Tuesday, May 21, 2019

फॉग ऑफ वॉर और बडगाम हेलीकॉप्टर क्रैश


श्रीनगर के करीब बडगाम में हेलीकॉप्टर क्रैश मामले में वायुसेना के सूत्रों का दावा है कि जांच में अगर कोई अधिकारी दोषी पाया गया तो उसे सख्त से सख्त सजा दी जायेगी. साथ ही मामले की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी ना केवल इस घटना के दोषियों को सजा देगी बल्कि भविष्य में ऐसी घटना ना हो जिसमें अपनी ही फायरिंग से अपने किसी विमान या हेलीकॉप्टर को मार गिराया जाये इसके लिए भी नए मापदंड तैयार करेगी. इसके साथ ही श्रीनगर एयर-बेस के एयर-आफिसर कमांडिंग का तबादला कर दिया गया है. 

आपको बता दें कि बालाकोट एयर-स्ट्राइक के अगले दिन यानि 27 फरवरी को जिस वक्त पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों ने एलओसी पर भारत के सैन्य-ठिकानों और गोला-बारूद स्टोर पर हमला करने की कोशिश की थी उसी दौरान श्रीनगर के करीब बडगाम में भारतीय वायुसेना का एक एमआई-17 हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था. इस घटना में हेलीकॉप्टर के पायलट समेत सभी छह क्रू-मेम्बर्स की मौत हो गई थी. एक सिविलयन की भी जान चली गई थी. भारतीय वायुसेना ने इस घटना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश दिया था. हालांकि शुरूआत से ही इस घटना को माना जा रहा थ कि ये हेलीकॉप्टर 'फ्रेन्डली फायरिंग' का शिकार हुआ है, लेकिन भारतीय वायुसेना ने ये कहकर कुछ नहीं कहा था कि जांच जारी है. लेकिन अब इस मामले से जुड़ी जानकारियां सामने आने लगी हैं. माना जा रहा है कि श्रीनगर एयर-बेस के एओसी का तबादला भी इसी कड़ी से जोड़ कर देखा जा रहा है, जबकि वायुसेना का कहना है कि ये एक रूटीन पोस्टेड-आऊट (यानि ट्रांसफर) है. 

जानकारी के मुताबिक, जिस वक्त पाकिस्तानी वायुसेना ने एलओसी पर भारत की एयर-स्पेस में घुसकर हमला करने की कोशिश थी उसी वक्त श्रीनगर एयरबेस से एक एमआई-17 हेलीकॉप्टर उड़ा था. लेकिन कुछ ही मिनट बाद वो हेलीकॉप्टर श्रीनगर के करीब बडगाम में क्रैश हो गया था. दुर्घटना के तुरंत बाद ही एबीपी न्यूज की टीम मौके पर पहुंच गई थी. उस वक्त ही जिस गांव के करीब ये हेलीकॉप्टर गिरा था वहां मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया था कि गिरने से पहले उन्होनें एक बम जैसी आवाज सुनी थी जिसके बाद ही हेलीकॉप्टर नीचे गिरा था. हालांकि, पायलट ने गांव से बचाकर एक खेत में हेलीकॉप्टर को उतारने की कोशिश की थी जिसमें थोड़ा पानी थी. लेकिन नीचे नीचे आते आते हेलीकॉप्टर पूरी तरह से आग के हवाले हो चुका था और उसमें मौजूद सभी क्रू-मेम्बर्स पूरी तरह से जल चुके थे., बामुश्किल ही उनके शवों को निकाला गया था. इस दौरान उनकी मदद करने के लिए आया गांव का एक युवक भी आग की चपेट में आया और उसकी भी मौत हो गई थी. 

सूत्रों के मुताबिक, जब श्रीनगर से ये हेलीकॉप्टर उड़ा तो इसका आईएफएफ-ट्रांसपोंडर यानि 'आईडिंंटिफिकेशन ऑफ फ्रैंड ऑर फो' आन नहीं था, जिसके चलते श्रीनगर एयरबेस के वेपन-टर्मिनल को पता नहीं चल पाया कि ये दुश्मन का विमान है या अपना. दुश्मन का यूएवी समझकर वायुसेना के वेपन-टर्मिनल ने इसपर इजरायली (सतह से हवा में मार करने वाली) स्पाईडर मिसाइल दाग दी, जिससे ये हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया. 

सूत्रों के मुताबिक, श्रीनगर एयर-बेस के एओसी को इसलिए ट्रांसफर किया गया है क्योंकि उन्होनें युद्ध जैसे हालात (बालाकोट एयर-स्ट्राइक के दौरान पूरी वायुसेना फुल अलर्ट पर थी) में भी हेलीकॉप्टर का आईएफएफ क्यों नहीं ऑन कराया था. तबादला इसलिए भी किया गया है क्योंकि श्रीनगर से उड़ान भरने के कुछ मिनट बाद ही एटीसी ने हेलीकॉप्टर को वापस आने का निर्देश दे दिया था, लेकिन एयर-बेस के वैपन-टर्मिनल ने इसे दुश्मन का यूएवी समझकर मिसाइल दाग दी. यानि एटीसी और वैपन-टर्मिनल के बीच युद्ध के हालात में भी समन्वय नहीं था. ये एओसी की तरफ से एक बड़ी लापारवाही मानी जा रही है. माना जा रहा है कि इस घटना में एओसी सहित कुल चार अधिकारी जांच के दायरे में हैं. 

वायुसेना के सूत्रों ने साफ कर दिया कि दोषी अधिकारी 'फॉग ऑफ वॉर' का फायदा नहीं उठा सकते हैं. क्योंकि फॉग ऑफ वॉर के दौरान भी वायुसेना की अपनी एसओपी (य़ानि स्टैंडर्ड ओपरेटिंग प्रोसिजर) हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि इन एसओपी का ध्यान नहीं रखा गया जिसके चलते ही इतना बड़ा हादसा हुआ. लेकिन सूत्रों का साफ कहना है कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जायेगी अगर कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में दोषी पाये गए. माना जा रहा है कि उनकर गैर-इरादतन हत्या के तहत कोर्ट मार्शल की कारवाई भी की जा सकती है. 

वायुसेना के प्रवक्ता ने हालांकि कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का हवाला देकर कहा है कि जबतक जांच पूरी नहीं हो जाती इस मामले पर आधिकारिक तौर से कुछ भी नहीं कहा जा सकता है. 

सूत्रों के मुताबिक, बडगाम हेलीकॉप्टर घटना की जांच में देरी इसलिए हो रही है क्योंकि क्रैश के बाद से हेलीकॉप्टर का ब्लैक-बॉक्स गायब है. पुलिस और वायुसेना के अधिकारियों को घटना की जगह से हेलीकॉप्टर का मलबा बरामद हुआ था उसमें ब्लैक-बॉक्स नहीं था. इसलिए पूरी मामले की जांच परिस्थितिजनक-साक्ष्यों के हिसाब से की जा रही है.

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