ज्यादा नुकसान करने के लिए उसकी छत तोड़ने के लिए इसका केस काफी भारी होता है। माना जा रहा है कि एक बम में करीब करीब 100-200 किलो बारूद होता है।
बालाकोट की सैटेलाइट इमेज

इन बमों को जीपीएस किट के साथ बेहद ही‌ प्रेसाइस‌ यानि सटीक बनाया जाता है। किसी भी टारगेट वाली जगह के सैटेलाइट कॉर्डिनेट्स को बम में फिट कर दिया जाता है। जब पायलट इसे फायर करता है तो ये रियल टाइम टारगेट को मैच कर वहीं जाकर गिरता है जहां पायलट स्ट्राइक करना चाहता है। इसकी रेंज करीब 15 किलोमीटर होती है। यानि इसे मिराज 15 किलोमीटर से ही फायर कर सकता है। इस स्पाइस बम को कोई सैटेलाइट तक भी जैम नहीं कर सकती (सैटेलाइट-जैमर)।

सूत्रों के मुताबिक, यही वजह है कि पाकिस्तानी सेना की मीडिया विंग, आईएसपीआर जब विदेशी मीडिया को बालाकोट‌ लेकर गई थी तो इस मदरसे (टेरेर कैंप) के परिसर तो दूर बल्कि उसके करीब भी नहीं लेकर गई थी। जिस जाबा-हिल पर ये 6 एकड़ में टेरेर कैंप फैला हुआ है‌ उसके आसपास के जंगल तक ही ले जाया गया। क्योंकि कुछ नुकसान इस बमबारी में आसपास के जंगल को भी हुआ था।‌ पाकिस्तानी सेना ने बारिश का बहाना बनाकर मीडिया को कैंप नहीं लेकर गई।

उच्चपदस्थ सूत्रों ने बताया है कि इस ट्रैनि्ग कैंप में 600 आतंकी तक रह सकते हैं। लेकिन एयर स्ट्राइक से पहले वहां करीब 250 आतंकी मौजूद थे। यहां पर आतंकी डोरमेटरी में रहते थे। ट्रैनिंग कैंप की सीढ़ियों पर दुश्मन-देश, अमेरिका और इजरायल के झंडे की‌ पेंटिग की गई थी ताकि आने जाने वाले इन झंडों पर चलकर जा सकें।

भारत सरकार का दावा है कि इस हमले में जैश‌ए मोहम्मद की टॉप-लीडरशिप को खत्म कर दिया गया।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, भारतीय‌ वायुसेना ने एयर‌ स्ट्राइक से जुड़े सबूत (फोटो और वीडियो) सरकार को सौंप दिए हैं। इनमें सुखोई विमानों से ली हुई सिंथेटिक एपर्चर इमेज भी शामिल हैं। ये सुखोई विमान एयर स्ट्राइक के वक्त मिराज फाइटर जेट्स के साथ एयर-डोमिनेंस के लिए साथ गए थे।

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