Thursday, May 9, 2019

भारत फ्रांस की नौसेनाएं कर रही हैं 'वरूणा' एक्सरसाइज



अरब सागर में इनदिनों भारत और फ्रांस की नौसेनाएं एक दूसरे की पनडुब्बी को खोजने का युद्धभ्यास कर रही हैं. इस युद्धभ्यास का नाम है वरूणा. हालांकि, ये दोनों देशों के बीच 17वां युद्धभ्यास है लेकिन खास बात ये है कि ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई नौसेना अपनी परमाणु पनडुब्बी के साथ भारत की समुद्री सीमाओं में पहुंची है. वो भी युद्धभ्यास के लिए. इसके अलावा फ्रांस की नौसेना का एयरक्राफ्ट कैरियर, एफएनएस चार्ल्स डी गुएल और उसपर तैनात राफेल लड़ाकू विमान भी इस खास युद्धभ्यास का हिस्सा है जो 1 मई से 10 मई तक अरब सागर में चल रहा है. इस युद्धभ्यास का दूसरा चरण, अफ्रीकी देश, जिबूती में होगा, जहां पर कुछ समय पहले चीन ने अपना पहला विदेशी मिलिट्री-बेस बनाया है.

नौसेना के प्रवक्ता, कैप्टन डी के शर्मा के मुताबिक, युद्धभ्यास के पहले चरण का अभ्यास सात दिनों तक गोवा में चला था. जहां पर दोनों देशों के नौसैनिकों ने एक दूसरे के जंगी-जहाज, लड़ाकू विमान और पनडुब्बियों को समझने के साथ-साथ एक-दूसरे के वॉर-गेम्स के लिए टेबल-टॉप एक्सरसाइज की. आखिरी तीन दिन (8-10 मई) दोनों देशों की नौसेनाएं समंदर में एक्सरसाइज कर रही हैं.

फ्रांस की नौसेना की तरफ से वरूणा युद्धभ्यास में हिस्सा लेने के लिए चार्ल्स डी गुएल और एक परमाणु पनडुब्बी के साथ साथ दो विंध्वंसक युद्धपोत, फोरबिन और प्रोविंस, एक फ्रीगेट लाटुचे-ट्रेविले और टैंकर मार्ने हिस्सा ले रहे हैं. भारतीय नौसेना की तरफ से विमान-वाहक युद्धपोत, आईएऩएस विक्रमादित्य, डेस्ट्रोयर आईएनएस मुंबई, तेग-क्लास फ्रीगेट तरकश, शिशुमार क्लास पनडुब्बी, शंकुल और एक फ्लीट-टैंकर दीपक हिस्सा ले रहे हैं.

समुद्री युद्धभ्यास में दोनों देशों के युद्धपोतों ने एक दूसरे की पनडुब्बी को ढूंढने का काम किया. इसके लिए टोही विमान और हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया गया, साथ ही दोनों देशों के एयरक्राफ्ट कैरियर पर तैनात लड़ाकू विमान, राफेल (चार्ल्स डी गुएल पर) और मिग-29के (विक्रमादित्य पर) ने मिलकर पिजेन-आईलैंड पर मिलकर गोलाबारी की. साथ ही एयर-डिफेंस को और मजबूत करने के लिए इन फाइटर जेट्स को एयरक्राफ्ट कैरियर के बजाए डेस्ट्रोयर्स को दे दिया गया. इसके साथ साथ दोनों देशों की जंगी जहाजों ने एक दूसरे की युद्धकला और बारीकियों को समझने के लिए अपने अपने टैंकर-जहाजों से एक दूसरे के युद्धपोतों की फ्यूलिंग यानि ईधन भरने का काम किया. जानकारी के मुताबिक, दोनों देश के जंगी जहाजों ने एरयिल टारगेट्स पर गोलाबारी भी की।

आपको बता दें कि पाकिस्तान स्थित ग्वादर पोर्ट तैयार करने के बहाने अरब सागर में लगातार चीन की पनडुब्बियां घूमती रहती हैं. ऐसे में वरूणा एक्सरसाइज में समंदर में सबमरीन ढूंढने का अभ्यास काफी अहम हो जाता है.

जानकारी के मुताबिक, इस महीने के आखिर में दोनों देशों का जंगी बेड़ा, हार्न ऑफ अफ्रीका स्थित देश जिबूती की तरफ रूख करेगा. क्योंकि वरूणा एक्सरसाइज का आखिरी चरण वहीं पर होना है. जिबूती में फ्रांस नौसेना का सैन्य-अड्डा है. हाल ही में चीन ने भी जिबूती में अपना एक मिलिट्री-बेस तैयार किया है. अमेरिका का भी यहां काफी समय से एक बड़ा सैन्य-अड्डा है. यहीं से अमेरिका सीरिया और ईराक में अपने ऑपरेशन्स करता है. इसके साथ साथ सोमिलायाई समुद्री-लुटेरों पर नकेल कसने के लिए भी ये मिलिट्री बेस काफी महत्वपूर्ण हैं.

No comments:

Post a Comment